तमिलनाडु के राज्यपाल ने कुलपतियों की बैठक बुलाई, उपराष्ट्रपति को आमंत्रित किया
नोमान सुरेश
- 22 Apr 2025, 04:27 PM
- Updated: 04:27 PM
चेन्नई, 22 अप्रैल (भाषा) तमिलनाडु के राज्यपाल आर. एन. रवि ने राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की एक बैठक बुलाई है, जिसके उद्घाटन सत्र को संबोधित करने के लिए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को आमंत्रित किया गया है।
रवि का यह फैसला ऐसे वक्त हुआ है जब राज्यपाल और द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (द्रमुक) सरकार के बीच तल्खी भरे रिश्ते हैं और हाल में उच्चतम न्यायालय का फैसला तमिलनाडु सरकार के पक्ष में आया है।
नीलगिरि जिले में 25 और 26 अप्रैल को होने वाली इस बैठक को लेकर यहां के राजनीतिक दलों, खासकर वाम दलों की ओर से नकारात्मक प्रतिक्रिया आ चुकी है, जिन्होंने कुलपतियों से बैठक का बहिष्कार करने की अपील की है।
एक सूत्र ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि उपराष्ट्रपति का उद्घाटन सत्र के दौरान कुलपतियों को संबोधित करने का कार्यक्रम है और वह इसके अलावा अन्य कार्यक्रमों में भी भाग लेंगे तथा फिर 27 अप्रैल को कोयंबटूर का दौरा करेंगे, जिसके बाद वह राष्ट्रीय राजधानी के लिए रवाना हो जाएंगे।
यहां राजभवन से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, तमिलनाडु के राज्य, केंद्रीय और निजी विश्वविद्यालयों/संस्थानों के कुलपतियों का वार्षिक सम्मेलन लगातार चौथे वर्ष राजभवन, उदगमंडलम में आयोजित किया जा रहा है।
विज्ञप्ति में कहा गया है, “भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 25 अप्रैल को मुख्य अतिथि बनने और सम्मेलन का उद्घाटन करने की सहमति दे दी है। तमिलनाडु के राज्य विश्वविद्यालयों के राज्यपाल-कुलाधिपति आर एन रवि सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे।”
सम्मेलन में कई मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाएगा और इसमें संवाद सत्र भी होंगे। जिन मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाएगा, उनमें राष्ट्रीय क्रेडिट ढांचा, विश्वविद्यालयों के बीच शैक्षणिक सहयोग व कृत्रिम मेधा का उपयोग समेत अन्य विषय शामिल हैं।
गौरतलब है कि धनखड़ ने उच्चतम न्यायालय के फैसले के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त की थी और कहा था कि अनुच्छेद 142 न्यायपालिका के लिए लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ परमाणु मिसाइल बन गया है।
कुलपतियों की बैठक उच्चतम न्यायालय के उस फैसले के बाद हो रही है, जिसमें राज्य विधानसभा द्वारा पुनः पारित 10 विधेयकों को ‘स्वीकृति-प्राप्त’ मान लिया गया है। इनमें कुलपतियों की नियुक्ति और मुख्यमंत्री को विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति बनाने संबंधी विधेयक शामिल हैं।
एक हफ्ते पहले मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने राज्य संचालित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और कुलसचिवों (रजिस्ट्रार) को संबोधित किया था।
बैठक बुलाने के लिए राज्यपाल की निंदा करते हुए द्रमुक की सहयोगी विदुथलाई चिरुथिगल काची (वीसीके) प्रमुख टी. थिरुमावलवन ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुसार, मुख्यमंत्री ने राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को नियुक्त करने का अधिकार ग्रहण कर लिया है और अब इस संबंध में रवि की कोई भूमिका नहीं रह गई है।
एक अन्य सहयोगी, तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी (टीएनसीसी) के अध्यक्ष के सेल्वापेरुन्थगई ने कहा कि उनकी पार्टी रवि के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करेगी और 25 अप्रैल को उपराष्ट्रपति एवं राज्यपाल की नीलगिरि यात्रा के दौरान काले झंडे भी दिखाएगी।
बैठक बुलाने को लेकर राज्यपाल की आलोचना करते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सचिव पी षणमुगम ने कहा कि कुलपतियों को बैठक में आमंत्रित करके रवि जानबूझकर टकराव भड़का रहे हैं, क्योंकि अब उनके पास बैठक आयोजित करने का अधिकार नहीं है।
उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “यह न सिर्फ उच्चतम न्यायालय के फैसले की अवमानना है, बल्कि संवैधानिक मानदंडों का गंभीर उल्लंघन भी है।”
उन्होंने राज्य सरकार से कुलपतियों को बैठक में शामिल न होने का निर्देश देने की मांग की।
भाषा नोमान