मौजूदा मतदाताओं के लिए कोई दिक्कत नहीं; नए पते पर नामांकन करा सकते हैं': असम सीईओ
अमित नरेश
- 18 Nov 2025, 04:33 PM
- Updated: 04:33 PM
गुवाहाटी, 18 नवंबर (भाषा) निर्वाचन आयोग द्वारा मंगलवार से असम की मतदाता सूची का 'विशेष पुनरीक्षण' (एसआर) शुरू किए जाने के बीच राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) अनुराग गोयल ने इस बात पर जोर दिया कि इस प्रक्रिया के तहत मौजूदा मतदाताओं को किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।
गोयल ने कहा कि नये निवासी भी, जिनमें अतिक्रमण की गई सरकारी भूमि से बेदखल किए गए लोग भी शामिल हैं, अपना पिछला मतदाता विवरण प्रस्तुत करके अपना नामांकन करा सकते हैं, क्योंकि राज्य में अगले वर्ष के प्रारंभ में विधानसभा चुनाव की तैयारी है।
गोयल ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "एसआर का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी पात्र मतदाताओं को मतदाता सूची में शामिल किया जाए और अपात्र मतदाताओं को मतदाता सूची से हटाया जाए।"
निर्वाचन आयोग (ईसी) ने सोमवार को असम के लिए विशेष पुनरीक्षण (एसआर) का आदेश दिया, जिसमें एक जनवरी 2026 को पात्रता–निर्धारण तिथि तय किया गया है। इसी के आधार पर अंतिम मतदाता सूची 10 फरवरी को प्रकाशित की जाएगी।
गोयल ने दावा किया कि यह पहली बार है कि किसी राज्य में मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण (एसआर) किया जा रहा है और असम में नागरिकता के विशेष प्रावधानों के कारण यह आवश्यक हो गया था।
सीईओ ने कहा, "असम में नागरिकता के लिए विशेष प्रावधान हैं। एनआरसी को अद्यतन किया गया है और केवल प्रकाशन का इंतजार है और एनआरसी के आंकड़े नागरिकता का निर्णायक प्रमाण होंगे। इन परिस्थितियों में, निर्वाचन आयोग ने असम के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के स्थान पर एसआर का आदेश दिया है।"
उन्होंने कहा कि जहां विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण एक "नियमित" प्रक्रिया है और एसआईआर एक विस्तृत प्रक्रिया है, वहां त्रुटिरहित मतदाता सूची सुनिश्चित करने के लिए एसआर इन दोनों के बीच की भूमिका निभाता है।
एसआर के तहत, बूथ-स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) घर-घर जाएंगे और परिवार का मुखिया या कोई सक्षम सदस्य उस घर में पात्र मतदाताओं की संख्या और नामों का सत्यापन करेगा।
मृत्यु की स्थिति में, मतदाता का नाम हटा दिया जाएगा और नया नाम जोड़ने के लिए, बीएलओ द्वारा फॉर्म उपलब्ध कराए जाएंगे, जिन्हें निर्धारित समय के भीतर भरकर जमा करना होगा।
गोयल ने कहा, ‘‘एसआर के तहत, मौजूदा मतदाताओं को कोई दस्तावेजी प्रमाण दिखाने की जरूरत नहीं है। परिवार के मुखिया या सक्षम सदस्य द्वारा सत्यापन ही पर्याप्त होगा। नये मतदाताओं के लिए, मौजूदा मतदाता से संबंध दर्शाने वाला दस्तावेज ही पर्याप्त होगा।’’
राज्य में हाल ही में अतिक्रमण विरोधी अभियानों के दौरान बेदखल किए गए लोगों के मताधिकार के बारे में पूछे जाने पर, सीईओ ने कहा कि वे नये निवास स्थान पर अपना नामांकन करा सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘कोई व्यक्ति वर्तमान में जहां भी रह रहा है, वह अपना पिछला मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) दिखाकर अपना नामांकन करा सकता है। यहां तक कि कोई व्यक्ति जो हाल ही में असम आया हो और लंबे समय तक यहां रहेगा, वह भी इसी प्रक्रिया के माध्यम से अपना नामांकन करा सकता है।’’
गोयल ने कहा कि मतदाता का दायित्व है कि वह अपना नाम उस सूची से हटवाए जिसमें वह पहले पंजीकृत था। उन्होंने कहा कि राज्य के भीतर निर्वाचन आयोग द्वारा नामों और तस्वीरों की जांच करके मतदाताओं के दोहराव का पता लगाने के लिए एक सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है, लेकिन इसमें त्रुटि की गुंजाइश बनी रहती है।
उन्होंने मतदाता सूची से गलत तरीके से नाम हटाए जाने या शामिल किए जाने के खिलाफ अपील करने के प्रावधान पर भी प्रकाश डाला और लोगों से इसका उपयोग करने का आग्रह किया।
गोयल ने कहा कि 29,656 बीएलओ (प्रत्येक मौजूदा मतदान केंद्र के लिए एक) नियुक्त किए गए हैं, जबकि इस प्रक्रिया के सुचारू संचालन के लिए राजनीतिक दलों के 61,553 बूथ-स्तरीय एजेंट (बीएलए) उनके साथ रहेंगे।
उन्होंने कहा कि मतदान केंद्रों के युक्तिकरण के साथ, राज्य में 1,826 और मतदान केंद्र जोड़े जाने की संभावना है। सीईओ ने यह भी स्पष्ट किया कि ‘डी-वोटर’ (संदिग्ध मतदाता) एसआर के अंतर्गत नहीं आएंगे, राज्य में वर्तमान में ऐसे 94,277 नाम हैं।
भाषा अमित