विदेशी अधिनियम पर केंद्र का आदेश ‘हास्यास्पद’, ‘चुनावी हथकंडा’: ममता
देवेंद्र नरेश
- 04 Sep 2025, 05:38 PM
- Updated: 05:38 PM
कोलकाता, चार सितंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों को पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेजों के बिना भारत में रहने की अनुमति देने संबंधी हाल के आदेश को लेकर बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और इसे आगामी चुनावों से पहले जनता को गुमराह करने के उद्देश्य से एक ‘‘हथकंडा’’ करार दिया।
बंगाली प्रवासियों पर कथित अत्याचारों की निंदा करने वाले सरकारी संकल्प पर चर्चा के दौरान राज्य विधानसभा में बनर्जी ने कहा कि नया नियम एक ‘‘चुनावी हथकंडे’’ के अलावा कुछ नहीं है जो इस बार सफल नहीं होगा।
बनर्जी ने कहा, ‘‘यह चुनावी हथकंडा है लेकिन इस बार यह काम नहीं करेगा।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) चुनाव से पहले मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने के लिए इस तरह की रणनीति अपना रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस नए नियम पर संसद में कोई चर्चा नहीं हुई है। भाजपा ऐसे मामलों पर एकतरफा फैसला कैसे ले सकती है?’’
केंद्र के आदेश के निहितार्थ का उल्लेख करते हुए बनर्जी ने सवाल किया कि क्या बिना दस्तावेजों के रहने वालों को भी मतदान का अधिकार दिया जाएगा?
उन्होंने पूछा, ‘‘वे कह रहे हैं कि बिना दस्तावेजों के आए लोगों को रहने दिया जायेगा। तो क्या उन्हें चुनाव में वोट देने दिया जाएगा? क्या उन्हें आधार और राशन कार्ड मिलेंगे?’’
मुख्यमंत्री ने आव्रजन और नागरिकता जैसे संवेदनशील मामलों पर केंद्र सरकार द्वारा एकतरफा और मनमाना निर्णय लेने के प्रति अपना विरोध दोहराया, खासकर तब जब इस पर कोई संसदीय चर्चा नहीं हुई हो।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए 31 दिसंबर, 2024 तक भारत आए अल्पसंख्यक समुदायों - हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई - के सदस्यों को पासपोर्ट या अन्य यात्रा दस्तावेजों के बिना देश में रहने की अनुमति दी जाएगी।
पिछले वर्ष लागू हुए नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) के अनुसार, 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए इन उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों के सदस्यों को भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी।
इस बीच भाजपा विधायक अग्निमित्रा पॉल ने बृहस्पतिवार को सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस द्वारा पश्चिम बंगाल विधानसभा में इस संकल्प को पेश करने के कारण पर सवाल उठाया, जिसमें कुछ राज्यों में बंगाली भाषी प्रवासियों पर अत्याचार का आरोप लगाया गया है, और दावा किया कि सत्तारूढ़ पार्टी मगरमच्छ के आंसू बहा रही है।
प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए पॉल ने कहा कि भारत के बाहर से आने वाले बंगाली हिंदू शरणार्थियों को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि केंद्र ने उन विस्थापित लोगों के हितों की रक्षा के लिए सीएए लागू किया है।
उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस सीएए का विरोध कर रही है और उन्होंने पूछा, ‘‘क्या यह दोहरे मानदंडों का प्रदर्शन नहीं है?’’पॉल ने ममता बनर्जी सरकार पर ‘‘मगरमच्छ के आंसू’’ बहाने का आरोप लगाया।
अन्य राज्यों में बंगाली भाषी प्रवासियों पर कथित हमलों की निंदा करने वाले प्रस्ताव पर दूसरे दिन की चर्चा में भाग लेते हुए पॉल ने कहा कि सदन को इसके बजाय केंद्र सरकार को धन्यवाद देने वाला प्रस्ताव लाना चाहिए।
इस विशेष सत्र में प्रस्ताव लाने के पीछे सत्तारूढ़ पार्टी के एजेंडे पर सवाल उठाते हुए पॉल ने दावा किया कि इसका असली उद्देश्य लोगों का ध्यान वास्तविक मुद्दे से भटकाना है।
भाजपा विधायक ने कहा कि हालांकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल लौटने पर उन्हें 5,000 रुपये की वित्तीय सहायता देने की घोषणा की थी, लेकिन जो लोग राज्य में आए थे, वे पहले ही अन्य राज्यों में अपने कार्यस्थल पर वापस चले गए।
पॉल ने दावा किया कि श्रमिक 5,000 रुपये से कहीं अधिक कमाते हैं और वे अपने परिवारों के साथ वहां रहकर खुश हैं।
भाषा
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