यमुना प्रदूषण: न्यायालय ने कहा, ‘बदली हुई परिस्थितियों’ में योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन संभव
देवेंद्र पवनेश
- 25 Feb 2025, 08:44 PM
- Updated: 08:44 PM
नयी दिल्ली, 25 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि ‘‘बदली हुई परिस्थितियों’’ के मद्देनजर यमुना नदी की सफाई जैसी योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन हो सकता है।
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ की यह टिप्पणी हाल में संपन्न विधानसभा चुनावों में दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार को भाजपा द्वारा सत्ता से बेदखल किये जाने के मद्देनजर महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
उच्चतम न्यायालय ‘प्रदूषित नदियों का उपचार’ शीर्षक से स्वतः संज्ञान लेकर एक मामले की सुनवाई कर रहा है, जिसमें वह यमुना नदी के प्रदूषण के मुद्दे से निपट रहा है।
न्यायमूर्ति गवई ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘‘मुझे लगता है कि अब बदली परिस्थितियों में योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन हो सकता है।’’
वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा, जो न्याय मित्र के रूप में उच्चतम न्यायालय की सहायता कर रही हैं, ने पहले कहा था कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) एक समिति के माध्यम से यमुना नदी से संबंधित मुद्दे की निगरानी कर रहा है।
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा जनवरी 2021 में मामले का स्वत: संज्ञान लेने के बाद अधिकरण ने समिति को भंग कर दिया।
पीठ ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि यमुना नदी में प्रदूषण से संबंधित कुछ अन्य याचिकाएं भी उच्चतम न्यायालय की एक अन्य पीठ के समक्ष लंबित हैं।
न्यायालय ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा कि वे प्राधिकारियों से पता लगाएं कि क्या इसी मुद्दे पर कोई अन्य याचिका लंबित है।
पीठ ने मामले की सुनवाई होली की छुट्टियों के बाद तय की।
न्याय मित्र ने कहा कि एनजीटी ने यमुना नदी के संबंध में विभिन्न अनुपालनों के संबंध में समय-समय पर निर्देश देते हुए कई आदेश पारित किए हैं।
उन्होंने कहा कि अधिकरण द्वारा गठित निगरानी समिति हरियाणा और दिल्ली के बीच सीवेज उपचार संयंत्रों और सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्रों की स्थापना के संबंध में किए जा रहे कार्यों की निगरानी कर रही है।
पीठ ने पूछा, ‘‘क्या हमें इसे एनजीटी को वापस भेज देना चाहिए?’’
न्यायमित्र ने सुझाव दिया कि एनजीटी द्वारा इसकी बेहतर निगरानी की जा सकती है।
पीठ ने कहा कि इन सभी मामलों को एक साथ जोड़ा जा सकता है।
पीठ ने कहा, ‘‘यदि आप सभी इस पर सहमत हैं तो आप निर्देश लें कि एनजीटी इसकी निगरानी कर सकता है या हम सीईसी (केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति) के माध्यम से इसकी निगरानी करा सकते हैं।’’
उच्चतम न्यायालय ने 13 जनवरी, 2021 को सीवेज अपशिष्ट से नदियों के प्रदूषित होने का संज्ञान लिया था और कहा था कि प्रदूषण मुक्त जल संवैधानिक ढांचे के तहत एक बुनियादी अधिकार है।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह सबसे पहले यमुना नदी के प्रदूषण के मुद्दे पर विचार करेगी।
भाषा
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