स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चित्तू पांडेय के नाती ने योगी से की परंपराओं को नजरअंदाज करने की शिकायत
सं सलीम राजकुमार
- 21 Aug 2025, 05:51 PM
- Updated: 05:51 PM
बलिया (उप्र), 21 अगस्त (भाषा) प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चित्तू पांडेय के नाती ने बृहस्पतिवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर 19 अगस्त को सम्पन्न ‘बलिया बलिदान दिवस’ के कार्यक्रम के दौरान स्थापित परम्पराओं को नजरंदाज करने की शिकायत की ।
सन् 1942 की क्रांति के नायक चित्तू पांडेय के नाती और जिले के हल्दी थाना क्षेत्र के बबुआपुर गांव के निवासी सत्य प्रकाश उपाध्याय मुन्ना ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखकर उनसे 19 अगस्त को सम्पन्न ‘बलिया बलिदान दिवस’ कार्यक्रम के दौरान पुरानी परम्पराओं की अनदेखी करने की शिकायत की है।
उपाध्याय ने कहा कि पुरानी परम्पराओं के अनुसार जेल का फाटक एक बार खुलता है तथा मौजूद सभी लोग एक साथ जुलूस के रूप में निकलते हैं लेकिन इस बार 19 अगस्त को परम्परा के विपरीत दो बार जेल का फाटक खुला और दो अलग-अलग जुलूस निकाले गये।
उपाध्याय ने शिकायत की है कि कार्यक्रम के दौरान मौजूद स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु और दयाशंकर सिंह के साथ ही राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने शहीद चित्तू पांडेय और शहीद राम दहिन ओझा के प्रतिमा स्थल पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि नहीं दी।
उपाध्याय का यह भी कहना है कि इसके अलावा टाउन हाल के जिस ऐतिहासिक क्रांति मैदान में बलिया के आजाद होने की घोषणा की गई थी, वहां समारोह आयोजित नहीं किया गया।
खुद को चित्तू पाण्डेय की बेटी ललिता देवी का पुत्र बताने वाले उपाध्याय ने आरोप लगाया कि ‘बलिया बलिदान दिवस’ कार्यक्रम के दौरान पुरानी परम्पराओं को नजरंदाज करने से शहीदों के परिजन बहुत आहत हैं।
उपाध्याय ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि वह इन घटनाओं का संज्ञान लें ताकि भविष्य में कार्यक्रम के दौरान परम्पराओं की अनदेखी न हो सके।
'बलिया का शेर' के नाम से भी मशहूर हुए स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चित्तू पाण्डेय ने सन् 1942 में बलिया में भारत छोड़ो आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बलिया में 19 अगस्त 1942 को यूनियन जैक के झंडे को उतार कर तिरंगा फहराया गया था तथा एक ' समानांतर सरकार' की घोषणा की गई थी।
बलिया के क्रांतिकारियों के बलिदान को याद करने के लिए बलिया में हर साल 19 अगस्त को 'बलिया बलिदान दिवस' मनाया जाता है। इस दिन जिला प्रशासन द्वारा प्रतीकात्मक रूप से जेल का फाटक खोला जाता है और जुलूस निकाल कर क्रांतिकारियों की मूर्तियों पर माल्यार्पण करने के साथ ही सभा आयोजित की जाती है।
भाषा सं सलीम