आतंक पर आस्था भारी, श्रद्धालु ने मध्य प्रदेश से अमरनाथ तक की पहली कांवड़ यात्रा की
प्रशांत पवनेश
- 09 Jul 2025, 06:02 PM
- Updated: 06:02 PM
(अनिल भट्ट)
उधमपुर, नौ जुलाई (भाषा) बाधाओं को पार करते हुए तथा भक्ति से प्रेरित होकर हरनाम प्रसाद 105 दिनों से जबलपुर से अमरनाथ गुफा मंदिर तक 6,700 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर रहे हैं, जो कि एक अत्यंत असामान्य कांवड़ यात्रा है। उनका कहना है कि आस्था ने तीर्थयात्रा पर जाने वाले प्रत्येक तीर्थयात्री के मन से भय को दूर कर दिया है।
हिमालय पर्वतमाला पर 3,880 मीटर ऊंचे मंदिर के लिए 38 दिवसीय तीर्थयात्रा तीन जुलाई को घाटी से दो मार्गों से शुरू हुई थी - अनंतनाग जिले में पारंपरिक 48 किलोमीटर लंबा नुनवान-पहलगाम मार्ग और गंदेरबल जिले में 14 किलोमीटर लंबा छोटा लेकिन अधिक ढलान वाला बालटाल मार्ग। यात्रा नौ अगस्त को समाप्त होगी।
गुफा मंदिर में दर्शन करने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या एक लाख से अधिक हो गई है।
अपनी आध्यात्मिक यात्रा के 105वें दिन, 21 वर्षीय प्रसाद अपने तीन मित्रों के साथ, अमरनाथ गुफा मंदिर में स्थित पूज्य नन्देश्वर महादेव को अर्पित करने के लिए जबलपुर के गवरी घाट से कांवड़ में पवित्र जल लेकर यात्रा के अंतिम चरण में जम्मू-कश्मीर के उधमपुर पहुंचे।
बजरंगबली के झंडे के साथ अपने कंधों पर चार पात्रों में जल लेकर चल रहे प्रसाद का दावा है कि यह हिमालय के गुफा मंदिर की उनकी पहली कांवड़ यात्रा है, जिसे पारंपरिक रूप से भगवान शिव के बर्फ के ‘लिंगम’ के लिए जाना जाता है।
प्रसाद ने कहा, “मैं 105 दिनों में 6,700 किलोमीटर से ज्यादा पैदल चलकर आज उधमपुर पहुंच गया हूं। यह यात्रा किसी दिव्य अनुभव से कम नहीं है। मुझे कोई डर नहीं, बस आस्था है। बाबा बर्फानी की ऊर्जा ने मेरी रक्षा की है और यात्रा को सुखद और आनंददायक बनाया है।”
उनकी यात्रा में रामेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन भी शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि भोलेनाथ की यात्रा के दौरान भय और आतंक जैसे शब्द भुला दिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि आस्था ने गुफा मंदिर की यात्रा पर आने वाले प्रत्येक तीर्थयात्री के मन से भय को दूर कर दिया है। उन्होंने कहा, “तीर्थयात्रियों की भीड़ उन आतंकवादियों को करारा जवाब है, जिन्होंने पहलगाम में कायरतापूर्ण हमला किया।”
जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्थाओं के लिए गहरा आभार व्यक्त करते हुए, प्रसाद ने स्थानीय लोगों के आतिथ्य और मार्ग पर प्रदान की गई सुरक्षा की सराहना की। उन्होंने कहा, “जम्मू-कश्मीर के प्रवेश बिंदु लखनपुर से लेकर, व्यवस्थाएं उत्कृष्ट हैं। माहौल शांतिपूर्ण है।”
प्रसाद ने कहा कि वह गौमाता और भगवान शिव की भक्ति में चल रहे हैं और महादेव का आध्यात्मिक आह्वान ही उन्हें यहां तक लेकर आया है। उन्होंने यात्रा को दिव्य और ऐतिहासिक बताते हुए कहा, “कश्मीर शिव और शक्ति की भूमि है”।
सामुदायिक रसोई और कांवड़ शिविरों से मिल रहे उदार सहयोग से खुश प्रसाद ने कहा कि उन्हें इस यात्रा में मिले प्यार और प्रोत्साहन से वे अभिभूत हैं। उन्होंने कहा, “लोग भोजन और आश्रय देने के लिए आगे आते हैं। भोलेनाथ की इस पवित्र यात्रा का हिस्सा बनना एक दिव्य अनुभूति है।”
उनकी तरह, जम्मू शहर के शुभम कुमार भी अमरनाथ गुफा की पैदल यात्रा पर अकेले हैं। वे प्राकृतिक रूप से बने बर्फ के शिवलिंग की पूजा करने के लिए जम्मू से चेनानी पहुंचे। वे देश के युवाओं के लिए एक सामाजिक संदेश भी लेकर जा रहे हैं—नशामुक्त समाज का आह्वान।
उन्होंने कहा, “मैं बाबा अमरनाथ जी के दर्शन के लिए जम्मू से पैदल यात्रा पर आया हूं। मैं केवल एक संदेश लेकर निकला हूं - कि आज के युवा, जो भटक गए हैं और नशे की लत में फंस गए हैं, उन्हें इससे दूर होने की जरूरत है।”
फिलिपीन की एक महिला तीर्थयात्री ने भी जारी यात्रा के अपने सकारात्मक अनुभव साझा किए और अधिकारियों द्वारा प्रदान की गई सुरक्षा और सुविधाओं की सराहना की।
उन्होंने कहा, “मैं अमरनाथ यात्रा करना चाहती थी। यह मेरा सपना था।”
उन्होंने कहा, “लेकिन पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद डर का माहौल था। अब यहां कोई डर या आतंक नहीं है। सब कुछ शांतिपूर्ण और सुरक्षित है। मेरी इच्छा पूरी होगी।”
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