बीआरएस ने बिहार में एसआईआर को 'गैर जरूरी कवायद' बताया, मत पत्रों से चुनाव की मांग की
नोमान अविनाश
- 05 Aug 2025, 10:00 PM
- Updated: 10:00 PM
हैदराबाद/नयी दिल्ली, पांच अगस्त (भाषा) बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को "गैर जरूरी कवायद" करार देते हुए, भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने मंगलवार को आगाह किया कि इससे बड़े पैमाने पर मतदाताओं के नाम हटाए जा सकते हैं, विशेष रूप से प्रवासी और वंचित समुदायों के।
भारत के निर्वाचन आयोग (ईसीआई) को औपचारिक रूप से प्रस्तुत एक अभ्यावेदन में, बीआरएस ने संवैधानिक निकाय से चुनावी शुचिता और समान अवसर को प्रभावित करने वाली महत्वपूर्ण चिंताओं का समाधान करने का आग्रह किया।
पार्टी ने एक विज्ञप्ति में कहा कि ज्ञापन में चार प्रमुख मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है: बिहार में चल रहा मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण, पार्टी द्वारा मतपत्रों से चुनाव कराने की मांग, बार-बार एक जैसे स्वतंत्र चुनाव चिह्नों का दुरुपयोग, जिससे पार्टी की पहचान कमजोर होती है और आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) के उल्लंघन के संबंध में पिछले ज्ञापनों पर कार्रवाई न करना।
इसमें कहा गया है, "बीआरएस ने बिहार में मतदाता सूची के एसआईआर की असामयिक और लक्षित प्रकृति पर गंभीर आशंकाएं व्यक्त की हैं। पार्टी ने एसआईआर प्रक्रिया को, खासकर चुनावों के मद्देनजर, गैर जरूरी बताया और आगाह किया कि इससे बड़े पैमाने पर मतदाताओं के नाम कट सकते हैं, खासकर प्रवासी और वंचित समुदायों के मतदाताओं के नाम।”
बीआरएस ने कहा कि रोजगार की तलाश में अलग-अलग राज्य जाने वाले प्रवासी मजदूरों का मताधिकार से वंचित होना बेहद चिंताजनक है और मतदाता पात्रता के लिए आधार और मतदाता पहचान पत्र जैसे दस्तावेज ही पर्याप्त होने चाहिए।
तेलंगाना के विपक्षी दल ने वर्तमान एसआईआर को वापस लेने की मांग की।
बीआरएस ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) के निरंतर उपयोग पर भी चिंता व्यक्त की, तथा कथित तौर पर बढ़ते जन अविश्वास और अंतरराष्ट्रीय उदाहरणों का हवाला दिया।
बीआरएस ने अपने पत्र में उल्लेख किया, "बीआरएस पार्टी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के इस्तेमाल को लेकर संदेह के बारे में अपनी गंभीर चिंता व्यक्त करना चाहती है। पिछले कुछ वर्षों में इस संबंध में मीडिया में कई खबरें सामने आई हैं। कई राजनीतिक दलों, कार्यकर्ताओं और मतदाताओं ने भी ईवीएम के इस्तेमाल को लेकर अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं।"
भाषा
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