वकील ने आत्महत्या की धमकी दी तो शीर्ष अदालत ने उससे लिखित माफी मांगने को कहा
अमित माधव
- 03 Mar 2025, 10:01 PM
- Updated: 10:01 PM
नयी दिल्ली, तीन मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय में सोमवार को एक असामान्य स्थिति देखने को मिली जब न्यायालय के समक्ष पेश हुए एक वकील ने धमकी दी कि यदि एक आपराधिक मामले में उसकी याचिका स्वीकार नहीं की गयी तो वह आत्महत्या कर लेगा।
न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने वकील से कहा कि वह सात मार्च तक लिखित माफीनामा दाखिल करें अन्यथा परिणाम भुगतने को तैयार रहें।
पीठ ने सुनवाई सात मार्च को निर्धारित करते हुए कहा, ‘‘आज सुबह जब याचिका (रमेश कुमारन और अन्य बनाम पुलिस निरीक्षक और अन्य के माध्यम से राज्य) सुनवायी के लिए आयी। प्रथम याचिकाकर्ता (रमेश कुमारन), जो बार के सदस्य हैं, वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से पेश हुए और कहा कि यदि प्रतिवादी संख्या 2 के खिलाफ प्राथमिकी रद्द कर दी जाती है तो वे आत्महत्या कर लेंगे। हम यह सुनकर स्तब्ध हैं... हम उनसे बिना शर्त माफ़ी मांगने की उम्मीद करते हैं।’’
जब वीडियो कॉन्फ्रेंस के ज़रिए पेश हुए वकील ने बयान दिया, तो न्यायमूर्ति ओका ने कहा, ‘‘आप अदालत को कैसे धमकी दे सकते हैं कि अगर हम आपकी प्रार्थना स्वीकार नहीं करेंगे तो आप आत्महत्या कर लेंगे? आप एक वकील हैं... हम बार काउंसिल से आपका लाइसेंस निलंबित करने और प्राथमिकी दर्ज करने के लिए कहेंगे।’’
इसके बाद वकील ने अपना वीडिया कान्फ्रेंस लिंक कथित तौर पर बंद कर दिया। पीठ ने कहा, ‘‘अब वह चले गए हैं।’’ पीठ ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।
शीर्ष अदालत ने अदालत कक्ष में मौजूद उनके वकील से उनके आचरण के लिए माफी मांगने को कहा।
जब मामला फिर से सुनवायी के लिए आया, तो वकील वीडियो-कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश हुए और कहा, ‘‘मैं दिल से माफ़ी मांगता हूं। मैं भावुक हो गया था।’’ हालांकि, न्यायमूर्ति ओका ने कहा, ‘‘नहीं, हम शुक्रवार (7 मार्च) तक लिखित माफ़ी चाहते हैं।’’
हालांकि पीठ ने कहा कि वह वकील को माफ़ी मांगने के लिए मजबूर नहीं कर रही है, लेकिन उसने उसे अनुपालन नहीं करने की स्थिति में होने वाले परिणामों को लेकर आगाह किया।
कुमारन ने राघवेंद्रन नामक व्यक्ति के खिलाफ़ एक आपराधिक मामले के सिलसिले में अदालत का रुख किया था।
इस मामले में दोनों पक्षों की ओर से प्राथमिकी दर्ज करायी गई थीं।
मामले के बारे में अधिक जानकारी नहीं मिल पाई क्योंकि संबंधित वकील टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे।
भाषा अमित