पंजाब बाढ़ : हॉकी के मैदान पर गोल दागने वाले हाथ लोगों की मदद को बढ़े
मोना नरेश
- 04 Sep 2025, 04:20 PM
- Updated: 04:20 PM
(मोना पार्थसारथी)
नयी दिल्ली, चार सितंबर (भाषा) कभी हॉकी के मैदान पर उनकी तूती बोलती थी और भारत की कई यादगार जीत के वे सूत्रधार रहे लेकिन पंजाब में तबाही मचाने वाली बाढ़ में अब ये चैम्पियन खिलाड़ी दिन -रात एक अलग ‘फील्ड वर्क’ में जुटे हैं ।
भारतीय हॉकी टीम के महान ड्रैग फ्लिकर जुगराज सिंह (एसपी मुख्यालय), रूपिंदर पाल सिंह (सहायक कमिश्नर , अंडर ट्रेनिंग)और मिडफील्डर गुरविंदर सिंह चांडी (डीएसपी, कलानौर) बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल गुरदासपुर में तैनात हैं और राहत अभियान का हिस्सा भी हैं ।
पंजाब 1988 के बाद सबसे विनाशकारी बाढ़ से जूझ रहा है और 23 जिलों में 1400 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। अब तक इसमें 37 लोगों की मौत हो गई है और साढे तीन लाख से ज़्यादा लोग प्रभावित हुए हैं।
जुगराज ने ‘भाषा’ से बातचीत में कहा कि बीएसएफ, सेना, पुलिस, स्थानीय प्रशासन और एनडीआरएफ मिलकर युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं ।
उन्होंने कहा,‘‘ लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने ,राशन, दवाइयां और मूलभूत जरूरत की चीजें पहुंचाने के बाद अब बीमारियों के फैलने के खतरे से निपटने के लिये मेडिकल कैंप लगाए जा रहे हैं जिसके लिये डॉक्टरों की टीमों और एनजीओ के साथ काम हो रहा है।’’
2003 में कार दुर्घटना से पहले जूनियर विश्व कप 2001 विजेता और बुसान एशियाई खेलों में रजत पदक जीतने वाली भारतीय टीम के प्रमुख सदस्य रहे जुगराज ने कहा ,‘‘ हमारा काम यह देखना है कि राशन को लेकर लोगों में लड़ाई ना हो और सही समय पर जरूरतमंदों के पास राशन पहुंच जाये ।’
जुगराज ने कहा कि एक खिलाड़ी होने के नाते वह अपने काम को और बेहतर ढंग से कर पा रहे हैं ।
उन्होंने कहा ,‘‘ मैदान पर त्वरित फैसले लेने का हुनर यहां काम आ रहा है। इसके अलावा एक खिलाड़ी ने काफी उतार चढ़ाव देखे होते हैं और वह मानसिक और शारीरिक रूप से काफी मजबूत होता है जो ऐसी स्थिति में बहुत जरूरी है ।’’
तोक्यो ओलंपिक कांस्य पदक विजेता भारतीय टीम के सदस्य रहे पेनल्टी कॉर्नर विशेषज्ञ रूपिंदर पाल ने कहा कि उनके लिये यह बिल्कुल अलग अनुभव है क्योंकि जिंदगी भर तो फील्ड पर हॉकी ही खेलते आये हैं।
रूपिंदर दीनानगर सब डिविजन में आठ . नौ गांवों के एक क्लस्टर में राहत टीम का हिस्सा हैं और 26 अगस्त को आई बाढ़ के बाद से वहां से 1500 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है ।
भारत के लिये 2010 से 2021 के बीच 223 मैचों में 125 गोल कर चुके रूपिंदर ने कहा,‘‘बाढ आने के बाद से गुरदासपुर जिला प्रशासन ने काफी फुर्ती से कार्रवाई की। मेरे हिस्से में मकौरा ,मराड़ा, काहना, आबादी चंडीगढ़, जागो चक जैसे कई गांव हैं जो रावी नदी के किनारे हैं।रावी और ऊझ नदियां यहां मिलती हैं और यहीं से बाढ का पानी अंदर आना शुरू हुआ था। कुछ गांव पाकिस्तान सीमा पर हैं।’’
उन्होंने कहा,‘‘ पहले तीन दिन तो ट्रैक्टर ट्रॉली भी नहीं चल रहे थे। पहले दिन एसडीएम, डीएसपी और मैं गांव में फंस गए थे जहां चारों ओर पानी ही पानी था। उसी गांव में किसी परिचित के घर पर रुके। गांव के युवाओं ने बहुत सहयोग दिया। जब भी बोला गया ट्रैक्टर और ट्रॉली लेकर पहुंच जाते।’’
रूपिंदर ने कहा कि पहले कइयों को पता नहीं था कि वे भारत के लिये हॉकी खेल चुके हैं लेकिन पता चलने पर और भी स्थानीय युवा उनसे जुड़ते चले गए।
उन्होंने कहा,‘‘ हमने दीनानगर सब डिविजन में 1500 लोगों को बाहर निकाला और पूरे गुरदासपुर में करीब छह हजार लोगों को निकाला गया है। यहां एक भी मौत नहीं हुई लेकिन पशुधन की काफी हानि हुई है।’’
रूपिंदर ने कहा कि एक वाकये ने उन्हें दहला दिया था जब एक परिवार के चार लोग अपने कच्चे घर की छत पर फंसे हुए थे और रावी में पानी उफान पर था।
उन्होंने कहा,‘‘ गन्ने की लंबाई के तीन चार फुट ऊपर तक पानी और उस पर एनडीआरएफ की बोट से वहां पहुंचना था। उस दिन डर लगा लेकिन एनडीआरएफ की टीम काफी हौसलाअफजाई करती रहती है। पानी के बहाव के उल्टी तरफ जाकर उन लोगों तक पहुंचा गया।’’
भारत के लिये लंदन ओलंपिक 2012 समेत 97 मैच खेल चुके पूर्व फॉरवर्ड और अब गुरदासपुर के कलानौर में डीएसपी गुरविंदर सिंह चांडी ने कहा कि यहां भी टीमवर्क से काम अच्छे से हो पा रहा है और मदद के लिये कई हाथ बढ रहे हैं।
उन्होंने बताया,‘‘ कोटला मुगला में एक बुर्जुग को सांप ने कांट लिया था जिन्हें डॉक्टर तक पहुंचाया गया। इसके अलावा एक लड़की की शादी थी जिसे कलानौर के एक गांव से विवाह स्थल तक पहुंचाया गया। वहीं एक गर्भवती महिला को भी सुरक्षित जगह पर ले जाया गया जहां अगले दिन उनकी डिलीवरी हुई।’’
उन्होंने बताया,‘‘ एक गौशाला में पानी भर गया था जहां गायें बंधी हुई थी। उन्हें निकाला गया। सभी राहत एजेंसियां मिलकर दिन रात लगी हुई है लेकिन तबाही बहुत हुई है।’’
राहत कार्य की चुनौतियों के बारे में पूछने पर जुगराज ने कहा कि फोन दिन भर घनघना रहा है और दिमाग को एक पल भी आराम नहीं है लेकिन असल चुनौतियां बाढ़ के बाद शुरू होंगी ।
उन्होंने कहा ,‘‘ हम सुबह से बाढ़ग्रस्त इलाकों में निकल जाते हैं। वहां जाकर देखते हैं कि वितरण के लिये कितना सामान है और फिर लिस्टिंग होती है कि कहां ज्यादा जरूरत है। ग्रेडेशन करके सामान भिजवाते हैं। पंजाब भर से इतनी मदद सामग्री आ रही है लेकिन असल चुनौती लोगों तक पहुंचाने की है।’’
उन्होंने कहा,‘‘ इतनी फसल बर्बाद हुई है और गरीब किसानों की जमीन को फिर से कृषि योग्य बनाने में डेढ़ दो साल लग जायेंगे। इसके अलावा बेघर हुए लोगों को फिर से बसाने की भी चुनौती है।’’
भाषा
मोना