अल फलाह समूह के अध्यक्ष सिद्दीकी के पास भारत से भागने के कई कारण : ईडी
शफीक नरेश
- 19 Nov 2025, 05:42 PM
- Updated: 05:42 PM
नयी दिल्ली, 19 नवंबर (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को अल फलाह समूह के अध्यक्ष जवाद अहमद सिद्दीकी को 13 दिनों के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में भेज दिया। वही, एजेंसी ने अदालत को बताया कि सिद्दीकी के पास भारत से भागने के कई ‘‘कारण’’ हैं क्योंकि उसके परिवार के करीबी सदस्य खाड़ी देशों में बसे हुए हैं।
सिद्दीकी को संघीय जांच एजेंसी ने मंगलवार रात फरीदाबाद स्थित अल फलाह विश्वविद्यालय समूह के खिलाफ दिनभर की छापेमारी के बाद गिरफ्तार किया था। यह विश्वविद्यालय 10 नवंबर को लाल किले के निकट हुए विस्फोट की जांच के केंद्र में है, जिसमें 15 लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हुए थे।
ईडी ने अदालत को बताया कि सिद्दीकी ने अपने ट्रस्ट द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्थानों के छात्रों के साथ ‘‘बेईमानी’’ से कम से कम 415 करोड़ रुपये की आय अर्जित की।
सिद्दीकी को मंगलवार-बुधवार की मध्यरात्रि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शीतल चौधरी प्रधान के आवास पर पेश किया गया। कार्यवाही रात करीब एक बजे तक चली।
एजेंसी ने हिरासत में पूछताछ के लिए सिद्दीकी की 14 दिन की रिमांड मांगी। अदालत ने उसे एक दिसंबर तक 13 दिन की ईडी की हिरासत में भेज दिया।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘दलीलों पर ध्यानपूर्वक विचार करने के बाद मेरी राय है कि पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) की धारा 19 के तहत पूरी तरह अनुपालन किया गया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अपराध की गंभीरता और जांच के प्रारंभिक चरण को देखते हुए, मैं यह उचित समझती हूं कि आरोपी को 13 दिन की अवधि के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया जाए।’’
विश्वविद्यालय की भूमिका एक ‘सफेदपोश’ आतंकी मॉड्यूल की जांच के दौरान सामने आई, जिसमें तीन डॉक्टरों सहित 10 लोगों को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
विश्वविद्यालय-सह-अस्पताल के एक डॉक्टर उमर नबी पर आरोप है कि उसने 10 नवंबर को विस्फोटकों से लदी एक कार चलाते हुए आत्मघाती हमलावर की भूमिका निभाई थी, जिसमें लाल किले के पास विस्फोट हुआ था।
एजेंसी ने अदालत को बताया कि सिद्दीकी के निर्देशन में विश्वविद्यालय और उसके नियंत्रक ट्रस्ट ने झूठे मान्यता दावों के आधार पर छात्रों और अभिभावकों को धन देने के लिए प्रेरित करके 415.10 करोड़ रुपये की आपराधिक आय अर्जित की।
सिद्दीकी के वकील ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल को इस मामले में झूठा फंसाया गया है और दिल्ली पुलिस की दोनों प्राथमिकी ‘‘झूठी और मनगढ़ंत’’ हैं।
जांच एजेंसी ने दावा किया कि सिद्दीकी की गिरफ्तारी आवश्यक थी क्योंकि उसके फरार होने और जांच में सहयोग न करने की आशंका थी।
ईडी ने अदालत को बताया, ‘‘आरोपी के पास पर्याप्त वित्तीय संसाधन और प्रभाव है और उसका गंभीर आर्थिक अपराधों का इतिहास रहा है। उसके करीबी रिश्तेदार भी खाड़ी देशों में बसे हुए हैं और उसके पास भारत से भागने के कई कारण हैं।
उसने कहा, ‘‘मौजूदा आरोपों की गंभीरता (जिसमें अपराध से अर्जित आय सैकड़ों करोड़ रुपये आंकी गई है) और पीएमएलए के तहत संभावित परिणामों को देखते हुए यह आशंका वाजिब है कि अगर उसे गिरफ्तार नहीं किया गया तो वह फरार हो सकता है या प्रभावी पूछताछ के लिए अनुपलब्ध रह सकता है, अपनी संपत्ति और खुद को अधिकार क्षेत्र से बाहर कर सकता है और जांच में देरी या बाधा उत्पन्न कर सकता है।’’
एजेंसी ने कहा कि सिद्दीकी संस्थापक और प्रबंध न्यासी है, जो अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट को ‘‘नियंत्रित’’ कर रहा था और अल फलाह विश्वविद्यालय तथा उसके संस्थानों पर वास्तविक प्रभाव रखता है।
इसने आरोप लगाया गया कि सिद्दीकी से हिरासत में पूछताछ ‘‘अपराध से अर्जित आय’’ का पता लगाने और उसका आकलन करने के लिए आवश्यक थी, जिसमें आयकर रिटर्न (आईटीआर) के आंकड़ों में अभी तक दिखाई नहीं देने वाली आय भी शामिल है और यह पीएमएलए के तहत समय पर कुर्की और जब्ती को सक्षम करने के लिए भी आवश्यक थी।
ईडी ने यह भी दावा किया कि सिद्दीकी के पास विश्वविद्यालय और ट्रस्ट के तहत अन्य संस्थानों के प्रवेश रजिस्टर, शुल्क बहीखाता, खातों और आईटी प्रणालियों को संभालने वाले कर्मचारियों पर ‘‘नियंत्रण’’ है और वह ‘‘रिकॉर्ड को नष्ट या बदल सकता है।’’
ईडी ने अदालत से सिद्दीकी की रिमांड मांगते हुए कहा कि पूरे अल फलाह शैक्षणिक तंत्र पर उसका नियंत्रण है और अब तक अपराध से अर्जित ‘‘415.10 करोड़ की राशि का केवल एक हिस्सा ही चिह्नित किया जा सका है।’’
ईडी ने अल फलाह समूह के खिलाफ धन शोधन निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज करने के लिए दिल्ली पुलिस की दो प्राथमिकियों का संज्ञान लिया है।
भाषा शफीक