मराठा आरक्षण के मुद्दे को सुलझाने लिए काम कर रही है सरकार, विपक्षी दल राजनीति में व्यस्त: मंत्री
जोहेब दिलीप
- 31 Aug 2025, 04:12 PM
- Updated: 04:12 PM
मुंबई, 31 अगस्त (भाषा) महाराष्ट्र के मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने रविवार को कहा कि राज्य सरकार मराठा आरक्षण के मुद्दे को सुलझाने के लिए काम कर रही है और इस मामले पर कार्यकर्ता मनोज जरांगे के प्रस्ताव पर कानूनी सलाह लेगी।
विखे पाटिल ने पत्रकारों से बात करते हुए विपक्षी महा विकास आघाडी (एमवीए) के नेताओं पर मुद्दे के समाधान में योगदान देने के बजाय "राजनीति करने" का आरोप लगाया।
विखे पाटिल मराठा समुदाय की आरक्षण की मांग और उनकी सामाजिक, शैक्षणिक व आर्थिक स्थिति से संबंधित मुद्दों पर विचार के लिए गठित कैबिनेट उप-समिति के अध्यक्ष हैं।
जरांगे मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर शुक्रवार से दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में भूख हड़ताल पर हैं। वह चाहते हैं कि मराठों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल कृषक जाति कुनबी के रूप में मान्यता दी जाए, ताकि उन्हें सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण मिल सके, हालांकि ओबीसी नेता इसका विरोध कर रहे हैं।
विखे पाटिल ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए शनिवार देर रात मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की थी। सूत्रों के अनुसार, यह बैठक एक घंटे तक चली।
रविवार को विखे पाटिल के निवास पर कैबिनेट उप-समिति की बैठक हुई, जिसमें ओबीसी श्रेणी में मराठों को आरक्षण देने के जरांगे के प्रस्ताव पर विचार-विमर्श किया गया।
बैठक में मंत्री गिरीश महाजन, दादा भुसे, मकरंद पाटिल, शिवेंद्रराजे भोसले और अन्य ने भाग लिया। कुछ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से भाग लिया। विधि एवं न्यायपालिका विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।
बैठक के बाद विखे पाटिल ने कहा कि जरांगे के प्रस्ताव पर चर्चा सकारात्मक रही।
उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के नेतृत्व में उप-समिति इस मामले को सुलझाने के लिए काम कर रही है। हमने हैदराबाद और सतारा गजेटियर से जुड़े मुद्दों पर भी गौर किया है। कार्यान्वयन के दौरान कानूनी बाधाओं से बचने के लिए, हम राज्य के महाधिवक्ता से परामर्श करेंगे।"
विखे पाटिल ने कहा कि बीड के विधायकों द्वारा दिए गए सुझावों समेत कई सुझावों पर समिति विचार कर रही है।
जरांगे से मुलाकात को लेकर उठे राजनीतिक विवाद पर उन्होंने कहा, "किसी को भी उनसे मिलने पर कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन जो लोग केवल राजनीतिक लाभ के लिए उनसे मिल रहे हैं, उनसे आरक्षण के मुद्दे पर उनके रुख के बारे में भी पूछा जाना चाहिए।"
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के प्रमुख शरद पवार पर निशाना साधते हुए मंत्री ने पूछा कि चार बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे और एक दशक तक केंद्रीय मंत्री रहे पवार ने पहले कोई कदम क्यों नहीं उठाया।
उन्होंने कहा, "पवार अब मराठा आरक्षण के मुद्दे को सुलझाने के लिए संविधान में संशोधन की बात कर रहे हैं। उन्होंने मंडल आयोग के सामने या सत्ता में रहते हुए यह मुद्दा क्यों नहीं उठाया? उन्होंने तब मराठों के लिए आरक्षण क्यों सुनिश्चित नहीं किया। उन्हें अब उपदेश देने के बजाय यह स्पष्ट करना चाहिए कि मराठों को ओबीसी (श्रेणी) के तहत आरक्षण मिल सकता है या नहीं।"
शरद पवार ने शनिवार को कहा था कि न्यायालय ने कुल आरक्षण पर 52 प्रतिशत की सीमा तय की है और इसे बढ़ाने के लिए संविधान संशोधन आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि न्यायालय ने आरक्षण पर 52 प्रतिशत की सीमा लगाई है, लेकिन अदालत ने तमिलनाडु में 72 प्रतिशत आरक्षण की पुष्टि की है।
उन्होंने कहा था कि इस मुद्दे पर केंद्र की भूमिका पारदर्शी और स्पष्ट होनी चाहिये।
भाषा जोहेब