चीन और जापान ने प्रधानमंत्री ताकाइची की टिप्पणी से उत्पन्न तनाव कम करने के लिए की वार्ता
संतोष नरेश
- 18 Nov 2025, 06:46 PM
- Updated: 06:46 PM
(के जे एम वर्मा)
बीजिंग/तोक्यो, 18 नवंबर (भाषा) चीन और जापान के अधिकारियों ने मंगलवार को बीजिंग में जापानी प्रधानमंत्री साने ताकाइची की ताइवान संबंधी हालिया टिप्पणियों से उपजे तनाव को कम करने के लिए बातचीत की। प्रधानमंत्री की टिप्प्णियों से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में भारी गिरावट आई है।
विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने मीडिया को बताया कि चीनी विदेश मंत्रालय के एशियाई मामलों के विभाग के महानिदेशक लियू जिनसोंग ने जापानी विदेश मंत्रालय के एशियाई और महासागरीय मामलों के ब्यूरो के महानिदेशक कनाई मसाकी के साथ विचार-विमर्श किया।
उन्होंने कहा कि बातचीत के दौरान, चीन ने जापान से गलत टिप्पणियों को वापस लेने और चीन से संबंधित मुद्दों पर परेशानी पैदा करना बंद करने का आग्रह किया।
माओ ने कहा कि जापानी पक्ष को तुरंत अपनी गलत टिप्पणियों को वापस लेना चाहिए, खुद पर गहराई से विचार करना चाहिए, गलतियों को सुधारना चाहिए और चीनी लोगों को स्पष्ट जवाब देना चाहिए।
जापान द्वारा अपने आत्मरक्षा बलों के रैंकों में संशोधन करने और तत्कालीन शाही जापानी सेना के रैंक से जुड़े पदनामों का उपयोग करने की योजना बनाने संबंधी रिपोर्ट का हवाला देते हुए माओ ने कहा कि चीन कभी भी जापानी सैन्यवाद के पुनरुत्थान की अनुमति नहीं देगा, न ही चीन किसी को भी युद्धोत्तर अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को चुनौती देने और वैश्विक शांति और स्थिरता को कमजोर करने की अनुमति देगा।
उन्होंने पूर्वी चीन सागर के विवादित जल में गश्त कर रहे चीनी तटरक्षक जहाजों को लेकर जापान के विरोध को खारिज करते हुए कहा कि चीन के क्षेत्रीय जल में गश्त करना वैध, न्यायोचित और निंदा से परे है।
उन्होंने कहा कि चीन जापान के अनुचित अभ्यावेदन को स्वीकार नहीं करता और उसने उसे तुरंत खारिज कर दिया है, और इसके विरोध में अभ्यावेदन भी दर्ज कराए हैं।
दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में यह दरार तब पड़ी जब चीन समर्थक समझी जाने वालीं ताकाइची ने सात नवंबर को एक संसदीय समिति को बताया कि ताइवान पर चीनी सैन्य हमला जापान के लिए ‘अस्तित्व पर खतरा’ बन सकता है, जिससे जापान सामूहिक आत्मरक्षा के अपने अधिकार का प्रयोग कर सकता है।
राजनयिक विरोध दर्ज कराने के अलावा चीन ने अपने नागरिकों से जापान की यात्रा न करने को कहा है, जिसके परिणामस्वरूप चीनी पर्यटकों की यात्राएं रद्द होने का सिलसिला जारी रहा। जापान पहुंचने वाले पर्यटकों में सर्वाधिक संख्या चीनी पर्यटकों की होती है और इस साल 74 लाख चीनी लोगों ने जापान की यात्रा की।
जापान से प्राप्त खबरों में कहा गया है कि अपनी वार्ता के माध्यम से, तोक्यो का उद्देश्य दोनों पड़ोसी देशों के बीच पर्यटन, शिक्षा और मनोरंजन क्षेत्रों को प्रभावित करने वाले राजनयिक विवाद को शांत करना है।
चीन, जो ताइवान को अपनी मुख्य भूमि का हिस्सा मानता है, ने ताकाइची से अपनी टिप्पणी वापस लेने की मांग की है। बीजिंग का कहना है कि ताइवान का मुद्दा पूरी तरह से उसका ‘आंतरिक मामला’ है।
जापानी समाचार एजेंसी क्योदो ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया कि लियू के साथ बातचीत में कनाई इस बात पर जोर देंगे कि ताकाइची ने 1972 के संयुक्त मसौदे में उल्लिखित जापान की स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया है।
दस्तावेज में, तोक्यो ने ताइवान को अपनी राजनयिक मान्यता देने से किनारा करते हुए ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ को चीन की एकमात्र वैध सरकार के रूप में मान्यता दी।
वर्ष 1949 में गृहयुद्ध के बाद अलग हुए कम्युनिस्ट नेतृत्व वाले चीन और लोकतांत्रिक ताइवान, दोनों अलग-अलग शासित रहे हैं।
कनाई द्वारा ओसाका में तैनात चीनी महावाणिज्य दूत जू जियान द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए मुद्दे को भी उठाए जाने की संभावना है, जिसमें ताकाइची की टिप्पणी पर स्पष्ट रूप से गुस्सा दिखाते हुए, ‘बिना किसी हिचकिचाहट के गर्दन काटने’ की धमकी दी गई थी।
भाषा संतोष