बीएफआई ‘मौलिक’ कर्तव्यों को पूरा करने में विफल, मुक्केबाजी के लिए तदर्थ समिति की जरूरत : उषा
आनन्द मोना
- 04 Mar 2025, 06:47 PM
- Updated: 06:47 PM
नयी दिल्ली, चार मार्च (भाषा) भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की प्रमुख पीटी उषा ने मंगलवार को मुक्केबाजी के लिए तदर्थ समिति नियुक्त करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि राष्ट्रीय महासंघ पिछले एक साल में अपनी ‘मौलिक जिम्मेदारियों’ को पूरा करने में विफल रहा है और ‘व्यवस्था को बहाल करने तथा उचित प्रशासन सुनिश्चित करने’ के लिए उनका यह कदम जरूरी था।
उषा का यह बयान आईओए के उपाध्यक्ष गगन नारंग के 28 फरवरी के पत्र के जवाब में आया है। पूर्व ओलंपिक कांस्य विजेता निशानेबाज ने उन पर ‘मनमाने’ आदेश जारी करने और खिलाड़ियों के कल्याण को कम करने का आरोप लगाया था। नारंग आईओए कार्यकारी परिषद के सदस्य भी हैं।
आईओए के आदेश पर दिल्ली उच्च न्यायालय के स्थगन के बावजूद उषा अपनी रुख पर का दृढ़ता से कायम है।
भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) द्वारा दायर याचिका पर अदालत ने आईओए से जवाब मांगते हुए नोटिस जारी किया है।
उषा ने नारंग को भेजे जवाब में कहा, ‘‘...आपके (नारंग) इस दावे में कोई सच्चाई नहीं है कि इस निर्णय या मेरी ओर से किसी कथित मनमानी कार्रवाई के कारण खिलाड़ियों को नुकसान हो रहा है। तदर्थ समिति नियुक्त करने का निर्णय मनमाना नहीं था, बल्कि व्यवस्था बहाल करने, उचित प्रशासन सुनिश्चित करने और खिलाड़ियों के विकास को प्राथमिकता देने के लिए एक आवश्यक कदम था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण वास्तविकता यह है कि बीएफआई पिछले वर्ष राष्ट्रीय चैंपियनशिप आयोजित करने सहित अपनी मूलभूत जिम्मेदारियों को पूरा करने में विफल रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ एशियाई खेल (2026) नजदीक आ रहे हैं, ऐसे में नयी प्रतिभाओं की पहचान करने, होनहार मुक्केबाजों का चयन करने और भारत की पदक संभावनाओं को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण या अभ्यास कार्यक्रमों को लागू करने के लिए बहुत कम या कोई प्रयास नहीं किया गया है।’’
उषा लंबे समय से कई मुद्दों पर कार्यकारी परिषद के सदस्यों के साथ विवाद में रही हैं। उन्होंने कार्यकारी परिषद के सदस्यों पर भारतीय खेलों की समग्र भलाई के बजाय ‘व्यक्तिगत प्राथमिकताओं’ को तरजीह देने का आरोप लगाया है।
नारंग ने उन्हें पत्र लिखकर बीएफआई के संचालन के लिए तदर्थ समिति बनाने के उनके ‘मनमाने’ फैसले को वापस लेने की मांग की थी।
इस पूर्व निशानेबाज ने कहा था, ‘‘ऐसे मनमाने आदेश के कारण हमारे खिलाड़ियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है और हमें घरेलू तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम किया जा रहा है’’
आईओए ने 24 फरवरी को देश में मुक्केबाजी के मामलों की देखरेख के लिए पांच सदस्यीय तदर्थ समिति का गठन किया था। आईओ एक का आरोप है कि बीएफआई समय पर राष्ट्रीय महासंघ का चुनाव कराने में विफल रहा।
बीएफआई ने आईओए के फैसले को ‘अवैध’ करार दिया और आदेश को रद्द करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की।
नारंग ने यह भी दावा किया कि बीएफआई के संचालन के लिए तदर्थ समिति बनाने का उषा का फैसला ‘आईओए की कार्यकारी समिति के परामर्श या अनुमोदन के बिना’ किया गया था।
उन्होंने उषा से आदेश वापस लेने और विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए कार्यकारी समिति की आपातकालीन बैठक बुलाने का आग्रह किया था।
उषा ने आरोप लगाया, ‘‘ दुर्भाग्य से इन प्रयासों को आप साथ कार्यकारी समिति के अन्य सदस्यों ने बार-बार विफल किया है। इन सदस्यों ने लगातार सार्थक चर्चाओं को अवरुद्ध किया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ "मुझे ऐसा कोई वाक्या याद नहीं आता जब कार्यकारी समिति ने खिलाड़ियों के प्रदर्शन में सुधार लाने या भारत की पदक जीतने की क्षमता को बढ़ाने के उपायों को लागू करने के बारे में सक्रिय रूप से चर्चा की हो।
भाषा आनन्द