नये युद्धक्षेत्र के मद्देनजर ‘अंतरिक्ष संस्कृति’ विकसित करना महत्वपूर्ण : सीडीएस
नेत्रपाल सुरेश
- 07 Apr 2025, 03:44 PM
- Updated: 03:44 PM
नयी दिल्ली, सात अप्रैल (भाषा) प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने सोमवार को कहा कि मानवता ऐसे युग के मुहाने पर खड़ी है, जहां अंतरिक्ष क्षेत्र युद्ध के एक नये मैदान के रूप में उभर रहा है।
उन्होंने ‘‘अंतरिक्ष संस्कृति’’ विकसित करने की भी वकालत की, जिसमें सिद्धांत, अनुसंधान और समर्पित युद्ध विद्यालय विकसित करने जैसे तत्व शामिल हों।
चौहान ने यहां भारतीय रक्षा अंतरिक्ष संगोष्ठी के तीसरे संस्करण में अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि ‘‘निकट भविष्य में सेनाओं के पास अपने स्वयं के अंतरिक्ष युद्ध स्कूल भी हों।’’
सदियों से सैन्य चरित्र किस प्रकार विकसित हुआ है तथा युद्ध में समुद्री और अंतरिक्ष संस्कृतियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, इस पर प्रकाश डालते हुए सीडीएस ने कहा कि अतीत में ‘‘समुद्री संस्कृति’’ के कारण ही पुर्तगाली, स्पेनिश, अंग्रेज या डच लोग विश्व पर हावी रहे होंगे।
सीडीएस ने कहा, ‘‘इसी तरह, अंतरिक्ष संस्कृति ने अमेरिका और यूरोपीय देशों को हवाई क्षेत्र में वर्चस्व स्थापित करने में मदद की। इन दोनों ही क्षेत्रों का युद्ध पर स्थायी प्रभाव पड़ा है। सैन्य शक्ति वास्तव में इस विशेष संस्कृति के विकास और इसके लिए क्षमताओं के निर्माण के इर्द-गिर्द केंद्रित रही।’’
जनरल चौहान ने कहा, ‘‘और आज हम एक ऐसे युग के मुहाने पर हैं, जहां अंतरिक्ष क्षेत्र युद्ध के एक नये मैदान के रूप में उभर रहा है, और यह युद्ध पर हावी होने जा रहा है। युद्ध के सभी तीन प्राथमिक तत्व (भूमि, समुद्र, वायु) अंतरिक्ष पर निर्भर होंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, जब हम कहते हैं कि अंतरिक्ष का इन तीन तत्वों पर प्रभाव पड़ने वाला है, तो यह महत्वपूर्ण है कि हम अंतरिक्ष को समझें। यह भविष्य में युद्ध की बुनियादी संरचना का निर्माण करने जा रहा है।’’
सीडीएस ने रेखांकित किया कि अंतरिक्ष संस्कृति ‘‘अंतरिक्ष के उपयोग पर नये विचारों’’ के बारे में है, जो नयी क्षमताओं के निर्माण की दिशा में ‘‘आगे बढ़ेगी’’।
भारतीय रक्षा अंतरिक्ष संगोष्ठी का आयोजन ‘इंडियन स्पेस एसोसिएशन’ (आईएसपीए) द्वारा मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान में किया गया।
सीडीएस ने अपने संबोधन में कहा कि अंतरिक्ष, ब्रह्मांड या ब्रह्मांड विज्ञान के बारे में बात करना हमेशा रोमांचक होता है।
भाषा नेत्रपाल