चीनी सामान के बहिष्कार के भाजपाई 'जुमले' का सच चिंताजनक : अखिलेश
सलीम नोमान
- 31 Aug 2025, 06:04 PM
- Updated: 06:04 PM
लखनऊ, 31 अगस्त (भाषा) समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भारतीय बाजार में चीन निर्मित सामान की घुसपैठ पर चिंता जाहिर करते हुए रविवार को कहा कि चीनी सामान के बहिष्कार के भाजपाई 'जुमले' का सच चिंताजनक है।
यादव ने यहां एक बयान में कहा, "चीन से आने वाले सामानों पर भारत की निर्भरता जिस तरह बढ़ती जा रही है, उसका बुरा असर हमारे उद्योगों, कारख़ानों और दुकानों के लगातार घटते जा रहे काम-कारोबार पर पड़ा है। इससे बेरोज़गारी भी बेतहाशा बढ़ रही है।"
उन्होंने कहा कि तथाकथित आत्मनिर्भर, स्वदेशी और चीनी सामान के बहिष्कार के “भाजपाई जुमलों” का सच चिंताजनक है।
यादव ने कहा, "पहले चीन अपना माल भारत के बाज़ारों में भर देगा। इससे चीन पर निर्भरता इतनी बढ़ जाएगी कि उनकी हर गलत हरकत को नज़रअंदाज़ करने के लिए भाजपाई मजबूर हो जाएंगे।"
उन्होंने कहा, "चीन हमारे उत्पादों और उद्योगों को धीरे-धीरे बंद करवाने के कगार तक ले जाएगा, फिर मनमाने दाम पर हर चीज़ सप्लाई करेगा। उसके बाद महंगाई-बेरोज़गारी बढ़ाएगा। जब महंगाई-बेरोज़गारी ज़्यादा होगी तो सरकार के खि़लाफ़ आक्रोश भी कई गुना बढ़ जाएगा।"
सपा प्रमुख ने कहा कि दूसरों के सहारे पर चल रही बिना बहुमत की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार और भी कमज़ोर होकर लड़खड़ा जाएगी तथा ख़ुद ही लड़खड़ाती भाजपा की सरकार चीन के अतिक्रमण को तब कैसे चुनौती दे पायेगी?
उन्होंने कहा, “हमारी भूमि पर जब चीन अपना क़ब्ज़ा और बढ़ता जाएगा तो फिर भाजपा दोहराएगी कि न कोई घुसा है और न कोई घुस आया है।"
यादव ने तंज करते हुए कहा, "अगर ये बात ड्रोन वालों को समझ नहीं आ रही है तो उत्तर प्रदेश में विराजमान ‘बुलडोज़र’ वाले प्रवासी जी ही ये सच्चाई समझकर जवाब दे दें कि चीन द्वारा हमारी कितनी ज़मीन हड़प ली गयी है, क्योंकि उनका मूल निवास स्थान भी तो चीनी क़ब्ज़े का शिकार हुआ है।"
उन्होंने कहा, "भाजपाई बस देश का क्षेत्रफल बता दें। मतलब ये बता दें कि भाजपा सरकार के आने के समय देश की कुल भूमि जितनी थी, अब भी उतनी ही है या अब चीनी क़ब्ज़े के बाद घट गयी है।"
सपा प्रमुख ने किसी का नाम लिए बगैर कहा, "दिल्ली वाले न सही तो लखनऊ वाले पलायन ‘स्पेशलिस्ट’ ही बता दें कि हमारी कितनी भूमि का पलायन हो गया है? वैसे जनता ये बख़ूबी समझती है कि भूमि का पलायन थोड़े ना होता है, जो वो चलकर कहीं चली गयी होगी।"
भाषा सलीम