भाजपा आरक्षण की सीमा बढ़ाने वाले तेलंगाना के विधेयक में बाधा उत्पन्न कर रही है: कांग्रेस
सुरभि नेत्रपाल
- 10 Aug 2025, 11:39 AM
- Updated: 11:39 AM
नयी दिल्ली, 10 अगस्त (भाषा) कांग्रेस ने रविवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) तेलंगाना में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 67 प्रतिशत करने संबंधी विधेयक को कानून बनने से रोकने में ‘‘बाधाएं’’ खड़ी कर रही है। इसने पूछा कि विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी चार महीने से बाद भी क्यों नहीं मिली है।
कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने दावा किया कि इससे सामाजिक न्याय के प्रति भाजपा की प्रतिबद्धता उजागर हो गई है।
रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘नौ नवंबर, 2023 को बिहार विधानसभा ने अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) एवं आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) के लिए आरक्षण बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने वाला विधेयक पारित किया। विधान परिषद ने 10 नवंबर, 2023 को ऐसा किया। राज्यपाल द्वारा स्वीकृति दिए जाने के बाद विधेयक 21 नवंबर, 2023 को औपचारिक रूप से कानून बन गया।’’
उन्होंने कहा कि तेलंगाना विधानसभा ने 17 मार्च, 2025 को अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और पिछड़े वर्गों (बीसी) के लिए आरक्षण बढ़ाकर 67 प्रतिशत (जिसमें से 42 प्रतिशत आरक्षण बीसी के लिए है) करने वाला विधेयक पारित किया।
रमेश ने कहा, ‘‘विधान परिषद ने एक दिन बाद ही इसे पारित कर दिया। 30 मार्च, 2025 को राज्यपाल ने विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेज दिया, लेकिन चार महीने से अधिक समय बीत चुका है और अब भी मंजूरी का इंतजार है।’’
उन्होंने कहा कि बिहार अधिनियम तब अस्तित्व में आया जब नीतीश कुमार जनता (यूनाइटेड) (जद-यू), राष्ट्रीय जनता दल (राजद) एवं कांग्रेस की सरकार का नेतृत्व कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन बिहार की सामाजिक वास्तविकताओं को देखते हुए भाजपा राज्यपाल से विधेयक को मंजूरी में देरी या उसे पटरी से उतारने की स्थिति में नहीं थी। यह ध्यान देने योग्य बात है कि राज्यपाल ने विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए नहीं भेजा।’’
रमेश ने कहा, ‘‘हालांकि, तेलंगाना में भाजपा निश्चित रूप से बाधाएं खड़ी कर रही है, जिससे सामाजिक न्याय के प्रति उसकी प्रतिबद्धता उजागर हो रही है। वरना राष्ट्रपति की मंजूरी चार महीने से ज्यादा समय तक क्यों रुकी रहती?’’
भाषा सुरभि