केरल : स्वास्थ्य मंत्री ने सरकारी अस्पतालों को उपकरणों के नाम पर पैसे वसूलने को लेकर आगाह किया
सुमित मनीषा रंजन
- 16 Sep 2025, 02:08 PM
- Updated: 02:08 PM
तिरुवनंतपुरम, 16 सितंबर (भाषा) केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने मंगलवार को राज्य विधानसभा में कहा कि सरकारी अस्पतालों में मुफ्त उपचार प्राप्तकर्ता श्रेणी के अंतर्गत आने वाले गरीब मरीजों से सर्जिकल उपकरणों के नाम पर पैसे वसूलना वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार की नीति का उल्लंघन है और सरकार ऐसे मामलों को ‘‘अत्यंत गंभीरता’’ से लेगी।
मंत्री की यह टिप्पणी यहां सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सर्जिकल उपकरणों की कमी और प्रक्रियाओं में देरी के बारे में एक वरिष्ठ सरकारी डॉक्टर द्वारा किए गए चौंकाने वाले खुलासे पर उठे राजनीतिक विवाद के बाद आई है।
यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ हरीश चिरक्कल ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा था कि जरूरी चिकित्सा उपकरणों की कमी के कारण सर्जरी स्थगित करनी पड़ी। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने कई बार आश्वासन दिए लेकिन समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है, जिससे मरीज समय पर इलाज के इंतजार में गंभीर दर्द से जूझ रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि आपातकालीन सर्जरी में देरी न हो, इसके लिए कभी-कभी मरीजों के परिजनों से पैसे इकट्ठा कर उपकरण खरीदने पड़ते हैं।
विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान मंत्री ने कहा कि सरकार 'करुण्य आरोग्य सुरक्षा पद्धति' (केएसएपी) और अन्य योजनाओं के तहत आने वाले मरीजों को मुफ्त इलाज सुनिश्चित करने के लिए सभी जरूरी कदम उठा रही है।
उन्होंने कहा कि ऐसे मरीजों को सर्जिकल उपकरण खुद खरीदना पड़े, यह सरकार की दिशा-निर्देशों के खिलाफ है।
वीणा जॉर्ज ने कहा, “अगर किसी सरकारी स्वास्थ्य संस्थान या विभाग ने ऐसे मरीजों से उपकरण खरीदने के लिए पैसे लिए तो यह सरकार की नीति के खिलाफ है।”
तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज के यूरोलॉजी विभाग से जुड़े मामले का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि इस पर गठित विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि एक उपकरण मरीजों से पैसे लेकर खरीदा गया।
उन्होंने कहा कि पैनल ने सिफारिश की है कि इस चलन को हतोत्साहित किया जाना चाहिए और यदि ऐसी कोई परिस्थिति उत्पन्न होती है तो संबंधित विभागों को मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों को इसके बारे में अवश्य सूचित करना चाहिए।
मंत्री ने कहा कि संबंधित संस्थानों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मुफ्त इलाज प्राप्तकर्ता की श्रेणी के अंतर्गत आने वाले मरीजों को ऐसे उपकरण नि:शुल्क मिलें।
उन्होंने यह भी माना कि आजकल राज्य के सरकारी अस्पतालों पर मरीजों की निर्भरता बढ़ गई है और व्यवस्थागत देरी को रोकने के लिए समय पर बदलाव जरूरी हैं।
हालांकि, विपक्षी सदस्यों ए पी अनिल कुमार और एम विंसेंट ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री के दावों को दृढ़ता से खारिज कर दिया और कहा कि राज्य के स्वास्थ्य विभाग में नेतृत्व करने के लिए ‘कप्तान’ का अभाव है।
विपक्ष के नेता वी डी सतीसन ने हस्तक्षेप करते हुए आरोप लगाया कि गरीब मरीजों को भी सर्जरी से पहले धागा, सुई, कॉटन और उपकरण तक खुद खरीदने पड़ते हैं।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि स्वास्थ्य विभाग निजी क्षेत्र को गरीबों का शोषण करने का मौका दे रहा है।
इसके जवाब में मंत्री वीणा जॉर्ज ने विपक्ष के नेता को इस मुद्दे पर खुली बहस की चुनौती दी।
भाषा सुमित मनीषा