थराली में राहत व बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी, मुख्यमंत्री धामी ने प्रभावित परिवारों को चेक सौंपे
दीप्ति शफीक
- 24 Aug 2025, 10:25 PM
- Updated: 10:25 PM
(तस्वीरों के साथ)
देहरादून, 24 अगस्त (भाषा) उत्तराखंड के चमोली जिले के थराली में आई आपदा के एक दिन बाद रविवार को बचाव एवं राहत कार्य युद्धस्तर पर जारी रहा जबकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मौके पर स्थिति का जायजा लिया।
मुख्यमंत्री ने प्रभावित परिवारों से मिलकर उनका हालचाल जाना तथा उन्हें तात्कालिक सहायता के रूप में पांच-पांच लाख रुपये के चेक सौंपे।
थराली में शुक्रवार मध्यरात्रि के बाद करीब एक बजे भारी बारिश के कारण टूनरी बरसाती नाले में बाढ़ आ गई जिसके साथ आए मलबे की चपेट में आने से 20 वर्षीय युवती की जान चली गई तथा 78 वर्षीय एक व्यक्ति लापता हो गया। घटना में नौ लोग घायल हुए हैं।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (एसईओसी) से रविवार को मिली जानकारी के अनुसार, 150-200 लोगों को प्रभावित क्षेत्रों से निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है ।
आपदा में थराली के तहसील कार्यालय, चेपड़ों बाजार, कोटदीप बाजार तथा आसपास के क्षेत्रों के कई मकानों और दुकानों में एक से दो फुट तक मलबा भर गया। मलबे में एसडीएम आवास भी क्षतिग्रस्त हो गया। मलबे में कुछ वाहन भी दब गए।
थराली तथा आसपास के क्षेत्र में कुल 41 मकानों को नुकसान पहुंचा है जिनमें से 11 पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए।
एसईओसी के अनुसार, प्रभावित क्षेत्र में जिला प्रशासन, पुलिस, जिला आपदा प्रबंधन दल, अग्निशमन सेवा, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) व भारत तिब्बत सीमा पुलिस सहित विभिन्न एजेंसियों के लगभग 150 से अधिक अधिकारी और कर्मचारी राहत एवं बचाव कार्यों में युद्धस्तर पर जुटे हैं।
संगवाड़ा गांव में मलबे से तबाह हुए एक मकान से कविता बिष्ट का शव बरामद किया गया है जबकि उससे कुछ ही दूर स्थित चेपड़ों में लापता हुए बुजुर्ग गंगा दत्त जोशी की तलाश की जा रही है।
अधिकारियों ने बताया कि नौ घायलों में से छह की गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें हेलीकॉप्टर से बेहतर उपचार के लिए एम्स ऋषिकेश भेजा गया है, जबकि एक घायल कर्णप्रयाग में उप जिला अस्पताल में भर्ती है। दो अन्य घायलों को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गयी।
एसईओसी के अनुसार, सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाए गए लोगों के रहने और खाने की व्यवस्था प्रशासन द्वारा की जा रही है।
कर्णप्रयाग-थराली-देवाल मार्ग, थराली के आसपास लगभग 10 किलोमीटर क्षेत्र में 12-15 स्थानों पर मलबा आने या सड़क के बहने के कारण मार्ग बाधित है। मार्ग को बहाल करने के लिए जेसीबी मशीनों की सहायता से मलबा हटाने का कार्य जारी है।
मुख्यमंत्री धामी ने थराली के आपदाग्रस्त क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण किया तथा वहां जारी बचाव एवं राहत कार्यों का जायजा लेते हुए उनमें तेजी लाने के निर्देश दिए।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने कुलसारी राहत शिविर में व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया और आपदा प्रभावितों से मिलकर उनका हालचाल जाना। उन्होंने हरसंभव मदद का भरोसा दिलाते हुए कहा कि संकट की इस घड़ी में सरकार पूरी तरह से प्रभावितों के साथ खड़ी है।
धामी ने आपदा में पूर्णत: क्षतिग्रस्त मकानों के मालिकों तथा मृतक के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता राशि के चेक प्रदान किए। उन्होंने बेघर हो गए लोगों के पुनर्वास की उचित व्यवस्था करने के निर्देश भी अधिकारियों को दिए।
भविष्य में ऐसी आपदाओं से जान-माल के नुकसान को कम करने के लिए धामी ने राज्य की ऐसी सभी नदियों में ‘ड्रेजिंग’ (नदी के तल से रेत, बजरी, पत्थर निकालना) या ‘चैनेलाइजेशन’ करने को कहा जिनके किनारे बस्तियां हैं।
उन्होंने कहा कि जहां-जहां भी नदियों का जलस्तर ‘ड्रेजिंग’ न होने की वजह से प्रभावित हुआ है, वहां आपदा के मानकों के तहत ‘ड्रेजिंग’ का कार्य किया जाए। मुख्यमंत्री ने इसके लिए सभी जिलों से जल्द से जल्द रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।
धराली, थराली और स्यानाचट्टी, तीनों जगह आयी आपदाओं में पानी के साथ बड़ी मात्रा में मलबा और बड़े पत्थर आने की समानता होने की बात कहते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पता लगाना आवश्यक है कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में कितनी मात्रा में ‘मोरेन’ (हिमनदों द्वारा साथ बहाकर लाया गया मलबा जो बाद में वहीं जमा रह जाता है) है।
उन्होंने इसके लिए वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (आईआईआरएस), भारतीय प्रोद्यौगिकी संस्थान (आईआईटी), राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी) जैसे शोध संस्थानों के वैज्ञानिकों की एक उच्च स्तरीय टीम बनाकर अध्ययन करने के निर्देश दिए।
धामी ने कहा कि वह केंद्र सरकार से भी अनुरोध करेंगे कि सभी हिमालयी राज्यों में इस तरह का अध्ययन किया जाए ताकि इनके कारणों को समझा जा सके और भविष्य में होने वाली आपदाओं से प्रभावी तरीके से निपटा जा सके।
भाषा दीप्ति