जम्मू-कश्मीर : आतंकवादियों से संबंध के संदेह में दो सरकारी कर्मचारी बर्खास्त
प्रचेता मनीषा वैभव
- 30 Oct 2025, 02:34 PM
- Updated: 02:34 PM
श्रीनगर, 30 अक्टूबर (भाषा) जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बृहस्पतिवार को दो सरकारी कर्मचारियों को आतंकवादियों से कथित संबंधों के चलते बर्खास्त कर दिया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
पिछले पांच वर्षों में उपराज्यपाल के नेतृत्व वाले प्रशासन द्वारा संविधान के अनुच्छेद 311 का उपयोग कर अब तक लगभग 80 सरकारी कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त किया जा चुका है।
अधिकारियों ने कहा कि यह कार्रवाई सिन्हा की ‘‘आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति’’ और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के परिवेशी तंत्र पर व्यापक कार्रवाई का हिस्सा है।
अधिकारियों ने बताया कि उपराज्यपाल ने गुलाम हुसैन और माजिद इकबाल डार की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। दोनों ही शिक्षक थे और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) संगठन की गतिविधियों का समर्थन करते पाए गए थे।
हुसैन को 2004 में रहबर-ए-तालीम (आरईटी) शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था। उसे 2009 में नियमित कर रियासी के माहौर में कलवा स्थित सरकारी प्राथमिक विद्यालय में पदस्थ किया गया था।
सूत्रों के अनुसार, हुसैन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के लिए आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के वास्ते गुप्त रूप से काम कर रहा था। उसे रियासी और आसपास के इलाकों में आतंकी नेटवर्क को मजबूत करने का काम सौंपा गया था। उसे 2023 में गिरफ्तार किया गया था।
सूत्रों के अनुसार कानून प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियों के जांचकर्ताओं द्वारा एकत्र किए गए साक्ष्यों से पता चला है कि हुसैन एक ऐप के माध्यम से लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी मोहम्मद कासिम और गुलाम मुस्तफा के संपर्क में था।
सूत्रों ने बताया, "दोनों ही आतंकवादी उसके आका थे और गुलाम हुसैन उनके निर्देशों के अनुसार आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहा था। उसे एक स्थानीय माध्यम से आतंकी धन प्राप्त होता था जिसे वह बाद में आतंकवाद को समर्थन देने के लिए ज्ञात आतंकवादियों के परिवारों तक पहुंचाता था। साथ ही वह आतंकवादियों की भर्ती के लिए भी धन देता था और रसद का खर्च भी उठाता था।"
उन्होंने बताया कि जांच से यह भी पता चला है कि उसे विभिन्न माध्यमों से नियमित पार्सल और वित्तीय सहायता मिल रही थी।
अधिकारियों ने कहा, "हुसैन ने केवल पैसे के लालच में ही आतंकवादी गतिविधियां नहीं संचालित कीं बल्कि एक विचारधारा और एक हिंसक अभियान के रूप में आतंकवाद के प्रति उसकी सहानुभूति भी एक कारण थी। वह रियासी में युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और उन्हें आतंकवादी गुट में भर्ती करने के लिए प्रणाली में तैनात एक ओजीडब्ल्यू के रूप में सामने आया।"
उन्होंने कहा कि हुसैन ने लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी संगठन का सहयोगी और ओजीडब्ल्यू बनकर राष्ट्र और शिक्षा विभाग दोनों को धोखा दिया है।
सूत्रों ने कहा, "इस मामले में की गई जांच के दौरान यह पता चला कि आतंकवादी तंत्र से उसके संबंध अन्य ओजीडब्ल्यू के तंत्र के माध्यम से थे जो आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के इशारे पर काम कर रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि स्कूल में एक ख़तरनाक आतंकवादी सहयोगी वाले शिक्षक के रूप में काम करना न केवल युवा और संवेदनशील दिमागों के लिए एक बड़ा ख़तरा है बल्कि इससे सैकड़ों बच्चों की जान भी खतरे में पड़ जाती है।
डार को 2009 में अपने पिता की मृत्यु के बाद अनुकंपा के आधार पर स्कूल शिक्षा विभाग में प्रयोगशाला सहायक के पद पर नियुक्त किया गया था। बाद में 2019 में उसे शिक्षक के रूप में पदोन्नत किया गया।
सूत्रों ने बताया कि डार लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी संगठन के ओजीडब्ल्यू के रूप में काम कर रहा था। वह राजौरी और आसपास के क्षेत्र में युवाओं को कट्टरपंथी बनाने में शामिल प्रमुख लोगों में से एक था।
उन्होंने बताया कि जांच से यह भी पता चला है कि डार नार्को-आतंकवाद में भी शामिल था और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी मोद जबार के साथ उसके गहरे संबंध थे।
उन्होंने बताया कि लश्कर-ए-तैयबा का विश्वसनीय सदस्य होने के नाते डार नशीली दवाओं से प्राप्त धन का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण और भोले-भाले युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के लिए कर रहा था। जनवरी 2023 में उसके आतंकवादी संबंधों का खुलासा तब हुआ जब पुलिस ने राजौरी में जम्मू-कश्मीर बैंक के पास एक आईईडी बरामद किया।
सूत्रों ने बताया कि जांच के दौरान पुलिस ने डार समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया। बाद में पता चला कि शिक्षक और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी जबार और ज़ोहैब शहजाद ने पाकिस्तान में अपने आकाओं के निर्देश पर आईईडी लगाया था और उन्हें एक माध्यम से पैसे भी मिले थे।
सूत्रों ने बताया कि हिरासत में लिए जाने के बाद भी डार जेल के अंदर कट्टरपंथी प्रवृत्ति दिखाता रहा और वह आतंकवादी विचारधारा के प्रति गहराई से प्रतिबद्ध रहा।
कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सूत्रों ने बताया, "डार लंबे समय से ऐसा कर रहा है, वह भी सरकारी खजाने की कीमत पर। वह कई सालों से कानून से बचता आ रहा है। वह जनहित के लिए दोहरा खतरा है। संवेदनशील शिक्षा विभाग में काम करने के कारण डार की वजह से होने वाला नुकसान बहुत बड़ा है।"
हाल में उपराज्यपाल ने कहा था कि आतंकवाद के खिलाफ युद्ध अभी खत्म नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि आतंकवादी पारिस्थितिकी तंत्र को पूरी तरह से नष्ट करने के बाद ही स्थायी शांति मिल सकती है।
सिन्हा ने सुरक्षा और खुफिया अधिकारियों से कहा था, "आतंकवाद के ख़िलाफ जंग अभी खत्म नहीं हुई है। गतिशील और गैर-गतिशील अभियान जारी रहने चाहिए। हमें इस गति को बनाए रखना होगा और आतंकवाद तथा उसके पूरे तंत्र के ख़िलाफ कड़ी कार्रवाई करनी होगी।"
भाषा प्रचेता मनीषा