सरकार तेलक्षेत्र संशोधन विधेयक के जरिये निजी कंपनियों को संरक्षण दे रही : विपक्षी दल
वैभव
- 12 Mar 2025, 04:59 PM
- Updated: 04:59 PM
नयी दिल्ली, 12 मार्च (भाषा) विपक्षी दलों ने बुधवार को लोकसभा में आरोप लगाया कि सरकार तेलक्षेत्र (विनियमन तथा विकास) संशोधन विधेयक, 2024 के जरिये निजी कंपनियों को संरक्षण दे रही है।
कांग्रेस के गोवाल पडवी ने विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा, ‘‘विधेयक में, सजा के प्रावधान को जुर्माने में तब्दील कर सरकार निजी कंपनियों को संरक्षण दे रही है और वह अपने पसंसदीदा कारोबारियों की हिफाजत करने की कोशिश कर रही है।’’
उन्होंने सरकार से इस पर स्पष्टीकरण देने की मांग की।
उन्होंने कहा, ‘‘विधेयक राज्य के अधिकार को कमजोर करने वाला है जबकि भारतीय राज्यों को खनन गतिविधियों पर कर लगाने का अधिकार है।’’
कांग्रेस सांसद ने उच्चतम न्यायालय के नौ न्यायाधीशों की पीठ के एक हालिया फैसले का हवाला देते हुए कहा कि राज्य सरकार को खनन गतिवधियों पर कर लगाने और रॉयल्टी वसूलने का अधिकार है।
उन्होंने कहा कि विधेयक निजी कंपनियों को खनन गतिविधियों में अधिक अधिकार प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि इससे सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में कुछ असहजता की स्थिति पैदा होगी और इस तरह के बड़े बदलाव से सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका प्रभावित होगी।
तृणमूल कांग्रेस की प्रतिमा मंडल ने कहा, ‘‘विधेयक में सर्वाधिक चिंता पैदा करने वाली बात यह है कि इसने तेल क्षेत्र पर वर्चस्व बनाने के लिए निजी कंपनियों के वास्ते द्वार खोल दिये हैं। बड़ी निजी कंपनियां बहुत कम सरकारी हस्तक्षेप के बीच उत्खनन करेंगी।’’
उन्होंने कहा कि विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि कोई भी बिना वैध पट्टे के खनन कार्य नहीं कर सकेगा, लेकिन यह (विधेयक) राज्य सरकार को उत्खनन की निगरानी या नियंत्रण की पर्याप्त शक्ति नहीं देता।
मंडल ने कहा कि इसका यह मतलब है कि प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण सरकार के हाथों से निजी कंपनियों के पास चला जाएगा।
मंडल ने कहा कि विधेयक में पर्यावरण सुरक्षा के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है और यह भारत के जलवायु लक्ष्यों के प्रतिकूल है।
समाजवादी पार्टी के रमाशंकर राजभर ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि विधेयक में किया गया संशोधन केवल कॉरपारेट जगत के लाभ के लिए नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘विधेयक से लगता है कि सरकार ने एक बार फिर अपने निवेश के नाम पर अपने कॉरपोरेट मित्रों को देश की प्राकृतिक संपदा तेल-गैस सौंपने का इंतजाम कर लिया है।’’
राजभर ने कहा कि 2023-24 में ओएनजीसी ने करीब 40,000 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया था, ऐसे में जब सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनिया मुनाफा कमा रही हैं तो क्या दिक्कत है।
उन्होंने यह भी कहा कि पेट्रोल कंपनियां सामाजिक दायित्व (सीएसआर) निधि आवंटित करने में भेदभाव कर रही हैं।
चर्चा में द्रमुक के डी एम काथिर आनंद, तेदेपा के कृष्णा प्रसाद तेन्नेटी और आईयूएमएल के ई टी मोहम्मद बशीर ने भी हिस्सा लिया।
भाषा सुभाष