अनुचित तरीकों के इस्तेमाल पर न्यायालय ने आरोपी से कहा: आप पूरी परीक्षा व्यवस्था को बर्बाद कर रहे हैं
अमित सुरेश
- 08 Sep 2025, 07:24 PM
- Updated: 07:24 PM
नयी दिल्ली, आठ सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने एक आरोपी को फटकार लगाते हुए सोमवार को कहा कि वह ‘‘पूरी सार्वजनिक परीक्षा व्यवस्था को बर्बाद कर रहा है।’’ व्यक्ति पर आरोप है कि उसने दिसंबर 2024 में उत्तर प्रदेश में आयोजित केन्द्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) में अपने स्थान पर किसी और व्यक्ति को बैठाया।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने यह भी कहा कि ‘‘मुन्ना भाई अंदर रहना चाहिए’’। पीठ का इशारा परोक्ष तौर पर बॉलीवुड फिल्म ‘‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’’ की ओर ओर था।
वर्ष 2003 की इस फिल्म में अभिनेता संजय दत्त ने मुन्ना भाई का किरदार निभाया था, जो मेडिकल परीक्षा में अपने स्थान पर किसी और व्यक्ति को बैठाता है।
पीठ ने कहा, ‘‘आप सार्वजनिक परीक्षाओं की पूरी प्रणाली को नष्ट कर रहे हैं। ऐसे लोगों के कारण कई अभ्यर्थी नुकसान उठाते हैं।’’
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इस मामले में तीन लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया था और उनमें से दो को जमानत मिल गई है। उन्होंने कहा कि कथित ‘पेपर सॉल्वर’ (सवाल हल करने वाले) को भी जमानत मिल गई है, जो याचिकाकर्ता की जगह परीक्षा में बैठा था।
पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया और याचिकाकर्ता को जमानत नहीं देने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर जवाब मांगा। पीठ ने मामले की सुनवाई चार सप्ताह के लिए टाल दी।
शिकायतकर्ता और अन्य लोगों के खिलाफ कथित अपराधों के लिए स्कूल के प्रिंसिपल द्वारा दायर शिकायत के आधार पर बीएनएस और उत्तर प्रदेश लोक परीक्षा (अनुचित साधनों का रोकथाम) अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था।
इसमें आरोप लगाया गया था कि स्कूल में परीक्षा 15 दिसंबर 2024 को आयोजित की गई थी और एक संदिग्ध अभ्यर्थी के बारे में जानकारी मिली थी।
पुनः जांच करने पर पता चला कि उसका बायोमेट्रिक डेटा मेल नहीं खा रहा और यह भी पता चला कि याचिकाकर्ता संदीप सिंह पटेल की जगह एक अन्य व्यक्ति फर्जी प्रवेश पत्र का इस्तेमाल करके परीक्षा दे रहा था।
याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में दावा किया था कि उसे इस मामले में झूठा फंसाया गया है और परीक्षा के दिन वह चिकित्सकीय रूप से अनफिट था और अस्पताल में भर्ती था।
याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में यह भी दावा किया था कि उसे इस बात की जानकारी नहीं थी कि उसकी जगह कोई दूसरा व्यक्ति परीक्षा में बैठा है।
भाषा अमित