हवा में मौजूद कण गठिया रोगियों के लिए नयी चुनौती बन रहा, एनसीआर के चिकित्सकों ने किया आगाह
सुभाष रंजन
- 19 Nov 2025, 04:48 PM
- Updated: 04:48 PM
नयी दिल्ली, 19 नवंबर (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी में तापमान में गिरावट और धुंध के साथ शीत ऋतु शुरू हो गया है तथा चिकित्सक स्वास्थ्य के लिए दोहरे खतरे के प्रति आगाह कर रहे हैं।
पिछले दो महीनों में, गठिया के रोगियों में जोड़ों के दर्द से जुड़े चिकित्सकीय परामर्श में वृद्धि हुई है, हालांकि दिल्ली में जोड़ों में दर्द के मामलों में समग्र वृद्धि को मापने वाला विशिष्ट आंकड़ा अब भी उपलब्ध नहीं है।
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के अस्थि रोग विशेषज्ञों के अनुसार, ‘यूरोपियन मेडिकल जर्नल’ में प्रकाशित 2025 के एक अध्ययन में पाया गया है कि लंबे समय तक सूक्ष्म कणों (पीएम 2.5) के संपर्क में रहने से गठिया रोग होने का खतरा 12 से 18 प्रतिशत तक बढ़ जाता है, जिससे यह चिंता और बढ़ जाती है कि खराब वायु गुणवत्ता और सर्द मौसम साथ मिलकर जोड़ों के दर्द और सूजन को काफी हद तक बढ़ा सकते हैं।
कई मामलों में, सर्दियों के मौसम के कारण जोड़ों के आसपास की मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं, रक्त प्रवाह धीमा हो जाता है और जोड़ों के आसपास के ऊतक सिकुड़ जाते हैं।
ये कारक ऑस्टियोआर्थराइटिस या रुमेटॉइड आर्थराइटिस के रोगियों में दर्द को बढ़ाने के लिए पर्याप्त हैं। साथ ही, शोध से पता चलता है कि वायु प्रदूषण इन स्थितियों को और बिगाड़ने में अहम भूमिका निभा सकता है।
पारस हेल्थ गुरुग्राम के डॉ. अरविंद मेहरा ने कहा, ‘‘पिछले कुछ हफ्तों में, गठिया की समस्याएं बढ़ी हैं, ख़ासकर बुज़ुर्गों और उन लोगों में, जिन्हें पहले से ही जोड़ों की समस्या है। सर्द मौसम के कारण जोड़ों के आस-पास रक्त की आपूर्ति कम हो जाती है, जिससे वे कठोर हो जाते हैं, जबकि सांस के ज़रिए शरीर में जाने वाले प्रदूषक सूजन पैदा करने वाले मार्ग को प्रभावित करते हैं जिससे दर्द और सूजन बढ़ सकती है।’’
उन्होंने कहा कि दोनों तरह के मरीजों पर सर्द और जहरीली हवा का यह संयोजन शरीर को अत्यधिक प्रभावित करता है।
डॉ. मेहरा ने कहा, ‘‘हम मरीजों को सलाह देते हैं कि वे खुद को गर्म रखें, अचानक होने वाली स्थिति से तुरंत निपटें, जोड़ों को गतिशील रखने के लिए हल्का व्यायाम करें और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से मिलें।
मैक्स हेल्थकेयर के रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट एंड रिकंस्ट्रक्शन विभाग के डॉ. साइमन थॉमस ने कहा, ‘‘हमने देखा है कि कैसे पर्यावरणीय कारक, विशेष रूप से जहरीली हवा और हमारे आस-पास का वातावरण, जोड़ों के स्वास्थ्य को वास्तव में प्रभावित करते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पीएम 2.5 जैसे सूक्ष्म वायु कण न केवल हमारे फेफड़ों को प्रभावित करते हैं, बल्कि हमारे रक्त में भी प्रवेश करते हैं, जिससे पूरे शरीर में सूजन हो सकती है और जोड़ों की समस्याएं बढ़ सकती हैं।’’
चिकित्सकों ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में इस साल सर्दियों के मौसम में एक अहम बात सामने आई है कि हमारा स्वास्थ्य उस हवा से जुड़ा हुआ है जो हम सांस लेते हैं।
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