हिमाचल प्रदेश को चंडीगढ़ में 'वैध' 7.19 प्रतिशत हिस्सा मिलना चाहिए: सुक्खू
अमित माधव
- 17 Nov 2025, 09:25 PM
- Updated: 09:25 PM
फरीदाबाद, 17 नवंबर (भाषा) हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अंतर-राज्यीय मुद्दों पर चर्चा के लिए आयोजित एक शीर्ष स्तरीय बैठक में सोमवार को कहा कि राज्य को चंडीगढ़ में भूमि और परिसंपत्तियों दोनों में उसका "वैध" 7.19 प्रतिशत हिस्सा मिलना चाहिए।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हरियाणा के फरीदाबाद में आयोजित उत्तरी क्षेत्रीय परिषद (एनजेडसी) की 32वीं बैठक को संबोधित करते हुए हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के तहत एक अधिदेश के अनुसार होगा।
सुक्खू ने उच्चतम न्यायालय के 2011 के फैसले का हवाला दिया। सुक्खू ने कहा कि यही भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) द्वारा उत्पादित बिजली में ‘‘वैध हिस्सेदारी’’ का आधार है।
उन्होंने उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुसार बीबीएमबी से लंबित बकाया जारी करने और बीबीएमबी में अपने राज्य से एक स्थायी सदस्य की नियुक्ति की मांग की।
सुक्खू ने केन्द्र द्वारा संचालित जल विद्युत परियोजनाओं में हिमाचल प्रदेश को 12 प्रतिशत मुफ्त विद्युत रॉयल्टी प्रदान करने की नीति के क्रियान्वयन तथा उन परियोजनाओं में राज्य की मुफ्त रॉयल्टी को बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने का भी आग्रह किया, जहां लागत पहले ही वसूल हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को उत्तरी क्षेत्रीय परिषद (एनजेडसी) की अगली बैठक के एजेंडे में रखा जाना चाहिए ताकि हिमाचल को "उसका वैध हक मिले"।
मुख्यमंत्री ने अनुरोध किया कि हिमाचल प्रदेश में 40 वर्ष पूरे कर चुकीं जलविद्युत परियोजनाओं को राज्य को सौंप दिया जाए।
एनजेडसी बैठक में उत्तरी क्षेत्र के लिए एकीकृत सतत विकास योजना का आह्वान करते हुए, सुक्खू ने सरचू और शिंकुला में हिमाचल-लद्दाख सीमा मुद्दों के शीघ्र समाधान की भी मांग की।
मुख्यमंत्री ने निर्माणाधीन किशाऊ और रेणुका बांध जलविद्युत परियोजनाओं के विद्युत घटकों के लिए पूर्ण केंद्रीय वित्त पोषण की मांग की। उन्होंने साथ ही यह भी माँग की कि पूरा होने के बाद, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड को 50-50 प्रतिशत बिजली प्रदान की जाए।
सुक्खू ने केंद्र से पहाड़ी राज्यों की बढ़ती संवेदनशीलता को देखते हुए आपदा राहत नियमों की समीक्षा करने और आपदा पूर्व एवं आपदा पश्चात प्रबंधन मानदंडों में उचित संशोधन करने का आग्रह किया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ती आवृत्ति और हर साल होने वाले व्यापक नुकसान को देखते हुए पूरे उत्तरी क्षेत्र के लिए एक एकीकृत, परस्पर निर्भर और सतत विकास ढाँचे का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों की अर्थव्यवस्था की रक्षा और सामूहिक एवं केंद्रित प्रयासों के माध्यम से हताहतों की संख्या को कम करने के लिए ऐसी समन्वित योजना आवश्यक है।
राज्य की रणनीतिक स्थिति और पर्यटन क्षमता पर प्रकाश डालते हुए, मुख्यमंत्री ने हिमाचल में हवाई नेटवर्क के विस्तार की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया।
सुक्खू ने बताया कि राज्य सरकार कांगड़ा हवाई अड्डे के विस्तार पर काम कर रही है और उन्होंने केंद्र से भूमि अधिग्रहण लागत वहन करने, परियोजना के लिए पूर्ण धन उपलब्ध कराने और राज्य में छोटे हवाई अड्डों और हेलीपोर्ट के विकास के लिए एक अलग मास्टर प्लान तैयार करने का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने स्थानीय लोगों की सहायता और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सीमावर्ती और उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में एक उच्च-ऊंचाई अनुसंधान केंद्र, आइस हॉकी स्टेडियम, एक साहसिक खेल केंद्र और अन्य प्रशिक्षण सुविधाओं की स्थापना का प्रस्ताव रखा। उन्होंने स्पीति के जनजातीय क्षेत्र में राष्ट्रीय बौद्ध संस्थान परियोजना शुरू करने का भी अनुरोध किया।
सुक्खू ने 2023-24 तक की अवधि के लिए जीएसटी मुआवजे के बाद भी हिमाचल प्रदेश को 9,478 करोड़ रुपये के राजस्व घाटे की भरपाई के लिए एक विशेष कार्य बल के गठन का भी आह्वान किया।
उत्तरी क्षेत्रीय परिषद में राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, जम्मू कश्मीर, लद्दाख और चंडीगढ़ शामिल हैं।
अधिकारियों ने बताया कि बैठक में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी (हरियाणा), सुखविंदर सिंह सुक्खू (हिमाचल प्रदेश), भगवंत मान (पंजाब), भजन लाल शर्मा (राजस्थान), रेखा गुप्ता (दिल्ली), उमर अब्दुल्ला (जम्मू कश्मीर), पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा (जम्मू कश्मीर) और वी के सक्सेना (दिल्ली) शामिल हुए।
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अमित