चीन, मेक्सिको, कनाडा पर अमेरिकी शुल्क से भारतीय निर्यातकों को फायदा होगा : विशेषज्ञ
अनुराग अजय
- 04 Mar 2025, 06:12 PM
- Updated: 06:12 PM
नयी दिल्ली, चार मार्च (भाषा) अमेरिका द्वारा चीन, मेक्सिको और कनाडा पर उच्च शुल्क लगाए जाने से भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी बाजार में अपना निर्यात बढ़ाने में मदद मिलने की उम्मीद है। विशेषज्ञों ने यह राय जताई है।
उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों को लाभ हो सकता है उनमें कृषि, इंजीनियरिंग, मशीन उपकरण, परिधान, कपड़ा, रसायन और चमड़ा शामिल हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान जब अमेरिका ने चीनी वस्तुओं पर उच्च शुल्क लगाया था, तो भारत चौथा सबसे बड़ा लाभार्थी था।
ट्रंप प्रशासन मेक्सिको और कनाडा पर 25 प्रतिशत शुल्क लगा रहा है और यह मंगलवार से लागू हो गया है। अमेरिका ने चीन से सभी आयात पर शुल्क को दोगुना करके 20 प्रतिशत कर दिया है।
भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) के मनोनीत अध्यक्ष एस सी रल्हन ने कहा, “इससे कृषि, इंजीनियरिंग, मशीन उपकरण, परिधान, कपड़ा, रसायन और चमड़ा जैसे क्षेत्रों में भारतीय निर्यातकों को मदद मिल सकती है।”
शुल्क से चीन, मेक्सिको और कनाडा से अमेरिका को होने वाले निर्यात पर असर पड़ेगा क्योंकि इससे अमेरिकी बाजार में उनके उत्पादों की कीमतें बढ़ जाएंगी, जिससे वे कम प्रतिस्पर्धी हो जाएंगे।
उन्होंने कहा, “भारतीय निर्यातकों को इन अवसरों का लाभ उठाना होगा।”
आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने भी कहा कि व्यापार युद्ध में वृद्धि से भारत को अपना निर्यात बढ़ाने और अमेरिकी कंपनियों से निवेश आकर्षित करने में मदद मिलने की उम्मीद है।
इसमें कहा गया है कि चीनी उत्पादों पर उच्च शुल्क भारत के लिए अपने विनिर्माण क्षेत्र को मजबूत करने का अवसर प्रदान करते हैं।
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि ट्रंप इसकी शर्तों से असंतुष्ट थे और अपने पहले कार्यकाल के दौरान, 2018-19 में इसे यूएसएमसीए (अमेरिका-मेक्सिको-कनाडा एफटीए) से बदल दिया। उन्होंने दावा किया कि नाफ्टा पुराना हो गया है और अमेरिकी श्रमिकों को नुकसान पहुंचा रहा है।
श्रीवास्तव ने कहा, “अब, वह फिर से अपने ही इस कदम से नाखुश हैं और आज से कनाडा और मेक्सिको पर 25 प्रतिशत शुल्क लगा दिया है, जो यूएसएमसीए की शर्तों का उल्लंघन है। यह बातचीत के जरिये किए गए व्यापार समझौतों के प्रति उसकी उपेक्षा को उजागर करता है। ऐसी ही स्थिति से बचने के लिए, भारत को अमेरिका के साथ व्यापक एफटीए पर बातचीत करने में सावधानी बरतनी चाहिए।”
उन्होंने कहा, “इससे भी बुरी बात यह है कि वार्ता की मेज पर अमेरिका, भारत से न केवल शुल्क में कटौती की मांग कर सकता है, बल्कि अतिरिक्त रियायतें भी मांग सकता है, जैसे सरकारी खरीद खोलना, कृषि सब्सिडी कम करना, पेटेंट सुरक्षा को कमजोर करना और अप्रतिबंधित डेटा प्रवाह की अनुमति देना। हालांकि, भारत इन मांगों का दशकों से विरोध करता रहा है।”
श्रीवास्तव ने कहा कि “मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के स्थान पर भारत, अमेरिका से अधिकांश औद्योगिक उत्पादों पर शुल्क समाप्त करने का प्रस्ताव देकर अमेरिका को ‘शून्य-के-लिए-शून्य शुल्क’ समझौते पेश कर सकता है, बशर्ते अमेरिका भी भारतीय वस्तुओं के लिए ऐसा ही करे।”
भाषा अनुराग