उत्तराखंड के गृह सचिव, डीजीपी ने अदालत को अवैध हथियारों से संबंधित मामलों में कार्रवाई की जानकारी दी
सं दीप्ति शफीक
- 22 Aug 2025, 10:12 PM
- Updated: 10:12 PM
नैनीताल, 22 अगस्त (भाषा) उत्तराखंड के गृह सचिव शैलेश बगौली और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दीपम सेठ ने शुक्रवार को उच्च न्यायालय को बताया कि प्रदेश में अवैध हथियारों से संबंधित 1550 मामलों में 1700 लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए हैं जबकि 3000 अवैध हथियार जब्त किए गए हैं।
वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की पीठ के समक्ष पेश हुए दोनों अधिकारियों ने बताया कि उत्तराखंड में हथियारों के कुल 48,418 लाइसेंस जारी हुए हैं। उन्होंने बताया कि हाल में 481 लाइसेंस को निरस्त किया गया।
उन्होंने अदालत को अवगत कराया कि हर्ष फायरिंग और सोशल मीडिया रील बनाने के दौरान हथियार लहराने के 72 मामले दर्ज किए गए और ऐसे मामलों में 120 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
गृह सचिव और डीजीपी ने अदालत को बताया कि उधमसिंह नगर जिले में अवैध हथियारों की एक फैक्टरी का भंडाफोड़ किया गया। उन्होंने कहा कि चूंकि उधमसिंह नगर की सीमा एक पड़ोसी राज्य से लगती है इसलिए वहां विशेष सतर्कता बरती जा रही है।
इससे पहले, उच्च न्यायालय ने उधमसिंह नगर जिले के काशीपुर में एक छात्र के पिस्तौल लेकर स्कूल आने और अपने शिक्षक को गोली मारकर घायल करने की घटना पर चिंता व्यक्त की थी।
इस संबंध में बगौली ने बताया कि वह पिस्तौल छात्र के पिता की है जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है जबकि छात्र को किशोर संरक्षण गृह में भेज दिया गया है।
अधिकारियों ने यह भी बताया कि उत्तराखंड पुलिस अवैध हथियारों के मामले में पड़ोसी राज्यों के एसटीएफ के साथ समन्वय से काम कर रही है।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने 19 अगस्त को नैनीताल जिला पंचायत के स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के संबंध में एक स्वत: संज्ञान जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर चिंता जाहिर की थी तथा प्रदेश के गृह सचिव और डीजीपी को न्यायालय के समक्ष पेश होने को कहा था।
खंडपीठ ने दोनों अधिकारियों को अवैध हथियारों पर अंकुश लगाने, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने, निर्वाचित प्रतिनिधियों को सुरक्षा प्रदान करने तथा अवैध खनन को रोकने के लिए विस्तृत योजना तैयार करने के निर्देश दिए।
नैनीताल पंचायत चुनाव के संबंध में अदालत ने गृह सचिव और डीजीपी को वीडियो साक्ष्यों की एक बार फिर समीक्षा करने को कहा। खंडपीठ ने कहा कि निर्वाचित सदस्यों को सुरक्षा प्रदान करने के संबंध में अदालत द्वारा पूर्व में दिए गए आदेश का पालन नहीं किया गया।
खंडपीठ ने इस बात पर जोर दिया कि सभी चुनाव स्वतंत्र और सुरक्षित रूप से संपन्न होने चाहिए। अदालत ने संवेदनशील और दूर दराज के इलाकों में कैमरे लगाने और निगरानी के लिए आधुनिक तकनीक का प्रयोग किए जाने का सुझाव भी दिया।
अदालत ने मामले की सुनवाई दो सप्ताह बाद के लिए सूचीबद्ध की।
भाषा सं दीप्ति