दिल्ली प्रदूषण संकट: लोगों और छात्रों ने जंतर-मंतर पर किया विरोध प्रदर्शन
नोमान माधव
- 18 Nov 2025, 06:46 PM
- Updated: 06:46 PM
नयी दिल्ली, 18 नवंबर (भाषा) जवाहरलाल नेहरू (जेएनयू), दिल्ली विश्वविद्यालय और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों सहित सैकड़ों दिल्लीवासियों ने मंगलवार को जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया और राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए तत्काल कार्रवाई की मांग की।
दिवाली के बाद से दिल्ली की वायु गुणवत्ता "बहुत खराब" श्रेणी में बनी हुई है तथा वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) कई दिनों से 300 से ऊपर बना हुआ है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, मंगलवार को शहर में एक बार फिर जहरीली धुंध छाई रही, और एक्यूआई 344 दर्ज किया गया, जबकि चार निगरानी स्टेशनों ने प्रदूषण स्तर को “गंभीर” श्रेणी में बताया।
प्रदर्शनकारियों ने प्रतीकात्मक रूप से औद्योगिक-ग्रेड के श्वसन मास्क पहने थे और तख्तियां पकड़ी हुई थीं, जिनमें से एक पर लिखा था, "दिल्ली आईसीयू में है, सरकार कहां है?" कई प्रदर्शनकारियों ने कहा कि बिगड़ती हवा ने उत्तर भारत में रोजमर्रा के जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "उत्तर भारत में जीवन की गुणवत्ता ख़त्म हो गई है... ख़राब हवा के कारण हमें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो रही हैं, हमारे बच्चे परेशान हैं। अगर नागरिक ऐसे माहौल में रहेंगे तो हम पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का क्या करेंगे?"
एक अन्य प्रदर्शनकारी शाहिद ने दिल्ली की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार की “वास्तविक मुद्दों से न निपटने” के लिए आलोचना की।
उन्होंने कहा, "पिछली सरकारों को दोष देना अब और नहीं चलेगा। सरकार ने अपने दफ्तरों के लिए एयर प्यूरीफायर मंगवाए ताकि नेता साफ हवा में सांस ले सकें। लेकिन आम लोगों का क्या?"
डीयू की छात्रा अंजलि ने बताया कि उन्होंने 10 नवंबर को इंडिया गेट पर इसी तरह का विरोध प्रदर्शन आयोजित किया था, जिस दौरान करीब 15 महिलाओं को हिरासत में लिया गया था और कथित तौर पर देर रात बवाना में छोड़ दिया गया था।
उन्होंने कहा, "हम इस स्थिति से समझौता नहीं करेंगे। स्वच्छ हवा हमारा मौलिक अधिकार है।"
अंजलि ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार “एक्यूआई डेटा में हेरफेर कर रही है”, वैज्ञानिक आपत्तियों के बावजूद क्लाउड-सीडिंग पर सार्वजनिक धन बर्बाद कर रही है, और “प्रदूषण के कारणों को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही है।”
एक लड़का एक पोस्टर पकड़े हुए था जिस पर लिखा था, ""पौधे हमें ऑक्सीजन दे रहे हैं, लेकिन क्या हम ज़हर अंदर ले रहे हैं?" उसने बताया कि बढ़ते प्रदूषण के कारण उसका गला दुख रहा है।
भाषा
नोमान