एक्सिओम-4 मिशन के अनुभवों का अध्ययन गगनयान मिशन के लिए किया जा रहा : शुभांशु शुक्ला
धीरज अविनाश
- 18 Nov 2025, 06:53 PM
- Updated: 06:53 PM
नयी दिल्ली, 18 नवंबर (भाषा) अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने मंगलवार को कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के इंजीनियर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर एक्सिओम-4 मिशन के दौरान उनके अनुभवों का तुलनात्मक अध्ययन भारत की पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान गगनयान के लिए कर रहे हैं।
शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (आईएसएस) की यात्रा करने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री हैं। उन्होंने कहा कि गगनयान मिशन के लिए औपचारिक प्रशिक्षण जल्द ही शुरू होगा।
गगनयान मिशन के लिए चार भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों का चयन किया गया है और उन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह मिशन 2027 में होने की उम्मीद है, जब स्वदेश निर्मित एलवीएम-3 कम से कम दो अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में ले जाएगा।
भारतीय वायुसेना के पायलट से अंतरिक्ष यात्री बने शुक्ला ने कहा कि इसरो के इंजीनियर गगनयान मिशन और अन्य मानव अंतरिक्ष उड़ानों के बीच असमानताओं की पहचान कर रहे हैं, ताकि यदि कोई कमी रह गई हो तो उसका पता लगाया जा सके।
उन्होंने यहां भारतीय अंतरिक्ष संघ (आईएसपीए) द्वारा आयोजित भारत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष सम्मेलन के अवसर पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘ये मिशन इतने जटिल हैं कि आप जब कुछ भेजते हैं तो पूरी तरह सुनिश्चित होना चाहते हैं। यह गतिविधि बहुत तीव्रता से हो रही है। सभी प्रणालियों पर चर्चा की जा रही है, उनमें संशोधन किया जा रहा है। सिद्धांत की जांच की जा रही है।’’
शुक्ला ने कहा कि गगनयान मिशन एक सतत कार्यक्रम है और प्रशिक्षण तथा विकास कार्य साथ-साथ हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि गगनयान मिशन के लिए एक औपचारिक प्रशिक्षण प्रक्रिया होगी, लेकिन यह अन्य मिशनों की तरह विस्तारित नहीं होगी।
शुक्ला ने कहा, ‘‘जब मैंने एक्सिओम-4 के लिए प्रशिक्षण शुरू किया, तो यह मिशन तक चलता रहा। यह पहले गगनयान मिशन के लिए भी संक्षिप्त नहीं होगा।’’
अंतरिक्ष यात्री ने कहा कि वह एक्सिओम-4 मिशन के अपने अनुभव तथा कक्षीय प्रयोगशाला में 18 दिनों के प्रवास के दौरान प्राप्त प्रणालियों और सूचनाओं को इसरो इंजीनियरों के साथ साझा कर रहे हैं।
शुक्ला ने कहा कि एक्सिओम-4 मिशन का मुख्य लाभ यह है कि भारतीय इंजीनियर अपने कार्यों की तुलना उनके प्रवास के दौरान कक्षीय प्रयोगशाला में प्राप्त अनुभव से कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘अंतरिक्ष मिशन की समस्या यह है कि इसका कोई एक सही उत्तर नहीं है। आप इसे दस अलग-अलग तरीकों से कर सकते हैं। मैं बस यह जांच कर सकता हूं कि हम जो कर रहे हैं वह कितना मज़बूत है।’’
शुक्ला ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि जी-1 (गगनयान कार्यक्रम के तहत पहला मानवरहित मिशन) में हम जो कुछ भी कर रहे हैं, उसमें कोई प्रत्यक्ष बदलाव हो रहा है। हां, विश्लेषण हो रहा है और अगर हमें लगता है कि जरूरत है, तो बदलावों को शामिल किया जाएगा।’’
भाषा धीरज