अदालत ने एमयूडीए भूमि आवंटन मामले में 'बी रिपोर्ट' के खिलाफ ईडी की याचिका पर फैसला टाला
अमित माधव
- 15 Apr 2025, 04:41 PM
- Updated: 04:41 PM
बेंगलुरु, 15 अप्रैल (भाषा) बेंगलुरु में जनप्रतिनिधियों के लिए एक विशेष अदालत ने मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूखंड आवंटन मामले में कर्नाटक लोकायुक्त पुलिस द्वारा दाखिल 'बी रिपोर्ट' के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका पर अपना आदेश मंगलवार को टाल दिया।
रिपोर्ट कहा गया है कि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कोई गलत काम नहीं किया है। हालांकि, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और शिकायतकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने रिपोर्ट को चुनौती देते हुए आपत्ति दर्ज करायी है और एक गहन जांच का अनुरोध किया है।
सुनवायी के दौरान पीठासीन न्यायाधीश संतोष गजानन भट ने कहा कि लोकायुक्त पुलिस द्वारा पूरी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद ही ‘बी रिपोर्ट’ पर निर्णय लिया जाएगा।
परिणामस्वरूप, अदालत ने कार्यवाही स्थगित कर दी और अगली सुनवाई सात मई के लिए निर्धारित की। अदालत ने एजेंसी द्वारा किए गए अनुरोध के बाद लोकायुक्त पुलिस को अपनी जांच जारी रखने की अनुमति भी दे दी।
इससे पहले, लोकायुक्त पुलिस की मैसूरु डिवीजन ने सिद्धरमैया और तीन अन्य के खिलाफ आरोपों की जांच के आधार पर एक प्रारंभिक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।
हालांकि, अदालत ने कहा कि जांच सिर्फ चार व्यक्तियों तक सीमित नहीं होनी चाहिए और पुलिस को इसमें शामिल सभी लोगों की जांच करने तथा एक व्यापक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
यह मामला एमयूडीए द्वारा भूखंड के आवंटन में कथित अनियमितताओं से संबंधित है, जिसमें मुख्यमंत्री सिद्धरमैया पर अपने पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया है।
आरोप लगाया गया है कि आवासीय भूखंडों का आवंटन नियमों और प्रक्रियाओं का उल्लंघन करके किया गया, जिससे सिद्धरमैया के परिवार के सदस्यों सहित कुछ व्यक्तियों को संभावित रूप से लाभ हुआ।
कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा द्वारा दायर की गई शिकायत के बाद लोकायुक्त ने जांच शुरू की।
बाद में एक 'बी रिपोर्ट' दायर की गई - जो दर असल एक क्लोजर रिपोर्ट थी, जिसमें गलत काम किये जाने के कोई सबूत नहीं होने का संकेत दिया गया था। इसमें कहा गया है कि आरोपियों के खिलाफ मामला चलाने के लिए पर्याप्त सामग्री नहीं है। हालांकि, अब इस रिपोर्ट को चुनौती दी गई है। ईडी और शिकायतकर्ता दोनों ने दलील दी है कि मामले के महत्वपूर्ण पहलुओं को नजरअंदाज किया गया या ठीक तरह से जांच नहीं की गई।
भाषा अमित