कटु आलोचक राउत ने मराठा आरक्षण आंदोलन के समाधान का श्रेय फडणवीस को दिया
यासिर सुरेश
- 03 Sep 2025, 09:59 PM
- Updated: 09:59 PM
मुंबई, तीन सितंबर (भाषा) शिवसेना (उबाठा) नेता संजय राउत ने बुधवार को मराठा आरक्षण आंदोलन के समाधान और कार्यकर्ता मनोज जरांगे की भूख हड़ताल समाप्त कराने का श्रेय महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को दिया।
राउत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और फडणवीस के कटु आलोचक रहे हैं।
हालांकि, उनकी पार्टी की सहयोगी सुषमा अंधारे इस बात से इत्तेफाक नहीं रखती हैं और उन्होंने दावा किया कि सरकार ने जरांगे को धोखा दिया है।
राउत ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि फडणवीस पर्दे के पीछे से काम कर रहे थे और मराठा आरक्षण पर कैबिनेट उप-समिति के साथ विचार-विमर्श में शामिल थे।
राउत ने कहा कि यदि सरकार ने इस मुद्दे का समाधान किया है और जरांगे की जान बचाई है, तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए।
शिवसेना (उबाठा) नेता राउत ने कहा, ‘‘देवेंद्र फडणवीस इस मुद्दे को सुलझाने के लिए विचार-विमर्श में शामिल थे। वह पर्दे के पीछे रहकर काम कर रहे थे। सारा श्रेय फडणवीस को जाना चाहिए।’’
जरांगे और मराठा प्रदर्शनकारियों द्वारा मुख्यमंत्री की तीखी आलोचना का उल्लेख करते हुए राउत ने कहा, ‘‘मैं फडणवीस के धैर्य की भी सराहना करता हूं।’’
उन्होंने हालांकि, दावा किया कि जब जरांगे अपना अनशन शुरू करने मुंबई आए थे, तो भाजपा नेताओं की भाषा अलग थी। राउत ने दावा किया कि फडणवीस को छोड़कर अन्य भाजपा नेताओं ने ‘‘अत्यधिक नफरत फैलाने’’ की कोशिश की।
शिवसेना (उबाठा) ने मराठा आंदोलन को लेकर उपमुख्यमंत्री अजित पवार और एकनाथ शिंदे पर निशाना साधा। राउत ने कहा, ‘‘एकनाथ शिंदे और अजित पवार कहां थे? उन्होंने विचार-विमर्श में हिस्सा क्यों नहीं लिया? क्या वे चाहते थे कि मामला बिगड़े और फडणवीस मुश्किल में पड़ें।’’
जरांगे ने मंगलवार को अपने अनशन के पांचवें दिन जीत की घोषणा की, जब महाराष्ट्र सरकार ने उनकी अधिकांश मांगों को स्वीकार कर लिया। इसमें पात्र मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र प्रदान करना भी शामिल है, जिससे वे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को मिलने वाले लाभों में आरक्षण के पात्र हो जाएंगे।
मराठा आरक्षण पर कैबिनेट उप-समिति के प्रमुख, भाजपा के वरिष्ठ मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने घोषणा से पहले जरांगे से मुलाकात की।
सरकार ने हैदराबाद गजेटियर पर एक प्रस्ताव जारी किया और मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी करने में सुविधा प्रदान करने के लिए ग्राम-स्तरीय समितियों के गठन की घोषणा की, जो अतीत में उन्हें कुनबी के रूप में मान्यता देने वाले दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत कर सकते हैं।
शिवसेना (उबाठा) नेता सुषमा अंधारे ने दावा किया कि सरकार ने जरांगे को धोखा दिया है और यह बात मराठा आरक्षण पर सरकार द्वारा जारी किए गए शासी संकल्प (जीआर) के लागू होने के बाद स्पष्ट हो जाएगी।
पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जी.आर. और कानून में अंतर है।
उन्होंने कहा कि एक कानून लाए जाने की उम्मीद थी और सरकार ने हैदराबाद गजेटियर के कार्यान्वयन पर एक जीआर जारी किया, लेकिन सतारा के लिए नहीं।
अंधारे ने पूछा कि अगर किसी कानून को चुनौती दी जा सकती है तो जी.आर. को क्यों नहीं दी जा सकती?
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि सरकार धोखा दे रही है। हमें इसके बारे में दो महीने बाद पता चलेगा जब जीआर लागू हो जाएगा।’’
उन्होंने दावा किया कि एक तरफ सरकार ने सरकारी आदेश जारी किया है, वहीं दूसरी तरफ सत्ताधारी दल के करीबी लोग इसे चुनौती देंगे।
इससे पहले दिन में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के प्रमुख नेता और राकांपा मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि वह शासी आदेश के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।
अंधारे ने सरकार पर मराठा आरक्षण आंदोलन को बदनाम करने और उससे उपजी सहानुभूति को कम करने की कोशिश करने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि (मंगलवार को) शाम चार बजे तक आज़ाद मैदान खाली करने के लिए दबाव भी डाला गया था।
भाषा यासिर