उडुपी के श्री कृष्ण मठ ने शुचिता बनाए रखने के लिए अपने परिसर में विवाह फोटोशूट पर रोक लगाई
रंजन रंजन पवनेश
- 11 Apr 2025, 04:33 PM
- Updated: 04:33 PM
उडुपी, 11 अप्रैल (भाषा) कनार्टक के उडुपी के श्री कृष्ण मठ की देखरेख करने वाले पर्याय पुट्टीग मठ ने धार्मिक स्थल की शुचिता का हवाला देते हुए मंदिर के रथबीड़ी (कार स्ट्रीट) परिसर में विवाह पूर्व और बाद के फोटोशूट पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है।
कर्नाटक और केरल के जोड़ो द्वारा विवाह फोटोग्राफी के लिए मंदिर के आसपास के क्षेत्र के चुनाव का चलन बढ़ने के बीच मठ प्रशासन का यह निर्णय सामने आया है।
मंदिर के अधिकारियों के अनुसार, सुबह-सुबह फोटोशूट की बढ़ती संख्या ने अनुचित व्यवहार और आध्यात्मिक वातावरण में व्यवधान की चिंताओं को जन्म दिया है।
मंदिर के एक पदाधिकारी और वैदिक विद्वान प्रो. गोपालाचार्य ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘रथबीड़ी केवल एक सार्वजनिक मार्ग नहीं है - यह एक पवित्र मार्ग है जिस पर सदियों से संतों, भक्तों और अष्ट मठों के पुरोहितों की कृपा रही है।’’
श्री कृष्ण मंदिर परिसर के चारों तरफ स्थित कार स्ट्रीट, दैनिक अनुष्ठानों, धार्मिक जुलूसों और वार्षिक उत्सवों में प्रमुख भूमिका अदा करता है। मंदिर के अधिकारियों ने कहा कि इसके आध्यात्मिक महत्व के कारण यहां रोमांटिक फोटो शूट उचित नहीं है, और यह धार्मिक भावनाओं के प्रति असम्मान के रूप में दृष्टिगोचर होता है।
गोलापाचार्य ने स्पष्ट किया कि इस निर्णय का उद्देश्य आगंतुकों या श्रद्धालुओं को हतोत्साहित करना नहीं है, बल्कि उन गतिविधियों को रोकना है जो मंदिर के श्रद्धाभाव वाले माहौल से मेल नहीं खाती हैं।
विवाह फोटोशूट पर प्रतिबंध का निर्णय इस सप्ताह से प्रभावी हो गया है।
मंदिर प्रबंधन ने फोटोग्राफरों और विवाह आयोजकों से नए निर्देश का सम्मान करने की अपील की है।
गोपालाचार्य ने कहा, ‘‘इस सदियों पुराने स्थल की शुचिता को बनाए रखना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।’’
तटीय कर्नाटक में एक प्रमुख तीर्थस्थल एवं सांस्कृतिक स्थल उडुपी के श्री कृष्ण मठ में हर साल हजारों श्रद्धालु एवं पर्यटक आते हैं। यह मंदिर 13वीं शताब्दी के दार्शनिक-संत माधवाचार्य द्वारा स्थापित आठ मठों में से एक है, जो शंकराचार्य (अद्वैत) रामानुजाचार्य (विशिष्टाद्वैत) और माधवाचार्य (द्वैत) के साथ ‘आचार्य त्रय’ में से एक थे।
पर्याय पुट्टीग मठ के प्रशासनिक सचिव प्रसन्नाचार्य ने बताया, ‘‘मंदिर परिसर न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी श्रद्धालुओं के बीच अत्यधिक पूजनीय है और यह शिक्षा का एक महान केंद्र है और इसकी शुचिता को संरक्षित एवं सुरक्षित किया जाना चाहिए।’’
भाषा रंजन रंजन