निर्वाचन आयोग की अक्षमता और पक्षपाती रवैया पूरी तरह से उजागर हो गया है: कांग्रेस
जोहेब नरेश
- 17 Aug 2025, 09:58 PM
- Updated: 09:58 PM
नयी दिल्ली, 17 अगस्त (भाषा) कांग्रेस ने रविवार को निर्वाचन आयोग पर उसकी “अक्षमता” और “स्पष्ट पक्षपातपूर्ण रवैये” को लेकर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि आयोग “पूरी तरह से बेनकाब” हो चुका है।
यह बयान उस समय आया जब मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने बिहार में एसआईआर का बचाव किया और विपक्षी पार्टी द्वारा लगाए गए “वोट चोरी” के आरोपों को “बेबुनियाद” करार दिया।
कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग के इस दावे को भी हास्यास्पद बताया कि वह सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्ष के बीच कोई अंतर नहीं करता।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि मतदाता सूची संशोधन का उद्देश्य मतदाता सूचियों में सभी कमियों को दूर करना होता है और यह गंभीर चिंता का विषय है कि कुछ दल इसके बारे में गलत सूचना फैला रहे हैं और निर्वाचन आयोग के कंधे पर रखकर गोली चला रहे हैं।
सीईसी की टिप्पणी के तुरंत बाद कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सवाल किया क्या आयोग उच्चतम न्यायालय के 14 अगस्त के आदेशों को अक्षरशः लागू करेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘आज, राहुल गांधी द्वारा सासाराम से ‘इंडिया’ जनबंधन की मतदाता अधिकार यात्रा शुरू करने के कुछ ही देर बाद, मुख्य चुनाव आयुक्त और दोनों चुनाव आयुक्तों ने यह कहना शुरू किया कि वे सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के बीच कोई अंतर नहीं करते।”
रमेश ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘सच यह है कि तमाम विरोधाभासी सबूतों के बीच...यह बेहद हास्यास्पद है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने राहुल गांधी के किसी भी स्पष्ट सवाल का सारगर्भित जवाब नहीं दिया।”
रमेश ने दावा किया कि गांधी ने अब तक जो कुछ भी कहा है वह निर्वाचन आयोग के आंकड़ों पर ही आधारित है। उन्होंने कहा, “निर्वाचन आयोग की न केवल अक्षमता बल्कि घोर पक्षपातपूर्ण नीति भी बेनकाब हो गई है।”
रमेश ने कहा, “क्या निर्वाचन आयोग बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया को लेकर उच्चतम न्यायालय के 14 अगस्त, 2025 के आदेशों को अक्षरशः लागू करेगा?”
कांग्रेस नेता ने जोर देकर कहा, “वह संवैधानिक रूप से ऐसा करने को बाध्य है। देश इंतजार कर रहा है और देख रहा है।”
एक अन्य पोस्ट में रमेश ने कहा, “मुख्य चुनाव आयुक्त को सरल सलाह:- जांच करें, डराएं नहीं।”
निर्वाचन आयोग के संवाददाता सम्मेलन पर उन्होंने कहा, “यह पहली बार था जब यह ‘नया’ निर्वाचन आयोग सीधे तौर पर बोल रहा था और सूत्रों के जरिए कोई जानकारी नहीं दे रहा था।”
रमेश ने कहा कि कल, निर्वाचन आयोग ने एक ‘प्रेस नोट’ जारी किया था, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची में सुधार की जिम्मेदारी राजनीतिक दलों और व्यक्तियों पर डालना था।
उन्होंने कहा कि इस प्रेस नोट की विपक्षी दलों और आम जनता की ओर से भी तीखी आलोचना हुई थी।
रमेश ने कहा, “आज का संवाददाता सम्मेलन भी बिहार एसआईआर के दौरान हटाए गए 65 लाख मतदाताओं के नामों के प्रकाशन को रोकने के लिए चुनाव आयोग की हर दलील को उच्चतम न्यायालय द्वारा खारिज किए जाने के तीन दिन बाद हुआ है।”
रमेश ने कहा कि निर्वाचन आयोग की तीखी और दस्तावेजी आपत्तियों के बावजूद, उच्चतम न्यायालय ने इन 65 लाख मतदाताओं के सभी विवरण खोजे जा सकने योग्य प्रारूप में प्रकाशित करने का निर्देश दिया।
उन्होंने कहा, “उच्चतम न्यायालय ने मतदाता की पहचान के प्रमाण के रूप में आधार कार्ड के इस्तेमाल की भी अनुमति दी थी।”
कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने मुख्य चुनाव आयुक्त पर निशाना साधते हुए कहा कि आज जब ज्ञानेश कुमार सामने आए तो देश को पता चला कि वह ही मुख्य चुनाव आयुक्त हैं।
उन्होंने कहा कि अब तक लोग किसी “सूत्र” नामक व्यक्ति को ही मुख्य चुनाव आयुक्त समझते थे।
खेड़ा ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में कहा, “आज मुख्य चुनाव आयुक्त ने जो स्क्रिप्ट पढ़ी, वह भाजपा की थी। उन्होंने हाल के दिनों में कांग्रेस और राहुल गांधी के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया।”
उन्होंने कहा, “हम आपसे आपकी जिम्मेदारी समझने का आग्रह करते हैं... लोकतंत्र की हत्या की भाजपा की योजना का हिस्सा न बनें। कृपया संवाददाता सम्मेलन के दौरान किसी धारावाहिक की घटिया स्क्रिप्ट न पढ़ें, बल्कि पूछे गए सभी सवालों के जवाब दें।”
इससे पहले, मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का बचाव करते हुए कहा था कि कुछ दल “गलत सूचना फैला रहे हैं और आयोग के कंधे पर रखकर बंदूक चला रहे हैं।”
सीईसी ने दोहरे मतदान और “वोट चोरी” के आरोपों को “निराधार” बताते हुए खारिज कर दिया और कहा कि सभी हितधारक एसआईआर को पारदर्शी तरीके से सफल बनाने के लिए काम कर रहे हैं।
विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया) में शामिल दलों ने कथित “वोट चोरी” के खिलाफ बिहार में “मतदाता अधिकार यात्रा” शुरू की है।
भाषा जोहेब