सरकार 11वीं और 12वीं कक्षा के पाठ्यक्रम में कौशल आधारित शिक्षा शुरू करने की योजना बना रही: प्रधान
देवेंद्र प्रशांत
- 21 Sep 2025, 07:49 PM
- Updated: 07:49 PM
(तस्वीरों के साथ)
चेन्नई, 21 सितंबर (भाषा) केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने रविवार को यहां कहा कि सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशों के अनुसार 11वीं और 12वीं कक्षा के पाठ्यक्रम में कौशल आधारित शिक्षा को शामिल करने पर विचार कर रही है।
प्रधान ने कहा कि उचित स्तर पर शिक्षण पद्धति में आमूलचूल बदलाव होना चाहिए और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में इसकी सिफारिश की गई है।
उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास में एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘हम 11वीं और 12वीं कक्षा में कौशल आधारित पाठ्यक्रम शुरू करने पर काम कर रहे हैं।’’
पाठ्यक्रम में कौशल आधारित शिक्षा को शामिल करने की अवधारणा के बारे में प्रधान ने कहा कि पहले की शिक्षा प्रणाली प्रमाणपत्र और डिग्री पर केंद्रित थी।
उन्होंने आईआईटी मद्रास में दक्षिणापथ शिखर सम्मेलन 2025 में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सही कहा कि हमें डिग्री और प्रमाणन की आवश्यकता है, लेकिन हमें छात्रों को सक्षम भी बनाना होगा।’’
प्रधान ने कहा, ‘‘एनईपी 2020 की प्राथमिक सिफारिशों में से एक कौशल आधारित शिक्षा है।’’
उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय छठी कक्षा से ही कौशल आधारित शिक्षा शुरू करने पर भी काम कर रहा है। प्रधान ने कहा, ‘‘पहले कौशल आधारित शिक्षा वैकल्पिक थी। कौशल आधारित शिक्षा चयनात्मक थी। लेकिन अब से कौशल एक विषय के रूप में शिक्षा का एक औपचारिक हिस्सा होगा।’’
कक्षा 11वीं और 12वीं के लिए नया पाठ्यक्रम तैयार करने के बारे में उन्होंने कहा कि शिक्षा की पिछली पद्धति विज्ञान, वाणिज्य और मानविकी पर केंद्रित थी। उन्होंने कहा, ‘‘अब हम कौशल विकास की भी योजना बना रहे हैं। उदाहरण के लिए, छात्र गणित, भाषा, कंप्यूटर भाषा लेखन - यानी कोडिंग, ड्रोन तकनीक या कृत्रिम मेधा (एआई) जैसे विषयों का अध्ययन कर सकते हैं। यह एक नया युग है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें अपने युवाओं को प्रशिक्षित करना होगा, उन्हें (नये पाठ्यक्रम ढांचे के साथ) जोड़ना होगा।’’
आईआईटी मद्रास के कुछ छात्रों और स्टार्टअप शुरू करने वाले कुछ छात्रों के साथ अपनी पूर्व की बातचीत का जिक्र करते हुए प्रधान ने कहा, ‘‘मैं प्रोफेसर (आईआईटी-एम निदेशक) कामकोटि और उनकी टीम का बहुत आभारी हूं। वे संयुक्त रूप से विशेष प्रतिभा वाले छात्रों को बढ़ावा दे रहे हैं और उन्हें सुविधा प्रदान कर रहे हैं।’’
बाद में, उन्होंने आईआईटी मद्रास परिसर में छात्रों के साथ ली गई कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा कीं।
प्रधान ने इस बात पर जोर दिया कि भाषाएं संचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उन्होंने कहा कि यदि किसी भारतीय कंपनी को किसी इजराइली कंपनी के साथ गठजोड़ करना है तो उसे हिब्रू भाषा सीखनी होगी। उन्होंने कहा, ‘‘कोई अंग्रेजी या मंदारिन सीख सकता है। हम हिब्रू भी सीख सकते हैं। लेकिन, मैं तमिल भाषा सीखना चाहूंगा क्योंकि तमिलनाडु एक जीवंत सोच वाला समाज है।’’
उन्होंने कहा कि देश में 1.75 लाख से अधिक स्टार्टअप हैं। उन्होंने कहा, ‘‘नया विमर्श यह है कि ये स्टार्टअप संस्थापक नौकरी चाहने वाले नहीं, बल्कि नौकरी देने वाले बन गए हैं। आईआईटी एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 वर्ष 2047 तक केंद्र के विकसित भारत के दृष्टिकोण को हासिल करने के लिए एक दार्शनिक दस्तावेज है और अगले दो दशकों में एनईपी 2020 की प्रत्येक सिफारिश को लागू किया जाना है।
भाषा
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