बांग्लादेश निर्वाचन अधिकारी की गिरफ्तारी पर महुआ मोइत्रा की पोस्ट से राजनीतिक विवाद
देवेंद्र नरेश
- 19 Nov 2025, 10:04 PM
- Updated: 10:04 PM
कोलकाता, 19 नवंबर (भाषा) तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा ने बुधवार को बांग्लादेश के पूर्व निर्वाचन आयुक्त को सुरक्षाकर्मियों द्वारा ले जाए जाने की एक पुरानी तस्वीर पोस्ट करके विवाद खड़ा कर दिया।
इस तस्वीर के साथ उन्होंने शीर्षक लिखा, ‘‘आने वाले दिनों की झलक’’।
पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने संबंधी विपक्ष के आरोपों के बीच इस टिप्पणी को भारत के निर्वाचन आयोग के लिए एक अप्रत्यक्ष चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है।
यह पोस्ट छात्रों के विरोध के बाद अवामी लीग सरकार के पतन के बाद चुनाव में धांधली के मामले में बांग्लादेश के निर्वाचन अधिकारी की गिरफ्तारी से जुड़ी थी।
इस पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कृष्णानगर की सांसद पर निर्वाचन आयोग के प्रमुख की ‘‘ढाका शैली’’ में गिरफ्तारी का संकेत देने का आरोप लगाया।
‘एक्स’ पर साझा की गई इस तस्वीर को मोइत्रा ने ‘‘आने वाले दिनों की झलक’’ के संकेत के रूप में ऐसे समय में पेश किया है, जब उनकी पार्टी टीएमसी और ‘इंडिया’ गठबंधन ने भारत के निर्वाचन आयोग पर लगातार निशाना साधा है और आरोप लगाया है कि निर्वाचन आयोग प्रमुख ‘‘आगामी चुनावों में धांधली करने के लिए केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के साथ मिलीभगत कर रहे हैं।’’
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तुरंत पलटवार करते हुए दावा किया कि टीएमसी नेता ने एक संवैधानिक प्राधिकारी को ‘‘खुली धमकी’’ दी है और एसआईआर (विशेष गहन पुनरीक्षण) कवायद और 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले ‘‘भय फैलाने’’ में लिप्त हैं।
पार्टी नेताओं ने मोइत्रा पर ‘‘भारतीय राजनीति में बांग्लादेश जैसी अराजकता लाने का प्रयास’’ करने का आरोप लगाया और मांग की कि निर्वाचन आयोग इस मामले का संज्ञान ले।
भाजपा नेताओं ने इसे ‘‘लोकतांत्रिक प्रक्रिया में जनता के विश्वास को कम करने के लिए उकसाने’’ का मामला बताया।
भाजपा के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा, ‘‘टीएमसी ‘एसआईआर’ को लेकर भय फैलाने में लगी हुई है। निर्वाचन आयोग को इस तरह के भड़काऊ और अपमानजनक पोस्ट का संज्ञान लेना चाहिए। यह विडंबना है कि भ्रष्टाचार के आरोप के बाद अपनी संसद सदस्यता गंवाने वाला व्यक्ति दूसरों पर उंगली उठा रहा है।’’
मोइत्रा की दिसंबर 2023 में ‘नकदी लेकर सवाल पूछने’ के मामले में लोकसभा की सदस्यता समाप्त कर दी गई थी। हालांकि, अगले साल उसी कृष्णानगर सीट से जीतकर वह संसद के निचले सदन में लौट आईं।
तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने मोइत्रा का बचाव करते हुए कहा कि उनकी पोस्ट भाजपा नेतृत्व वाली सरकार के तहत “संस्थागत निष्पक्षता के क्षरण” और चुनावी पारदर्शिता को लेकर बढ़ती चिंता को उजागर करती है।
निर्वाचन आयोग की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
भाषा
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