नकदी विवाद: पुलिस के वीडियो के बाद सीजेआई ने आंतरिक जांच समिति गठित की
खारी नरेश
- 23 Mar 2025, 06:10 PM
- Updated: 06:10 PM
नयी दिल्ली, 23 मार्च (भाषा) पुलिस आयुक्त द्वारा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवास पर नोटों की जली हुई गड्डियों का वीडियो साझा किए जाने और दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा अपने प्रारंभिक निष्कर्षों में ‘‘गहन जांच’’ का आह्वान किए जाने के बाद भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना ने वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए एक समिति गठित की है।
एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति वर्मा के आवास से कथित रूप से बड़ी मात्रा में नकदी बरामद होने के संबंध में दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय की जांच रिपोर्ट को अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया, जिसमें संपूर्ण वीडियो और तस्वीरें हैं।
मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय की सीजेआई को दी गई रिपोर्ट में आधिकारिक संचार के संबंध में सामग्री शामिल है, जिसमें कहा गया है कि लुटियंस दिल्ली स्थित न्यायमूर्ति के आवास से रुपयों की चार से पांच अधजली बोरियां बरामद की गईं।
मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने शनिवार की शाम सार्वजनिक की गई 21 मार्च की अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘‘घटना की सूचना, उपलब्ध सामग्री और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के जवाब की जांच करने पर मुझे पता चला कि पुलिस आयुक्त ने 16 मार्च 2025 की अपनी रिपोर्ट में बताया कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवास पर तैनात गार्ड के अनुसार, 15 मार्च 2025 की सुबह जिस कमरे में आग लगी, वहां से मलबा और आंशिक रूप से जला हुआ अन्य सामान हटा दिया गया है....’’
उन्होंने कहा, ‘‘परिणामस्वरूप, मेरी प्रथम दृष्टया राय है कि पूरे मामले की गहन जांच की आवश्यकता है।’’
सीजेआई द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच समिति में न्यायमूर्ति शील नागू (पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश), जी एस संधावालिया (हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश) और कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति अनु शिवरमन शामिल हैं।
शनिवार को शीर्ष अदालत ने एक बयान में कहा, ‘‘फिलहाल दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को कोई भी न्यायिक कार्य न सौंपने के लिए कहा गया है।’’
हालांकि, तीन सदस्यीय जांच समिति द्वारा जांच पूरी करने के लिए कोई समयसीमा तय नहीं की गई है।
उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड की गई न्यायमूर्ति उपाध्याय की 25 पन्नों की जांच रिपोर्ट में हिंदी में दो संक्षिप्त नोट हैं, जिनमें जिक्र किया गया है कि 14 मार्च को न्यायमूर्ति वर्मा के आवास के ‘स्टोररूम’ में लगी आग को बुझाने के बाद चार से पांच अधजली बोरियां मिली हैं ‘‘जिनके अंदर भारतीय मुद्रा भरे होने के अवशेष मिले हैं।’’ रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि शॉर्ट-सर्किट के कारण आग लगी।
दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा द्वारा न्यायमूर्ति उपाध्याय के साथ साझा किए गए वीडियो में स्पष्ट रूप से जली हुई नकदी और आग बुझाते हुए अग्निशमनकर्मी दिखाई दे रहे हैं।
अपने जवाब में न्यायमूर्ति वर्मा ने नकदी बरामदगी विवाद में आरोपों की कड़ी निंदा की है और कहा है कि उनके या उनके परिवार के किसी भी सदस्य द्वारा ‘स्टोररूम’ में कभी भी कोई नकदी नहीं रखी गई।
दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को सौंपे गए अपने जवाब में, न्यायमूर्ति वर्मा ने कहा कि उनके आवास से नकदी बरामदगी का आरोप स्पष्ट रूप से उन्हें फंसाने और बदनाम करने की साजिश प्रतीत होता है।
न्यायमूर्ति वर्मा ने मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय को लिखे अपने जवाब में कहा, ‘‘उच्च न्यायालय के अतिथि गृह में बैठक के दौरान मुझे सबसे पहले वीडियो और अन्य तस्वीरें दिखाई गईं, जिन्हें पुलिस आयुक्त ने आपके साथ शेयर किया। वीडियो की सामग्री देखकर मैं पूरी तरह से चौंक गया क्योंकि उसमें कुछ ऐसा दिखाया गया था जो मौके पर नहीं मिला था, जैसा कि मैंने देखा था।’’
वर्मा ने जवाब में कहा, ‘‘इसी वजह से यह स्पष्ट रूप से मुझे फंसाने और बदनाम करने की साजिश है।’’
प्रधान न्यायाधीश के निर्देश पर शुरू की गई आंतरिक जांच के तहत दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा जवाब मांगे जाने के बाद न्यायमूर्ति वर्मा ने अपने बचाव में यह कहा।
उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया को आरोप लगाने और उन्हें बदनाम करने से पहले कुछ जांच करनी चाहिए थी। न्यायमूर्ति वर्मा ने कहा कि उन्हें ‘स्टोररूम’ में किसी भी नकदी के होने की जानकारी नहीं है।
न्यायमूर्ति ने कहा, ‘‘न तो मुझे और न ही मेरे परिवार के किसी सदस्य को नकदी के बारे में कोई जानकारी थी और न ही इसका मुझसे या मेरे परिवार से कोई संबंध है। मेरे परिवार के सदस्यों या उस घटना वाली रात को मौजूद कर्मचारियों को ऐसी कोई नकदी या मुद्रा नहीं दिखाई गई।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस आरोप का भी पुरजोर खंडन करता हूं और पूरी तरह से खारिज करता हूं कि हमने स्टोररूम से मुद्रा हटाईं। जैसा कि ऊपर कहा गया है, हमें न तो जली हुई मुद्रा की कोई बोरी दिखाई गई और न ही सौंपी गई। जैसा कि ऊपर कहा गया है, बचा-खुचा मलबा अभी भी आवास के एक हिस्से में मौजूद है।’’
घटना का वर्णन करते हुए, जस्टिस वर्मा ने कहा कि 14 और 15 मार्च की मध्यरात्रि में उनके आधिकारिक आवास के ‘स्टाफ क्वार्टर’ के पास स्थित ‘स्टोररूम’ में आग लग गई।
उन्होंने कहा कि इस कमरे का उपयोग आम तौर पर सभी लोग सामान रखने के लिए करते थे, जैसे कि अप्रयुक्त फर्नीचर, बोतलें, क्रॉकरी, गद्दे, इस्तेमाल किए गए कालीन, पुराने स्पीकर, बागवानी के उपकरण और साथ ही सीपीडब्ल्यूडी सामग्री।
अपने जवाब में न्यायमूर्ति ने कहा, ‘‘मैं स्पष्ट रूप से फिर से कहता हूं कि न तो मैंने और न ही मेरे परिवार के किसी सदस्य ने कभी भी उस ‘स्टोररूम’ में कोई नकदी या मुद्रा रखी। समय-समय पर की गई हमारी नकदी निकासी के रिकॉर्ड मौजूद हैं और हमेशा नियमित बैंकिंग माध्यम से जैसे कि यूपीआई एप्लिकेशन और कार्ड का उपयोग कर नकदी निकासी की गई है। जहां तक नकदी बरामदगी के आरोप का सवाल है, मैं एक बार फिर स्पष्ट करना चाहता हूं कि मेरे घर के किसी भी व्यक्ति ने कमरे में जली हुई मुद्रा देखने की कोई सूचना नहीं दी है।’’
भाषा खारी