वास्तविक स्थिति का पता लगाने के लिए भेष बदलकर रेल यात्रा करें वैष्णव: राजद के मनोज झा ने दी सलाह
ब्रजेन्द्र मनीषा
- 10 Mar 2025, 06:01 PM
- Updated: 06:01 PM
नयी दिल्ली, 10 मार्च (भाषा) राज्यसभा के एक सदस्य ने सोमवार को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को रेलवे की वास्तविक स्थिति का पता लगाने के लिए भेष बदलकर यात्रा करने की सलाह दी तो वहीं एक अन्य सदस्य ने उन्हें ‘रील’ की बजाय रेल पर ध्यान देने का अनुरोध किया।
हालांकि, पूर्व प्रधानमंत्री और जनता दल (सेक्यूलर) के एच डी देवगौड़ा ने कहा कि विपक्षी सदस्य चाहे जो भी कहें लेकिन वैष्णव ‘सबसे ईमानदार’ रेल मंत्रियों में एक हैं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस मंत्रालय के लिए बहुत अच्छा चयन किया है।
उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 10 सालों में रेलवे के क्षेत्र में ‘अकल्पनीय’ काम हुआ है।
इससे पहले, राज्यसभा में रेलवे (संशोधन) विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मनोज कुमार झा ने कहा कि लोगों के मन में भारतीय रेल रची बसी हुई है और इसे इतना ‘आसमानी’ न बना दिया जाए कि वह लोगों की हाथों से दूर होती दिखे।
उन्होंने कहा, ‘‘वंदे भारत से हमें कोई विरोध नहीं है। बहुत चलाइए वंदे भारत, लेकिन जो पुरानी रेलगाड़ियां हैं और जिनमें 80 प्रतिशत आबादी आज भी सफर करती है, उन ट्रेनों की क्या हालत है उसे पर भी विचार करें।’’
हाल ही अपनी एक ट्रेन यात्रा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार रेलवे स्टेशनों और रेलों की सुंदरता पर बहुत खर्च कर रही है लेकिन आम आदमी को ‘खूबसूरत-चमचमाते’ स्टेशनों से क्या हासिल हो रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने एक दिन हल्के-फुल्के अंदाज में रेल मंत्री से कहा था कि आप अपना प्रशासनिक हमला लेकर के मत जाइए। भेष बदल करके आप श्रमजीवी, श्रम शक्ति, तमिलनाडु एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों में जाइए ताकि कोई आपको पहचान न सके। तो आपको फर्क पता चलेगा।’’
झा ने कहा कि बिहार से श्रमशक्ति, श्रमजीवी और जनसाधारण ट्रेनें चलती हैं जो पलायन की पीड़ा बयां करती हैं और इनके नाम से ही वहां की स्थिति का पता चल जाता है।
उन्होंने कहा कि ‘कवच’ की बहुत जरूरत होती है लेकिन इसके बावजूद अगर दुर्घटनाएं होती हैं तो यह चिंता की बात है।
महाकुंभ के दौरान नयी दिल्ली स्टेशन पर हुए रेल हादसे को उल्लेख करते हुए राजद सदस्य ने जिम्मेदारी तय करने पर जोर देने की बात कही।
उन्होंने महाकुंभ के दौरान प्रयागराज रेलवे स्टेशन के पारंपरिक कुलियों को नजरअंदाज कर आउटसोर्सिंग किए जाने का मुद्दा भी उठाया।
उन्होंने सरकार द्वारा रेलवे मार्गों के 100 प्रतिशत विद्युतीकरण किए जाने पर भी सवाल उठाया और कहा कि क्या यह सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए?
उन्होंने कहा कि रेलवे कभी सबसे अधिक रोजगार देता था लेकिन साल 2023 के आंकड़ों के मुताबिक रेलवे में 3 लाख 12 हजार गैर-राजपत्रित पद खाली पड़े हैं।
भाकपा के संदोष कुमार पी ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा, ‘‘मेरा मुख्य इरादा मंत्री जी और संबंधित अधिकारियों से यह आग्रह करने का है कि रेल पर ज्यादा दें ना कि ‘रील’ पर।’’
उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के 10 सालों के शासनकाल में 678 रेल दुर्घटनाएं हुई हैं। अप्रैल 2024 के बाद इस मार्च तक 29 दुर्घटनाएं हुई है। रेलवे दुर्घटनाएं दिन प्रतिदिन बढ़ ही रही हैं। इसके बड़े कारणों में यह कारण भी है कि रेलवे में सुरक्षा संबंधी 15 प्रतिशत पद खाली हैं। इसलिए मैं रेल मंत्री से आग्रह करूंगा कि वह इस पर ध्यान दें।’’
उन्होंने वंदे भारत ट्रेनों के कारण अन्य ट्रेन सवारी गाड़ियों को रोके जाने का मुद्दा उठाया और कहा कि इस पर लगाम लगाई जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि उन्हें वंदे भारत ट्रेनों से समस्या नहीं है लेकिन इसका किराया बहुत है और आम आदमी के लिए परेशानियों वाला है।
उन्होंने इस विधेयक को उच्च सदन की प्रवर समिति में भेजे जाने की मांग की।
बीजू जनता दल के सुभाशीष खूंटिया ने आरोप लगाया कि ओडिशा से रेलवे को सबसे अधिक राजस्व मिलता है लेकिन इसमें राज्य को बहुत कम राजस्व हासिल होता है।
तृणमूल कांग्रेस के प्रकाश चिक बराईक ने रेल की सुरक्षा पर जोर दिया और तत्काल प्रीमियम टिकट की कीमतों पर चिंता जताई।
उन्होंने कहा कि कभी-कभी तो यह कीमत हवाई जहाज के किराये के बराबर हो जाती है।
चर्चा में भाजपा के सिकंदर कुमार, धर्मशीला गुप्ता, गीता चंद्रप्रभा सहित कुछ अन्य सदस्यों हिस्सा लिया और वैष्णव के नेतृत्व में रेलवे द्वारा उठाए विभिन्न कदमों का उल्लेख किया और उनकी सराहना की।
भाषा ब्रजेन्द्र
ब्रजेन्द्र