निगम अधिकारियों का कर्तव्य है कि वे बाधा-मुक्त सार्वजनिक मार्ग सुनिश्चित करें: एचएचआरसी
तान्या सुरेश
- 17 Nov 2025, 05:14 PM
- Updated: 05:14 PM
चंडीगढ़, 17 नवंबर (भाषा) हरियाणा मानवाधिकार आयोग (एचएचआरसी) ने कहा है कि निगम अधिकारियों का यह वैधानिक और नैतिक कर्तव्य है कि वे सुनिश्चित करें कि सार्वजनिक मार्ग अवरोधों से मुक्त हों। आयोग ने यह भी कहा कि सड़कों पर मवेशियों को बांधने देना कर्तव्य की घोर उपेक्षा है।
भिवानी की द्वारकन गली के निवासियों की शिकायत पर आयोग ने कहा कि इस तरह की निष्क्रियता सीधे तौर पर निवासियों के आवागमन, स्वास्थ्य और सम्मान के अधिकार को खतरे में डालती है, विशेषकर इलाके के बच्चों और बुजुर्गों के लिए।
यह आरोप लगाया गया था कि कुछ लोग आदतन अपने मवेशियों को सड़क के बीच में बांध देते हैं, जिसके परिणामस्वरूप गंभीर अवरोध, अस्वास्थ्यकर स्थिति पैदा होती है और स्थानीय निवासियों को असुविधा होती है।
निवासियों ने आरोप लगाया था कि बार-बार अनुरोध और शिकायतों के बावजूद, भिवानी नगरपालिका परिषद निवारक या सुधारात्मक उपाय करने में विफल रही है, जो सार्वजनिक स्वच्छता और आवागमन की सुविधा कायम रखने में प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है।
एचएचआरसी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ललित बत्रा ने कहा कि सार्वजनिक सड़कों पर मवेशी बांधने से गंदगी, सीवेज जाम और आवागमन में बाधा उत्पन्न होती है, जो सीधे तौर पर निवासियों के स्वास्थ्य, सम्मान और स्वच्छ पर्यावरण के अधिकारों का उल्लंघन है।
स्थानीय अधिकारियों की उदासीनता मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (यूडीएचआर) के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है, क्योंकि यह अनुच्छेद प्रत्येक व्यक्ति को उपयुक्त जीवन स्तर का अधिकार देता है, जिसमें स्वास्थ्य, स्वच्छता और साफ-सुथरा वातावरण शामिल है।
आयोग ने कहा कि यह आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय अनुबंध (आईसीईएससीआर) के अनुच्छेद 12 का भी उल्लंघन करता है, जो उच्चतम स्तर का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्राप्त करने योग्य मानक के अधिकार को मान्यता देता है।
आयोग ने 11 नवंबर को जारी अपने आदेश में यह भी कहा कि सार्वजनिक स्थलों को स्वच्छ और सुलभ बनाए रखने में भिवानी नगरपालिका परिषद की विफलता संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का भी उल्लंघन है, जिसमें सम्मान, स्वच्छ वातावरण और सुरक्षित परिवेश के साथ जीने का अधिकार शामिल है।
नगरपालिका परिषद के अधिकारियों की लापरवाही भी मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 2(डी) के तहत परिभाषित "मानवाधिकारों" का उल्लंघन है, जिसमें व्यक्तियों के जीवन, स्वतंत्रता, समानता और सम्मान से संबंधित अधिकार शामिल हैं।
आयोग ने पहली नजर में यह पाया कि द्वारकन गली के निवासियों के साथ प्रशासन की लापरवाही हुई है और उनके बुनियादी मानवाधिकारों का उल्लंघन किया गया है।
आयोग ने निर्देश दिया कि यह आदेश प्राप्त होने की तारीख से आठ सप्ताह के भीतर भिवानी के जिला नगरपालिका आयुक्त द्वारा एक विस्तृत तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। इस रिपोर्ट में बताया जाए कि बाधा हटाने और सार्वजनिक स्वच्छता बनाए रखने के लिए क्या कदम उठाए गए, जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ क्या अनुशासनात्मक या प्रशासनिक कार्रवाई शुरू की गई, और भविष्य में ऐसे मामले दोबारा न हों इसके लिए रोकथाम के क्या उपाय प्रस्तावित किए गए हैं।
आयोग ने कहा कि "नगरपालिका सीमा के भीतर ‘डेरी फार्मिंग’ अब पूरे राज्य में एक व्यापक मुद्दा बन गया है, जिससे नागरिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं बार-बार उत्पन्न हो रही हैं।"
हरियाणा सरकार ने इस चुनौती को पहचाना है और स्वच्छता सुनिश्चित करने, प्रदूषण कम करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए डेरियों को नगरपालिका सीमाओं से बाहर स्थानांतरित करने हेतु एक व्यापक खाका तैयार किया है।
आयोग ने कहा कि यद्यपि इस ब्लूप्रिंट की संकल्पना और प्रारूप तैयार कर लिया गया है, लेकिन इसे अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है या पूरी तरह से क्रियान्वित नहीं किया गया है। आयोग ने यह भी कहा कि बढ़ती समस्या से निपटने और राज्य के स्वास्थ्य एवं स्वच्छता उद्देश्यों के अनुरूप स्वच्छ शहरी वातावरण बनाए रखने के लिए नगर निकायों द्वारा समन्वित कार्रवाई के साथ-साथ इस नीति का प्रभावी क्रियान्वयन आवश्यक है।
आयोग ने शहरी प्रशासन और नागरिक विनियमन की निगरानी के लिए जिम्मेदार विभागों से स्पष्टीकरण और जवाबदेही मांगना भी आवश्यक समझा है।
भाषा तान्या