नीतीश कटारा हत्याकांड: न्यायालय ने दोषी को सजा के बाद रिहा न करने के सरकार के रुख पर सवाल उठाए
प्रशांत मनीषा
- 25 Feb 2025, 05:19 PM
- Updated: 05:19 PM
नयी दिल्ली, 25 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली सरकार के इस कथन पर सवाल उठाया है कि वह सुखदेव यादव उर्फ पहलवान को बिना किसी छूट के उसकी वास्तविक सजा पूरी हो जाने के बावजूद रिहा नहीं करेगी, जो 2002 में कारोबारी नीतीश कटारा की हत्या के लिए 20 साल कैद की सजा काट रहा है।
न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने दिल्ली सरकार के गृह विभाग के सचिव को हलफनामा दायर कर शपथ पत्र देने का निर्देश दिया जिसमें कहा गया हो कि 20 वर्ष की वास्तविक जेल अवधि पूरी होने के बाद भी यादव को रिहा नहीं किया जाएगा।
पीठ ने दिल्ली सरकार के वकील से पूछा, “हमारा सवाल यह है कि क्या आपका मामला यह है कि 20 साल की वास्तविक कैद पूरी होने के बाद भी राज्य याचिकाकर्ता (यादव) को रिहा नहीं करेगा?”
वकील ने सकारात्मक जवाब दिया और कहा कि यादव को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
उच्चतम न्यायालय ने इस बात पर गौर किया कि उच्च न्यायालय ने छह फरवरी, 2015 को दिए अपने फैसले में यादव को “आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, जो कि छूट पर विचार किए बिना वास्तविक कारावास के 20 वर्ष के बराबर होगी” तथा उस पर 10,000 रुपए का जुर्माना लगाया था।
सोमवार को पीठ को बताया गया कि यादव जल्द ही अपनी 20 वर्ष की वास्तविक सजा पूरी कर लेगा।
पीठ ने दिल्ली सरकार के वकील से पूछा कि क्या कोई राज्य अदालतों द्वारा दिए गए फैसलों को इस तरह पढ़ेगा।
इसलिए पीठ ने गृह विभाग के सचिव को 28 फरवरी तक हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया। तीन मार्च को मामले की सुनवाई होगी।
उच्चतम न्यायालय ने 3 अक्टूबर 2016 को कटारा के अपहरण और हत्या में विकास यादव और उसके चचेरे भाई विशाल को उनकी भूमिका के लिए बिना किसी छूट के 25 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई थी।
इस मामले में सह-दोषी सुखदेव यादव उर्फ पहलवान को 20 वर्ष की जेल की सजा सुनाई गई।
उन्हें 16-17 फरवरी, 2002 की मध्य रात्रि में एक विवाह समारोह से कटारा का अपहरण करने तथा विकास की बहन भारती यादव के साथ उसके कथित संबंध के कारण उसकी हत्या करने का दोषी ठहराया गया था और सजा सुनाई गई थी।
भारती उत्तर प्रदेश के राजनीतिज्ञ डी.पी. यादव की पुत्री है।
अधीनस्थ अदालत ने कहा कि कटारा की हत्या इसलिए की गई क्योंकि विशाल और विकास यादव, भारती के साथ उसके संबंध को स्वीकार नहीं करते थे, क्योंकि वे अलग-अलग जातियों से थे।
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