ममता ने सीईसी को पत्र लिख ‘अव्यवस्थित, दबाव वाली’ एसआईआर प्रक्रिया रोकने की अपील की
प्रशांत अविनाश
- 20 Nov 2025, 07:41 PM
- Updated: 07:41 PM
कोलकाता, 20 नवंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बृहस्पतिवार को मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ फिर आवाज उठाते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार को पत्र लिख उनसे इस कवायद को तुरंत रोकने की मांग की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह “अनियोजित, दबाव डालने वाली और खतरनाक” है।
बनर्जी ने कहा कि उन्होंने मौजूदा एसआईआर प्रक्रिया को लेकर बार-बार अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं, और अब स्थिति “काफी बिगड़ जाने” के कारण उन्हें “मजबूर होकर” मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) को यह पत्र लिखना पड़ा है।
मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा, “यह प्रक्रिया जिस तरह अधिकारियों और नागरिकों पर थोपी जा रही है, वह न केवल अनियोजित और अव्यवस्थित है, बल्कि खतरनाक भी है। बुनियादी तैयारी, पर्याप्त योजना और स्पष्ट संचार के अभाव ने पहले दिन से ही पूरे अभियान को पंगु बना दिया है।”
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग ने “बुनियादी तैयारी, पर्याप्त योजना और स्पष्ट संवाद” के बिना ही एसआईआर प्रक्रिया अधिकारियों और नागरिकों पर थोप दी है। उनका कहना था कि प्रशिक्षण में गंभीर खामियां, अनिवार्य दस्तावेजों को लेकर भ्रम, और कार्य समय में बीएलओ के लिए मतदाताओं से मिल पाना “लगभग असंभव” होने जैसी समस्याओं ने पूरे अभियान को “संरचनात्मक रूप से कमजोर” बना दिया है।
उन्होंने मुख्य निर्वाचन आयुक्त से आग्रह किया कि वे “निर्णायक हस्तक्षेप” करें, जारी प्रक्रिया को रोका जाए, “जबरन” उपायों को बंद किया जाए, उचित प्रशिक्षण और समर्थन मुहैया कराया जाए, तथा वर्तमान कार्यप्रणाली और समयसीमा की “गहन पुनः समीक्षा” की जाए।
उन्होंने लिखा, “यदि इसे तुरंत नहीं सुधारा गया, तो प्रणाली, अधिकारियों और नागरिकों पर इसके ठीक नहीं हो सकने वाले प्रभाव होंगे।” उन्होंने इसे ऐसा समय बताया जब “जिम्मेदारी, मानवता और निर्णायक सुधारात्मक कार्रवाई” की जरूरत है।
तीन पन्नों का यह पत्र—जो अब तक के उनके सबसे तीखे पत्रों में से एक माना जा रहा है- मतदान केंद्र स्तरीय अधिकारियों की उस गंभीर स्थिति को दर्शाता है, जहां उन्हें “मानवीय सीमाओं से कहीं अधिक” काम में झोंक दिया गया है।
उन्होंने लिखा, “उनसे यह अपेक्षा की जा रही है कि वे अपने मूल कर्तव्यों—जिनमें कई शिक्षक और अग्रिमपंक्ति के कर्मी शामिल हैं—का निर्वहन करें और साथ ही घर-घर जाकर सर्वे करें तथा जटिल ई-प्रस्तुतियों को संभालें।”
उन्होंने लिखा कि प्रशिक्षण की कमी, सर्वर फेल होने और बार-बार डेटा मेल न खाने के कारण अधिकांश अधिकारी ऑनलाइन फ़ॉर्म भरने में परेशानी का सामना कर रहे हैं।
उन्होने कहा कि इसका परिणाम एक “आसन्न गतिरोध” होगा।
बनर्जी ने कहा, “इस रफ्तार से, यह लगभग तय है कि चार दिसंबर तक, कई चुनाव क्षेत्रों का वोटर डेटा सटीकता के साथ अपलोड नहीं किया जा सकेगा।”
उन्होंने कहा कि बहुत ज़्यादा दबाव और “सज़ा के डर” में, कई बीएलओ को गलत या अधूरा विवरण भरने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जिससे असली मतदाताओं के वोट छिनने और “मतदाता सूची की शुचिता खत्म होने” का खतरा है।
बनर्जी ने निर्वाचन आयोग की प्रतिक्रिया को समर्थन नहीं बल्कि धमकी बताते हुए उसकी तीखी आलोचना की।
उन्होंने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी का कार्यालय “बिना किसी वजह के कारण बताओ नोटिस” जारी कर रहा है, और “ज़मीनी हकीकत” को मानने के बजाय पहले से ही तनावग्रस्त बूथ स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) को अनुशासनात्मक कार्रवाई की धमकी दे रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एसआईआर में कुप्रबंधन की “मानवीय कीमत अब असहनीय हो गई है।” उन्होंने जलपाईगुड़ी में बूथ-स्तरीय अधिकारी के रूप में तैनात एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की मौत का हवाला दिया।
उन्होंने कहा कि मतदाता सूची के जिस पुनरीक्षण में पहले तीन वर्ष लगते थे, उसे अब “जबरन तीन महीनों में समेट दिया गया है”, जिससे “अमानवीय कार्य परिस्थितियां और डर तथा अनिश्चितता का माहौल” पैदा हो गया है।
मुख्यमंत्री के इस ताजा प्रहार पर निर्वाचन आयोग की ओर से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
भाषा प्रशांत