पाली हिल्स का बंगला नंबर 48 : सपनों का वह महल, जिसे गुरु दत्त ने अपने जन्मदिन पर ही तुड़वा दिया
गोला नरेश
- 09 Jul 2025, 02:13 PM
- Updated: 02:13 PM
नयी दिल्ली, नौ जुलाई (भाषा) मुंबई के पाली हिल्स में बंगला नंबर 48 कई लोगों के लिए सपनों का महल था लेकिन उसके मालिक एवं फिल्म निर्माता गुरु दत्त के लिए नहीं। उनकी पत्नी व गायिका गीता दत्त के लिए यह एक भूतिया जगह थी और गुरु दत्त को कभी उसमें शांति नहीं मिली, जिसकी उन्हें ताउम्र तलाश रही और आखिरकार उन्होंने अपने जन्मदिन पर ही इसे तुड़वा दिया।
इस महलनुमा घर की दिल तोड़ने वाली कहानी को दो किताबों बिमल मित्र की ‘‘बिछड़े सभी बारी बारी’’ और यासिर उस्मान की ‘‘गुरु दत्त : एन अनफिनिश्ड स्टोरी’’ में विस्तार से दर्ज किया गया है। यह महल गुरु दत्त और उनकी पत्नी के लिए कभी ‘घर’ नहीं बन पाया।
गुरु दत्त ने उस जमाने में यह बंगला एक लाख रुपये में खरीदा था और यह उनके लिए अनमोल धरोहर था, लेकिन जल्द ही यह घर उनके लिए परेशानियों का सबब बन गया। यही वह घर था जिसमें उन्होंने दो बार अपनी जान लेने की कोशिश की। उन्होंने 1963 में इस बंगले को तुड़वा दिया था और इसके एक साल बाद शराब और नींद की गोलियों के घातक मिश्रण से उनकी मौत हो गयी थी।
उस्मान ने गुरु दत्त के हवाले से लिखा है, ‘‘मैं हमेशा अपने घर में खुश रहना चाहता था। पाली हिल की सभी इमारतों में मेरा घर सबसे खूबसूरत है। उस घर में बैठकर ऐसा लगता ही नहीं कि आप बंबई में हैं। वह बगीचा, वह माहौल - और कहां मिलेगा? इसके बावजूद, मैं उस घर में ज़्यादा देर तक नहीं रह सका।’’
गुरु दत्त की बहन ललिता लाजमी के अनुसार गीता दत्त ने यह सुझाव दिया था कि उन्हें यह बंगला छोड़ देना चाहिए।
लाजमी ने गुरु दत्त और गीता दत्त के प्रेम संबंध शुरू होने से लेकर शादी टूटने तक के रिश्ते को करीब से देखा था। उन्होंने उस्मान की किताब में कहा, ‘‘वह (गीता) मानती थी कि बंगला भूतिया है। उस घर में एक पेड़ था और वह कहती थी कि उस पेड़ पर एक भूत रहता है, जो अपशकुन ला रहा है और उनकी शादीशुदा जिंदगी को बर्बाद कर रहा है। उन्हें उनके विशाल ड्रॉइंग रूम में रखी बुद्ध की एक मूर्ति से भी दिक्कत थी।’’
अवसाद से जूझने, वैवाहिक जीवन में दिक्कतों और अपनी पत्नी द्वारा इसे ‘कब्रिस्तान’ कहने के बाद मशहूर निर्देशक-अभिनेता ने अंतत: इसे ढहाने का मन बना लिया।
उस्मान की किताब के अनुसार, अपने जन्मदिन की सुबह गुरु दत्त ने मजदूरों को बुलाया और इस बंगले को तोड़ने का आदेश दिया। वह आलीशान बंगला, जिसमें उन्होंने शांति से रहने का ख्वाब देखा था और फिर बाद में वह अक्सर अपने स्टूडियो में बने 7x7 फुट के साधारण से कमरे में आराम करते पाए जाते थे।
लाजमी ने कहा, ‘‘मुझे याद है कि उनका जन्मदिन था। वह उस घर को बहुत प्यार करते थे और जब उसे गिराया गया तो वह टूट गए थे।’’
घर के अचानक ध्वस्त होने की कहानी का जिक्र लेखक और गुरु दत्त के करीबी दोस्त विमल मित्र ने भी किया, जिनके पास पाली हिल बंगले में बिताए समय की कई प्यारी यादें हैं।
विमल मित्र सबसे अधिक बिकने वाली बंगाली किताब ‘‘साहिब, बीबी और गुलाम’’ के लेखक थे, जिस पर गुरु दत्त ने फिल्म बनायी थी और प्रशंसकों से खूब प्रशंसा बटोरी थी।
जब मित्र गुरुदत्त के निमंत्रण पर बंबई (अब मुंबई) गए, तो उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि उन्हें उनके जाने-पहचाने पाली बंगले में नहीं, बल्कि एक साधारण किराए के फ्लैट में ले जाया गया। उन्हें जल्द ही पता चला कि वह घर ध्वस्त कर दिया गया है, लेकिन वह यह जानकर हैरान रह गए।
बाद में, गुरुदत्त उन्हें ध्वस्त हो चुके बंगला नंबर 48 पर ले गए। वहां कुछ भी पहले जैसा नहीं दिख रहा था।
हैरान-परेशान मित्र ने आखिरकार अपने दोस्त से पूछा कि उन्होंने इतना बड़ा कदम क्यों उठाया।
गुरु दत्त ने जवाब दिया, ‘‘गीता की वजह से... घर न होने की तकलीफ से, घर होने की तकलीफ और भयानक होती है।’’
जब मित्र ने यही सवाल गीता से पूछा, तो उसने बताया कि वह गेस्ट हाउस में सो रही थी और जोरदार आवाज़ सुनकर खिड़की से बाहर देखा तो पता चला कि मजदूरों ने पूरा घर तोड़ दिया था।
किताब में लिखा गया है, ‘‘मैंने तुरंत स्टूडियो में मौजूद गुरु को फ़ोन किया और बताया कि मजदूर घर तोड़ रहे हैं। गुरु दत्त ने जवाब दिया, ‘उन्हें करने दो’, मैंने उन्हें इसे पूरी तरह से गिराने के लिए कहा है।’’
“प्यासा”, “कागज़ के फूल” और “साहिब बीबी और गुलाम” जैसी फिल्मों के लिए भारतीय सिनेमा के महानतम फिल्मकारों में से एक माने जाने वाले गुरु दत्त की नौ जुलाई को 100वीं जयंती है। 1964 में महज 39 वर्ष की आयु में वह मृत पाए गए थे।
भाषा गोला