कांग्रेस विधान मंडल दल नेता ने विधायक निधि में दो करोड़ रुपये की वृद्धि की मांग की
सलीम पारुल
- 04 Mar 2025, 07:24 PM
- Updated: 07:24 PM
लखनऊ, चार मार्च (भाषा) उत्तर प्रदेश में कांग्रेस विधान मंडल दल की नेता आराधना मिश्रा ने मंगलवार को सरकार से विधायकों के वेतन को महंगाई सूचकांक से जोड़ने और उनकी निधि में दो करोड़ रुपये का इजाफा करने की मांग की।
मिश्रा ने विधानसभा में बजट पर चर्चा के दौरान यह मांग रखते हुए कहा, “सदन में 80 फीसदी विधायक ऐसे हैं, जो अपनी जिम्मेदारियां पूरी करने में सक्षम नहीं हैं। उन्हें अपने क्षेत्र के लोगों का काम करने के लिए 40-50 किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय जाकर पैरवी करनी होती है।”
मिश्रा ने कहा, “विधायकों को जो वेतन मिलता है, उसे या तो पूरी तरह समाप्त कर दिया जाए या फिर उसे कम से कम महंगाई सूचकांक से जोड़ दिया जाए, ताकि उन्हें बार-बार वित्तीय परेशानियों का सामना न करना पड़े।”
उन्होंने कहा, “महंगाई बढ़ रही है। विधायक निधि से जो एक किलोमीटर लंबी सड़क 20 या 30 लाख रुपये में बनती थी, अब वह 40 या 50 लाख रुपये में बन रही है। तो विधायक निधि कम से कम दो करोड़ रुपये बढ़ाकर सात करोड़ कर दी जाए। साथ ही प्रत्येक विधायक को 200 हैंडपंप आवंटित किए जाएं।”
मिश्रा ने बजट को लेकर सरकार पर तंज कसते हुए कहा, “वर्तमान बजट हाथी के दांत की तरह है। यह मात्र दिखाने के लिए है, बाकी इस बजट में कुछ भी नया और तर्कपूर्ण नहीं है। वित्तीय वर्ष 2024-25 का यह आखिरी महीना चल रहा है, लेकिन अभी तक पिछले बजट का मात्र 55 प्रतिशत ही खर्च हुआ है। चिकित्सा विभाग में 54 प्रतिशत, ऊर्जा विभाग में 60 प्रतिशत, लोक निर्माण विभाग में 50 प्रतिशत, कृषि विभाग में 50 प्रतिशत और शिक्षा विभाग में मात्र 60 प्रतिशत बजट ही खर्च हुआ है।”
कांग्रेस नेता ने कहा, “राजस्व अधिशेष की बात हमारे वित्त मंत्री जी हमेशा कहते हैं, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के जो आंकड़े हैं, उनके अनुसार वह यह बताना भूल जाते हैं कि देश का दूसरे नंबर का सबसे ज्यादा कर्जदार प्रदेश अगर कोई है, तो वह उत्तर प्रदेश है। इस राज्य पर 7.7 लाख करोड़ की देनदारी है और इस बजट में भी 51 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लेने की बात है। यानी प्रदेश में प्रति व्यक्ति 34,000 रुपये से अधिक का कर्ज है। वर्ष 2016-17 में यह 18,000 रुपये था।”
मिश्रा ने कहा, “यह जो बड़ा बजट दिया गया है, उसकी धनराशि कहां से आएगी? बजट में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के संग्रह में 57 प्रतिशत, राज्य उत्पादन शुल्क के संग्रह में 30 प्रतिशत और विद्युत कर एवं शुल्क के संग्रह में 16 प्रतिशत की वृद्धि की बात कही गई है। ये लक्ष्य कैसे पूरे किए जाएंगे। इसका प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष बोझ आम आदमी पर पड़ेगा।”
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