अरुणाचल प्रदेश की सीमा तिब्बत से लगती है, चीन से नहीं: मुख्यमंत्री पेमा खांडू
शोभना नरेश
- 09 Jul 2025, 05:05 PM
- Updated: 05:05 PM
नयी दिल्ली, नौ जुलाई (भाषा) चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू का कहना है कि ये नाम बदलने का खेल है, वरना हकीकत ये है कि हमारे राज्य की सीमा चीन से नहीं बल्कि तिब्बत से लगती है।
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने यह बात ‘पीटीआई वीडियो’ के साथ साक्षात्कार में कही।
खांडू ने साक्षात्कार में कहा कि अगर यह तथ्यात्मक रूप से अज्ञानतापूर्ण लगता है तो जरा दोबारा विचार करें। वास्तव में अरुणाचल प्रदेश की 1,200 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा तिब्बत से लगती है, चीन से नहीं।
उनका यह बयान क्षेत्र की संवेदनशीलता और अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावे तथा राज्य के स्थानों के बार-बार नाम बदलने के उसके रुख के बीच आया है।
जब खांडू से कहा गया कि अरुणाचल प्रदेश की चीन से 1,200 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है तो उन्होंने तुरंत हस्तक्षेप करते हुए कहा, ‘‘ यहां मैं आपकी गलती सुधार दूं। हमारी सीमा तिब्बत के साथ लगती है, चीन के साथ नहीं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आधिकारिक तौर पर तिब्बत अब चीन के अधीन है। इससे इनकार नहीं किया जा सकता लेकिन मूल रूप से हम तिब्बत के साथ सीमा साझा करते हैं। और अरुणाचल प्रदेश में हम तीन अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को साझा करते हैं - भूटान के साथ लगभग 150 किलोमीटर, तिब्बत के साथ लगभग 1,200 किलोमीटर, जो देश की सबसे लंबी सीमाओं में से एक है, और पूर्वी हिस्से में म्यांमा के साथ लगभग 550 किलोमीटर।’’
मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत का कोई भी राज्य सीधे तौर पर चीन के साथ सीमा साझा नहीं करता केवल तिब्बत के साथ करता है और उस क्षेत्र पर चीन ने 1950 के दशक में जबरन कब्जा कर लिया था।
खांडू ने कहा कि ऐतिहासिक तथ्य इस बात की पुष्टि करते हैं कि यह भारत-तिब्बत सीमा थी और उन्होंने 1914 के शिमला समझौते का हवाला दिया जिसमें ब्रिटिश भारत, चीन और तिब्बत के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था।
अरुणाचल प्रदेश में स्थानों को अपने हिसाब से नाम देने की चीन की आदत पर उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश ने एक बार नहीं बल्कि पांच बार स्थानों का नाम बदला है।
खांडू ने कहा, ‘‘ मुझे लगता है कि पिछली बार जब उन्होंने अरुणाचल प्रदेश में कई जगहों का नाम बदला था... अगर मैं गलत नहीं हूं तो मुझे लगता है कि यह उनका पांचवां प्रयास था। इसलिए यह हमारे लिए आश्चर्य की बात नहीं है। हम चीन की आदत जानते हैं और मुझे लगता है कि आधिकारिक तौर पर विदेश मंत्रालय इस से निपटता है और उन्हें (चीन) को जवाब दिया है।’’
भाषा शोभना