शांतिरक्षा प्रयासों का आधार बना हुआ है भारत, महिला शांतिरक्षा कर्मियों का अहम योगदान: संरा अधिकारी
सिम्मी नेत्रपाल
- 23 Feb 2025, 10:33 AM
- Updated: 10:33 AM
(योषिता सिंह)
संयुक्त राष्ट्र, 23 फरवरी (भाषा) संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षा प्रमुख ने कहा है कि भारत अंतरराष्ट्रीय एजेंसी के शांति प्रयासों का आधार बना हुआ है और इसकी महिला शांतिरक्षकों ने साबित किया है कि कि महिलाओं के अधिक प्रतिनिधित्व वाले मिशन के परिणाम बेहतर होते हैं और वे स्थायी शांति में योगदान देते हैं।
शांतिरक्षा अभियानों के लिए संयुक्त राष्ट्र के अवर महासचिव जीन-पियरे लैक्रोइक्स भारत द्वारा 24-25 फरवरी को आयोजित किए जा रहे ‘शांति स्थापना में महिलाओं की भूमिका बढ़ाना: एक ‘ग्लोबल साउथ’ अनुभव’ सम्मेलन में भाग लेने के लिए नयी दिल्ली की यात्रा करेंगे।
‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर आर्थिक रूप से कम विकसित देशों के संदर्भ में किया जाता है।
लैक्रोइक्स ने यहां ‘पीटीआई’ से एक विशेष साक्षात्कार में कहा, ‘‘भारत संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षा मिशन का आधार बना हुआ है’’ और ‘‘भारतीय महिला शांतिरक्षा कर्मी शांति स्थापना को नए सिरे से परिभाषित कर रही हैं।’’
उन्होंने कहा कि भारत में सम्मेलन में भाग लेना ‘‘सौभाग्य’’ की बात है।
लैक्रोइक्स ने कहा कि यह सम्मेलन ‘ग्लोबल साउथ’ के लगभग 50 देशों की महिला अधिकारियों को साथ लाएगा, जो शांति स्थापना में उभरती चुनौतियों और शांति एवं सुरक्षा को आगे बढ़ाने में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा करेंगी।
उन्होंने सम्मेलन से पहले लिखित साक्षात्कार में कहा, ‘‘शांतिरक्षा प्रयासों में महिलाओं की संख्या में वृद्धि का मतलब है- शांति स्थापना का अधिक प्रभावी होना। भारत लंबे समय से शांतिरक्षा अभियानों में महिलाओं, शांति और सुरक्षा को आगे बढ़ाने में अग्रणी रहा है। वह न केवल सैन्यकर्मियों और पुलिसकर्मियों के योगदान के मामले में अग्रणी है बल्कि यह लैंगिक समानता को आगे बढ़ाने, प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण में नेतृत्व और मिशन में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की प्रतिबद्धता के संदर्भ में भी सबसे आगे है।’’
लैक्रोइक्स ने कहा कि भारतीय महिला शांतिरक्षक कर्मियों की उपस्थिति ‘‘यह साबित करती है कि महिलाओं के अधिक प्रतिनिधित्व वाले मिशन समुदायों के साथ मजबूत संबंध बनाते हैं, इनके परिणाम बेहतर होते हैं और ये स्थायी शांति में योगदान करते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अनुकूल वातावरण बनाना, लैंगिक बाधाओं को दूर करना, शांतिरक्षकों का मानसिक कल्याण सुनिश्चित करना, रणनीतिक संचार को मजबूत करना और गलत सूचनाओं से निपटना प्राथमिकता बनी रहनी चाहिए। शांतिरक्षा में महिलाओं की भागीदारी केवल न्यायसंगत ही नहीं, बल्कि यह मिशन की सफलता के लिए एक अहम आवश्यकता भी है।’’
लैक्रोइक्स ने कहा, ‘‘भारत की महिला शांतिरक्षक संयुक्त राष्ट्र के शांतिरक्षा प्रयासों में अपरिहार्य साबित हुई हैं तथा उन्होंने दुनिया के कुछ सबसे चुनौतीपूर्ण संघर्ष क्षेत्रों में हमारे कर्मियों और स्थानीय समुदायों के बीच विश्वास कायम करने में मदद की है।’’
उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर योगदान देने के अलावा भारतीय महिला शांतिरक्षा कर्मी लैंगिक आधार पर समावेशी शांति स्थापना में भी अग्रणी हैं।
लैक्रोइक्स ने कहा कि सितंबर 2024 तक के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने 10 अभियानों में 153 महिलाओं समेत 5,384 कर्मियों का योगदान दिया है और वह संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में योगदान देने वाले शीर्ष देशों में शामिल है।
भाषा सिम्मी