विवेकानंद रेड्डी हत्याकांड: न्यायालय ने आरोपी की जमानत रद्द करने की याचिका पर उसे नोटिस जारी किया
जितेंद्र मनीषा
- 15 Apr 2025, 04:43 PM
- Updated: 04:43 PM
नयी दिल्ली, 15 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2019 में हुई कांग्रेस के पूर्व सांसद वाईएस विवेकानंद रेड्डी की हत्या के मामले में एक आरोपी को जमानत दिये जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर मंगलवार को उससे जवाब तलब किया है।
प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के वकील और विवेकानंद की बेटी सुनीता नारेड्डी की ओर से पेश अधिवक्ता जेसल वाही की दलीलों पर गौर करते हुए यह आदेश पारित किया।
वाही ने आरोपी गज्जाला उदय कुमार रेड्डी को जमानत देने के तेलंगाना उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “नोटिस जारी किया जाए और इन याचिकाओं को लंबित याचिकाओं के साथ नत्थी किया जाए।”
सुनीता ने न्यायालय में याचिका दायर कर 21 अगस्त, 2024 को रेड्डी को दो लाख रुपये के निजी मुचलके पर नियमित रूप से जमानत देने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है।
रेड्डी को युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के कडप्पा से सांसद वाईएस अविनाश रेड्डी का करीबी सहयोगी माना जाता है।
याचिका के मुताबिक, “प्रतिवादी संख्या एक के खिलाफ गंभीर आरोप हैं क्योंकि वह मृतक की हत्या के साजिशकर्ताओं में से एक है। साथ ही उसने महत्वपूर्ण सबूतों को नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और सीबीआई अधिकारी के खिलाफ झूठी प्राथमिकी दर्ज कराई थी।”
याचिका में आरोपी की जमानत रद्द करने का अनुरोध करते हुए कहा गया कि मामले की सुनवाई शुरू होने वाली है और रेड्डी को इस ‘महत्वपूर्ण मोड़’ पर राहत दे दी गई।
उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सीबीआई द्वारा ए याचिका दायर की गई, जो मामले में दोनों पक्षों द्वारा दायर सिलसिलेवार मुकदमों का संकेत देती है।
पिछले साल 6 दिसंबर को शीर्ष अदालत ने सीबीआई और कडप्पा के सांसद वाई एस अविनाश रेड्डी के पिता वाई एस भास्कर रेड्डी से हत्या के मामले में उनकी जमानत के खिलाफ याचिका पर जवाब मांगा था।
इसके बाद अदालत ने सुनीता की याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें भास्कर रेड्डी को तेलंगाना उच्च न्यायालय द्वारा दी गई जमानत को रद्द करने की मांग की गई थी।
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी के चाचा विवेकानंद की मार्च, 2019 में कडप्पा जिले के पुलिवेंदुला में उनके घर पर हत्या कर दी गई थी।
वर्ष 2020 में इस मामले की जांच का जिम्मा संभालने वाली सीबीआई ने कई लोगों की संलिप्तता वाली एक जटिल साजिश का आरोप लगाया। 19 नवंबर, 2024 को शीर्ष अदालत ने सुनीता और सीबीआई अधिकारी राम सिंह द्वारा दायर दो अलग-अलग याचिकाओं पर आंध्र प्रदेश पुलिस और अन्य से जवाब मांगा।
याचिकाओं में सुनीता और हत्या की जांच में शामिल सीबीआई अधिकारी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की मांग की गई थी।
उन्होंने आरोप लगाया था कि राज्य पुलिस ने चल रही जांच को पटरी से उतारने के लिए उनके खिलाफ जवाबी प्राथमिकी दर्ज की और शीर्ष अदालत से आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने का आग्रह किया।
विवेकानंद के पूर्व निजी सहायक एम वी कृष्ण रेड्डी द्वारा दर्ज कराए गए आपराधिक मामले में सुनीता को सीबीआई अधिकारी सिंह के साथ आरोपी बनाया गया था।
शीर्ष अदालत ने एक अलग याचिका पर भी नोटिस जारी किया था, जिसमें पूर्व सांसद की 2019 की हत्या के आरोपियों में से एक वाई एस अविनाश को जमानत देने को चुनौती दी गई थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि उन्होंने सबूतों के साथ छेड़छाड़ की और मामले में एक सरकारी गवाह को लुभाने का प्रयास किया।
शीर्ष अदालत ने मामले से संबंधित कई याचिकाओं पर विचार किया है, जिसमें जमानत आदेशों को चुनौती और गवाहों को डराने-धमकाने के आरोप शामिल हैं। मामले में एक अन्य आरोपी डी शिवशंकर रेड्डी को दी गई नियमित जमानत के खिलाफ एक और याचिका दायर की गई थी।
इस मामले में कई उतार-चढ़ाव आए हैं, जिसकी शुरुआत 2019 में आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव से कुछ हफ़्ते पहले हुए अपराध से हुई, जिससे राजनीतिक मंशा का संदेह पैदा हुआ। शुरुआत में राज्य पुलिस द्वारा जांच की गई। मामला 2020 में सीबीआई को सौंप दिया गया और एजेंसी ने 16 अप्रैल, 2023 को वाई एस भास्कर को हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोप लगाते हुए गिरफ्तार कर लिया।
भाषा जितेंद्र