महाराष्ट्र ने आईटीआई को वैश्विक स्तर के उत्कृष्ट प्रशिक्षण केंद्रों में तब्दील करने की नीति पेश की
जितेंद्र धीरज
- 13 May 2025, 08:12 PM
- Updated: 08:12 PM
मुंबई, 13 मई (भाषा) महाराष्ट्र सरकार ने सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) को वैश्विक स्तर के उत्कृष्ट केंद्रों में तब्दील करने के उद्देश्य से मंगलवार को एक नयी सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) नीति को मंजूरी दी।
कौशल विकास मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि इस नीति का उद्देश्य विद्यार्थियों को अंतरराष्ट्रीय उद्योग की मांगों के अनुरूप अत्याधुनिक कौशल प्रदान करना और रोजगार बाजार में नौकरी पाने की उनकी संभावना में सुधार करना है।
लोढ़ा ने इस नीति को कौशल विकास क्षेत्र में महाराष्ट्र द्वारा अहम भूमिका निभाने वाला एक ‘ऐतिहासिक कदम’ बताया।
उन्होंने बताया, “यह भागीदारी न केवल रोजगार के अवसर सृजित करेगी, बल्कि राज्य के आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी। महाराष्ट्र उद्योग-अनुकूल व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए एक वैश्विक मॉडल बनने के लिए तैयार है।”
लोढ़ा ने कहा कि महाराष्ट्र परिवर्तन संस्थान (मित्र) इस पहल में रणनीतिक भागीदार होगा।
उन्होंने कहा, “नई नीति में निजी क्षेत्र के साथ पाठ्यक्रम विकास, बुनियादी ढांचे के उन्नयन और उन्नत प्रशिक्षण प्रौद्योगिकियों में सहयोग कर आईटीआई का आधुनिकीकरण करने की परिकल्पना की गई है।”
मंत्री ने कहा, “यह नीति अग्रणी कंपनियों, औद्योगिक संघों और परोपकारियों को सरकार के साथ साझेदारी करने, प्रशिक्षण सुविधाओं में निवेश करने और अपनी कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) के माध्यम से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करती है।”
लोढ़ा ने कहा कि दो लाख से अधिक आईटीआई विद्यार्थियों को वैश्विक रूप से प्रासंगिक प्रशिक्षण से लाभ होगा।
उन्होंने कहा कि नई स्वीकृत पीपीपी नीति अभिनव, अद्यतन पाठ्यक्रम पेश करेगी और हमारे युवाओं को वैश्विक रोजगार के अवसरों से जोड़ेगी।
कौशल विकास मंत्री ने कहा, “आईटीआई लंबे समय से व्यावसायिक शिक्षा प्रणाली के रूप में राज्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं लेकिन अब उन्हें पुराने बुनियादी ढांचे, सीमित वित्त और प्रशिक्षण की गुणवत्ता में अंतर जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।”
उन्होंने कहा, “इन मुद्दों के समाधान और उच्च कुशल कार्यबल की भविष्य में मांग को पूरा करने के लिए, इन संस्थानों को एक दूरदर्शी पीपीपी मॉडल के माध्यम से पुनर्जीवित करना आवश्यक है।”
भाषा जितेंद्र