मक्का की ओर मुड़े किसान, सोयाबीन का राष्ट्रीय रकबा तीन लाख हेक्टेयर घटा : संगठन
हर्ष मनीषा
- 14 Aug 2025, 03:34 PM
- Updated: 03:34 PM
इंदौर (मध्यप्रदेश), 14 अगस्त (भाषा) प्रसंस्करणकर्ताओं के एक प्रमुख संगठन ने अनुमान जताया है कि मौजूदा खरीफ सत्र के दौरान देश में लगभग 115 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोया गया है और तिलहन फसल का यह रकबा पिछले सत्र के 118.32 लाख हेक्टेयर के मुकाबले करीब तीन लाख हेक्टेयर कम है।
संगठन के एक पदाधिकारी के मुताबिक, तिलहन फसल के बुआई क्षेत्र में इस गिरावट का बड़ा कारण परंपरागत रूप से सोयाबीन उगाने वाले कई किसानों का मक्का की खेती की ओर मुड़ना है।
इंदौर स्थित सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) ने इस तिलहन फसल की 13 अगस्त तक की स्थिति के आधार पर अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी की है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के प्रमुख सोयाबीन उत्पादक मध्यप्रदेश में 48.64 लाख हेक्टेयर में यह तिलहन फसल बोई गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र में 48.20 लाख हेक्टेयर, राजस्थान में करीब नौ लाख हेक्टेयर, कर्नाटक में 4.22 लाख हेक्टेयर, गुजरात में 2.73 लाख हेक्टेयर, तेलंगाना में 1.42 लाख हेक्टेयर, छत्तीसगढ़ में 13,500 हेक्टेयर और अन्य राज्यों में लगभग 79,000 हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई हुई है।
सोपा के कार्यकारी निदेशक डीएन पाठक ने बृहस्पतिवार को ‘‘पीटीआई-भाषा’’ को बताया,‘‘देश के कुछ प्रमुख सोयाबीन उत्पादक क्षेत्रों में कई किसानों ने इस बार खासकर मक्का की खेती को तरजीह दी, जबकि कुछ अन्य इलाकों में लगातार बारिश होने से इस तिलहन फसल की बुआई नहीं हो सकी। इसका सीधा असर सोयाबीन के रकबे में गिरावट के तौर पर देखने को मिला।’’
उन्होंने बताया कि मक्का से बनने वाले इथेनॉल और इस प्रक्रिया के बाद बचने वाले उप उत्पाद के कारण होने वाली कमाई भी किसानों को मक्का की खेती की ओर आकर्षित कर रही है। पाठक ने बताया कि इस उप उत्पाद का इस्तेमाल मवेशियों, सूअरों और मुर्गियों जैसे जानवरों के आहार में किया जाता है।
उन्होंने बताया कि फिलहाल देश में सोयाबीन की फसल की स्थिति कुल मिलाकर सामान्य है, हालांकि इसकी पैदावार अगले 60 दिनों में मौसम के हालात पर निर्भर करेगी।
केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सत्र 2025-26 के लिए सोयाबीन का एमएसपी 5,328 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। यह पिछले विपणन सत्र के 4,892 रुपये प्रति क्विंटल के सोयाबीन के एमएसपी के मुकाबले 436 रुपये प्रति क्विंटल अधिक है।
भाषा हर्ष