बलात्कार के आरोपी की अमेरिका में रहने वाली पत्नी को भारत में रहने के आदेश पर रोक
वैभव शोभना
- 08 Aug 2025, 02:55 PM
- Updated: 02:55 PM
नयी दिल्ली, आठ अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें बलात्कार के एक आरोपी की अमेरिका में कार्यरत पत्नी को कहा गया कि अगर उसका पति नौकरी के लिए विदेश जाना चाहता है, तो उसे ‘कोलेटरल’ के रूप में भारत में रहना होगा।
न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर द्वारा दायर अपील पर राजस्थान सरकार को नोटिस जारी किया, जिस पर शादी का वादा करके एक महिला से बलात्कार करने का आरोप है।
शीर्ष अदालत ने व्यक्ति को विदेश यात्रा के लिए दो लाख रुपये की जमानत राशि जमा करने का भी निर्देश दिया।
इंजीनियर की ओर से पेश हुए वकील अश्विनी दुबे ने दलील दी कि पत्नी न तो आरोपी है और न ही मामले में पक्षकार।
उन्होंने कहा कि राजस्थान उच्च न्यायालय ने कोई नोटिस जारी नहीं किया था, लेकिन उसने याचिकाकर्ता को रोकने का आदेश पारित कर दिया।
दुबे ने तर्क दिया, ‘‘पत्नी, जो न तो आरोपी है और न ही उसका पक्ष सुना गया है, को विदेश यात्रा करने से रोका गया है वो भी केवल इस काल्पनिक आशंका को दूर करने के लिए कि पति फरार हो जाएगा।’’
याचिका में कहा गया है कि उच्च न्यायालय ने ‘प्रक्रियात्मक अनियमितता’ का स्पष्ट उल्लंघन करते हुए और उसकी पत्नी, जो वर्तमान में अमेरिका में कार्यरत है को सुने या पक्षकार बनाए बिना, और इस तथ्य की अनदेखी करते हुए कि वह आपराधिक मामले का हिस्सा नहीं थी, उसे भारत में ही रहने का निर्देश दिया।
यह भी तर्क दिया गया कि उच्च न्यायालय का निर्देश ‘त्रुटिपूर्ण’ था और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
यह निर्देश प्रक्रियात्मक अनियमितता और कानूनी विकृतियों से ग्रस्त बताया गया है, क्योंकि प्रभावित व्यक्ति को सुनवाई का अवसर दिए बिना ही इसे पारित कर दिया गया।
याचिका के अनुसार, ‘‘याचिकाकर्ता के पास भारतीय पासपोर्ट है और वह भारतीय नागरिक है, किसी अन्य देश का नागरिक नहीं है और वह अमेरिका स्थित महावाणिज्य दूतावास के नियंत्रण में रहेगा और उसके फरार होने की कोई संभावना नहीं है क्योंकि वह कार्य वीजा पर अपनी आजीविका कमाने के लिए विदेश जाना चाह रहा है, इसलिए उसके फरार होने का कोई सवाल ही नहीं उठता।’’
पीठ को सूचित किया गया कि याचिकाकर्ता एक निश्चित अवधि के लिए यात्रा करेगा और शपथ पत्र में यह कहने के लिए तैयार है कि वह निर्देश मिलने पर सुनवाई के लिए उपलब्ध रहेगा।
याचिका में कहा गया है, ‘‘मुकदमे में देरी का कोई सवाल ही नहीं है और न ही उसके फरार होने का।’’
इस व्यक्ति पर अजमेर के क्रिश्चियनगंज थाने में बलात्कार का मामला दर्ज किया गया था। उस पर आरोप है कि वह विवाह के लिए जीवनसाथी चुनने में मदद करने वाली एक वेबसाइट पर एक महिला से मिला और शादी का वादा करके चार साल तक उसके साथ घनिष्ठ संबंध में रहा।
भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 69 ‘‘छलपूर्ण तरीकों आदि का इस्तेमाल करके यौन संबंध बनाने’’ के अपराध से संबंधित है, और इसमें धोखेबाजी के तरीकों की परिभाषा में ‘‘नौकरी या पदोन्नति का झूठा वादा, पहचान छिपाकर प्रलोभन देना शामिल है।
गिरफ्तारी की आशंका में, उसने अग्रिम जमानत याचिका दायर की, जिसे स्वीकार कर लिया गया।
इसके बाद उसने विदेश में नौकरी करने की अनुमति के लिए निचली अदालत में अर्ज़ी दी।
निचली अदालत ने उसकी याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद उसने इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी।
उच्च न्यायालय ने उसे विदेश जाने की अनुमति तो दे दी, लेकिन एक शर्त लगाई कि उसकी पत्नी भारत में ही रहेगी।
भाषा वैभव