लांसेट ने प्लास्टिक से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों पर नजर रखने के लिए परियोजना शुरू की
प्रीति सिम्मी
- 04 Aug 2025, 10:24 AM
- Updated: 10:24 AM
नयी दिल्ली, चार अगस्त (भाषा) शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों के एक अंतरराष्ट्रीय समूह ने प्लास्टिक के कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों पर नजर रखने के उद्देश्य से एक पहल की है।
इस समूह ने इस परियोजना की शुरुआत उस समय की जब रासायनिक पदार्थों को नियंत्रित करने के लिए दुनिया की पहली संधि पर हस्ताक्षर किए जाने से पहले अंतिम दौर की वार्ता होने वाली है।
'द लांसेट काउंटडाउन ऑन हेल्थ एंड प्लास्टिक' शीर्षक वाली इस पहल के साथ एक 'हेल्थ पॉलिसी' भी जारी की गई है। यह ‘पॉलिसी’ ‘द लांसेट’ पत्रिका में प्रकाशित हुई है। इस पहल में यह समीक्षा की गई है कि वर्तमान में उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर माइक्रोप्लास्टिक और प्लास्टिक से जुड़े रासायनिक पदार्थ किस तरह लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।
संयुक्त राष्ट्र (यूएन) द्वारा स्थापित अंतर-सरकारी वार्ता समिति के सदस्यों सहित विशेषज्ञों की टीम ने ‘हेल्थ पॉलिसी’ का दस्तावेज तैयार किया।
‘यूएन ग्लोबल प्लास्टिक्स संधि’ कानूनी रूप से बाध्यकारी एक दस्तावेज है, जिसका उद्देश्य प्लास्टिक के उत्पादन से लेकर इसके उपयोग तथा निपटान तक के चक्र को नियंत्रित करना है।
अंतर-सरकारी वार्ता समिति के पांचवें सत्र के दूसरे भाग की बैठक पांच से 14 अगस्त तक स्विट्जरलैंड के जिनेवा में आयोजित की जाएगी। इस बैठक का शीर्षक ‘आईएनसी 5.2’ है। सत्र के पहले भाग की बैठक दक्षिण कोरिया के बुसान में नवंबर-दिसंबर 2024 में आयोजित की गई थी।
‘द लांसेट’ दस्तावेज में विशेषज्ञों की टीम ने यह संभावना जताई की 2060 तक प्लास्टिक का उत्पादन तीन गुना हो जाएगा।
विशेषज्ञों ने बताया कि प्लास्टिक के उत्पादन, उपयोग या निपटान की प्रक्रिया के दौरान इसके संपर्क में आने से स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है। उन्होंने कहा कि उत्पादन के दौरान होने वाले उत्सर्जन से वायुमंडल में पीएम2.5 कण मिलते हैं, जिससे प्रदूषण बढ़ता है।
विशेषज्ञों ने बताया कि खतरनाक रसायनों के साथ-साथ सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड भी निकलते हैं और श्रमिक इनके संपर्क में आते हैं।
टीम ने प्लास्टिक के घटकों और विषाक्तता के संबंध में पारदर्शी संचार की कमी का भी जिक्र किया।
अध्ययन के दौरान मनुष्य के मस्तिष्क और प्रजनन अंगों सहित शरीर के अन्य हिस्सों से प्राप्त ऊतकों में माइक्रोप्लास्टिक्स पाया गया। यह इन सामग्रियों के व्यापक प्रभाव को दर्शाता है।
माइक्रोप्लास्टिक्स को हृदय और तंत्रिका संबंधी जोखिमों से जोड़ा गया है और इस संदर्भ में लगातार साक्ष्य सामने आए हैं।
विशेषज्ञों ने कहा कि प्लास्टिक और इससे स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बीच संबंध को समझने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है तथा ‘‘सावधानीपूर्ण दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है।’’
भाषा प्रीति