सज्जन कुमार पर अदालती फैसले का स्वागत करते हैं, लेकिन मृत्युदंड दिया जाना चाहिए: दंगा पीड़ित
पारुल माधव
- 25 Feb 2025, 08:30 PM
- Updated: 08:30 PM
नयी दिल्ली, 25 फरवरी (भाषा) पीड़ितों, मारे गए लोगों के परिजनों और समुदाय के लोगों ने 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े हत्या के एक मामले में सज्जन कुमार को सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा का मंगलवार को स्वागत किया। हालांकि, उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पूर्व सांसद कुमार को मामले में मौत की सजा दी जानी चाहिए।
दिल्ली की एक विशेष अदालत ने एक नवंबर 1984 को जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या से जुड़े मामले में कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई। अदालत ने कहा कि “दो निर्दोष व्यक्तियों” की निर्मम हत्या बेशक कोई कम बड़ा अपराध नहीं है, लेकिन यह “दुर्लभतम मामला” नहीं है, जिसके लिए मौत की सजा दी जाए।
भारतीय कानून में हत्या के अपराध के लिए अधिकतम मृत्युदंड, जबकि न्यूनतम उम्रकैद की सजा देने का प्रावधान है।
शिकायकर्ता, जसवंत की पत्नी और सरकार ने मामले में अधिकतम सजा देने का अनुरोध किया था।
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महासचिव जगदीप सिंह कालोन ने न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और न्यायाधीशों के प्रति आभार जताया।
उन्होंने कहा, “सरस्वती विहार मामले को कई बार खोला गया, जिससे हममें उम्मीद जगी कि एक दिन न्याय मिलेगा। आखिरकार, आज निष्पक्ष रूप से सुनवाई हुई और जसवंत सिंह तथा तरुणदीप सिंह की हत्या के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा मिली।”
सिंह ने कहा, “हमने सज्जन कुमार को मृत्युदंड देने का अनुरोध किया था, लेकिन हम अदालत के फैसले को स्वीकार करते हैं।”
सिख विरोधी दंगों की गवाह रही कुजीत कौर ने दंगों के दौरान के खौफनाक मंजर को याद किया।
उन्होंने कहा, “हम कभी नहीं भूल सकते कि कैसे हमारे पिता और भाइयों को हमारी आंखों के सामने मार दिया गया। कुमार पहले से ही पालम मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था और इस बार हम उसके लिए मृत्युदंड चाहते थे।”
फैसले से पहले राउज एवेन्यू जिला अदालत परिसर के बाहर विरोध-प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे गुरलाद सिंह ने सरकार से आग्रह किया कि वह कुमार की उम्रकैद की सजा को बढ़ाकर मृत्युदंड किए जाने के अनुरोध को लेकर उच्च न्यायालय का रुख करे।
गुरलाद ने कहा, “हम मृत्युदंड से कम कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे। हम अदालत के फैसले से खुश नहीं हैं। हम सरकार से अपील करेंगे कि वह उच्च न्यायालय में जाए और सज्जन कुमार को मृत्युदंड देने का अनुरोध करे।”
एक अन्य दंगा पीड़ित ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “हम अदालत के फैसले का स्वागत करते हैं और 40 साल बाद न्याय देने के लिए न्यायपालिका की सराहना करते हैं, लेकिन हमारी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। कमल नाथ और जगदीश टाइटलर सहित अन्य आरोपियों को न्याय के कटघरे में न लाए जाने और मृत्युदंड न दिए जाने तक हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।”
भाषा पारुल