विजयन ने एसआईआर का एकजुट होकर प्रतिरोध करने का आह्वान किया, इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया
सिम्मी नरेश
- 28 Oct 2025, 04:10 PM
- Updated: 04:10 PM
(तस्वीरों के साथ जारी)
तिरुवनंतपुरम, 28 अक्टूबर (भाषा) केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने लोकतंत्र को महत्व देने वाले सभी लोगों से एकजुट होकर मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दूसरे चरण का विरोध करने का मंगलवार को आह्वान किया और इसे देश की लोकतांत्रिक नींव के लिए गंभीर खतरा बताया।
विजयन ने चेतावनी दी कि भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) द्वारा अब कई राज्यों में विस्तारित की जा रही यह प्रक्रिया सार्वभौमिक मताधिकार को कमजोर करने और राजनीतिक लाभ के लिए मतदाता सूची में हेरफेर करने का स्पष्ट प्रयास है।
विजयन ने कड़े शब्दों में दिए गए बयान में कहा कि केरल और अन्य राज्यों में एसआईआर लागू करने का ईसीआई का कदम ‘‘लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए गंभीर चुनौती है।’’
मुख्यमंत्री ने एक बयान में कहा कि आयोग की इस पहल से उसकी मंशा को लेकर संदेह पैदा होता है और यह चुनावी व्यवस्था पर जनता के भरोसे को कमजोर कर सकती है।
विजयन ने कहा कि इस आलोचना का किसी भी तरह से खंडन नहीं किया गया है कि केंद्रीय अधिकारी मतदाता सूची में हेरफेर कर अपने फायदे के लिए एसआईआर का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे यह और भी प्रासंगिक हो जाता है।
उन्होंने कहा, ‘‘बिहार एसआईआर की संवैधानिक वैधता उच्चतम न्यायालय के विचाराधीन होने के बावजूद इस प्रक्रिया को अन्य राज्यों में लागू करने के कदम को निर्दोष या निष्पक्ष नहीं माना जा सकता। दीर्घकालिक तैयारी और व्यापक परामर्श की आवश्यकता वाला इस तरह का विशेष गहन पुनरीक्षण जल्दबाजी में करना जनादेश को कमजोर करने के प्रयास का स्पष्ट संकेत देता है।’’
विजयन ने आरोप लगाया कि आयोग मतदाता सूची के इस पुनरीक्षण के लिए मौजूदा मतदाता सूची के बजाय 2002 से 2004 के बीच की सूचियों को आधार बनाने की तैयारी कर रहा है जो जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 का उल्लंघन होगा।
उन्होंने कहा कि इन कानूनों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि मतदाता सूची में किसी भी प्रकार का संशोधन मौजूदा सूची को आधार बनाकर ही किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि केरल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी पहले ही आयोग को सूचित कर चुके हैं कि केरल में स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारी के बीच विशेष गहन पुनरीक्षण कराना व्यावहारिक नहीं होगा।
विजयन ने कहा, ‘‘इन चेतावनियों के बावजूद इस चरण में एसआईआर को आगे बढ़ाना इस कदम के पीछे की मंशा पर संदेह पैदा करता है।”
केरल भारत का पहला ऐसा राज्य है जिसने एसआईआर प्रक्रिया के विरोध में विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया।
विजयन ने कहा कि बिहार में 65 लाख नाम मतदाता सूची से कथित तौर पर हटा दिए गए। उन्होंने कहा कि बिहार में जो हुआ उसी प्रक्रिया को अन्यत्र दोहराने का कदम ‘‘संविधान के अनुच्छेद 326 का पूर्ण उल्लंघन’’’ है जो सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार की गारंटी देता है।
उन्होंने कहा, ‘‘मतदान का अधिकार प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है। इसे राजनीतिक हितों के अनुरूप न तो छीना जा सकता है और न ही उसमें बदलाव किया जा सकता है।’’
उन्होंने चेतावनी दी कि एसआईआर ‘‘राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) का पिछले दरवाजे से क्रियान्वयन’’ बन सकता है।
विजयन ने बाद में सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ के जरिए कहा कि केरल सहित अन्य राज्यों में मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण करने का निर्वाचन आयोग का निर्णय ‘‘हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अपमान’’ है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘पुरानी सूचियों के आधार पर और स्थानीय चुनावों से पहले इसे जल्दबाजी में लागू करना गंभीर चिंता का विषय है। केरल लोकतंत्र को कमजोर करने के इस प्रयास का कड़ा विरोध करता है और इसकी रक्षा के लिए एकजुट प्रतिरोध का आह्वान करता है।"
मुख्यमंत्री का यह बयान निर्वाचन आयोग की इस घोषणा के एक दिन बाद आया है कि नवंबर से फरवरी के बीच केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल सहित 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एसआईआर की प्रक्रिया को संपन्न कराया जाएगा।
भाषा सिम्मी