सिद्धरमैया की सिफारिश पर मंत्री के. एन. राजन्ना को कर्नाटक मंत्रिमंडल से किया गया बर्खास्त
राजकुमार सुरेश
- 11 Aug 2025, 09:06 PM
- Updated: 09:06 PM
(फोटो के साथ)
बेंगलुरु, 11 अगस्त (भाषा) कर्नाटक के सहकारिता मंत्री के. एन. राजन्ना को सोमवार को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया।
मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत से राजन्ना को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की सिफारिश की थी। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री की सिफारिश स्वीकार कर ली।
मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि प्रारंभ में सिद्धरमैया ने राजन्ना से इस्तीफ़ा देने को कहा था, लेकिन जब उन्होंने (राजन्ना ने) इस्तीफा नहीं दिया, तो उन्हें मंत्रिमंडल से हटा दिया गया।
सूत्रों के मुताबिक, राजन्ना को हटाने के लिए मुख्यमंत्री ने दोपहर में राज्यपाल को पत्र भेजा और राजभवन ने सिफारिश स्वीकार कर ली।
राज्यपाल के विशेष सचिव आर प्रभुशंकर ने कर्नाटक की मुख्य सचिव शालिनी रजनीश को भेजे पत्र में कहा है, ‘‘सहकारिता मंत्री श्री के एन राजन्ना को मंत्रिपरिषद से तत्काल प्रभाव से हटाने से संबंधित माननीय राज्यपाल द्वारा हस्ताक्षरित मूल अधिसूचना मुझे आगे की आवश्यक कार्रवाई हेतु अग्रेषित करने का निर्देश दिया गया है।’’
मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि राजन्ना का हालिया बयान उनके लिए ‘बहुत नुकसानदेह’ साबित हुआ।
सिद्धरमैया के वफादार राजन्ना ने तब कांग्रेस आलाकमान की नाराजगी मोल ले ली थी जब उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में ‘वोट चोरी’ के लिए कर्नाटक में अपनी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार को कथित तौर पर दोषी ठहराया था।
राहुल गांधी ने हाल में नयी दिल्ली में प्रेसवार्ता और बाद में बेंगलुरु में एक जनसभा की थी, जहां उन्होंने दावा किया था कि केंद्र की भाजपा सरकार ‘वोट चोरी’ के कारण सत्ता में आई है।
उन्होंने बेंगलुरु सेंट्रल संसदीय क्षेत्र के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में एक लाख से ज्यादा फर्जी मतदाताओं की मौजूदगी का भी हवाला दिया।
राजन्ना ने ‘वोट चोरी’ के लिए कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया था और कहा था कि ऐसा हुआ है।
उन्होंने कहा था कि कर्नाटक में अनियमितताएं तब हुईं जब कांग्रेस सत्ता में थी और आरोप लगाया कि यह ‘हमारी आंखों के सामने’ हुआ।
राजन्ना पिछले दो महीनों से ‘सितंबर क्रांति’ का संकेत देने के बाद सुर्खियों में हैं, जिससे सरकार में बड़े उलटफेर की अटकलें तेज हो गई हैं।
यह मामला सोमवार को कर्नाटक विधानसभा सत्र के दौरान चर्चा का विषय बन गया, जब भाजपा विधायकों ने कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एच.के. पाटिल और राजन्ना से इस मामले पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की।
विधानसभा में यह मुद्दा उठाते हुए, विपक्ष के नेता भाजपा आर अशोक ने राजन्ना पर लगे विशिष्ट आरोपों के बारे में जानना चाहा। उन्होंने कहा, ‘‘क्या राजन्ना पर भ्रष्टाचार के कोई आरोप हैं? उन्होंने कितना पैसा कमाया है और उसे कहां रखा है?..’’
निष्कासन के राजनीतिक निहितार्थों पर अटकलें लगाते हुए विपक्ष के नेता ने कहा, ‘‘वह (राजन्ना) सिद्धरमैया के एकमात्र वफादार थे। क्या उनके निष्कासन के बाद सिद्धरमैया अगला निशाना होंगे?’’
चर्चा के दौरान, भाजपा विधायक एस. सुरेश कुमार ने कहा कि चूंकि यह खबर विधानमंडल सत्र के दौरान सामने आई, इसलिए बयान जारी करना सरकार का कर्तव्य है।
जवाब में, मंत्री पाटिल ने इस मांग को खारिज कर दिया और कहा कि सिर्फ मीडिया द्वारा इस मामले की रिपोर्टिंग के आधार पर सरकार से जवाब की उम्मीद नहीं की जा सकती।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर ऐसा कोई घटनाक्रम होता है, तो मुख्यमंत्री आपको जरूर सूचित करेंगे। सत्र चल रहा है और यह चर्चा अनावश्यक है।’’
विपक्षी भाजपा विधायकों ने जानना चाहा कि राजन्ना सदन में मंत्री के तौर पर बैठे हैं या ‘साधारण’ विधायक के तौर पर।
अपने ऊपर हुई चर्चा का जवाब देते हुए राजन्ना ने कहा, ‘‘हमारे संसदीय कार्य मंत्री ने कहा है कि मुख्यमंत्री आएंगे और जवाब देंगे कि मैंने इस्तीफा दिया है या नहीं और किसने मुझे इस्तीफा देने के लिए कहा है... मैं उनकी बात पर कायम रहूंगा।’’
भाषा राजकुमार